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Ababil Ki Udaan (HB)
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सारा राय की ये कहानियाँ इस बात का प्रमाण हैं कि साहित्य और वर्तमान सन्दर्भ में हिन्दी साहित्य ने आगे बढ़ना बन्द नहीं किया है और वह बिना शोर मचाए, प्राय: चुपचाप, प्रगति की दिशा में नए क़दम रखता चला जा रहा है। सम्पन्न कहानी के लिए अब तक घटनाओं की बहुलता आवश्यक होती थी, परन्तु अब बहुत कम, बहुत सामान्य और रोज़मर्रा की ज़िन्दगी पर बहुत सफल कलात्मक कहानी लिखी जा सकती है।
निर्मल वर्मा के शब्दों में, ‘‘विवरणात्मक कहानी की लगभग मृतप्राय शैली को (जिसमें बातचीत लगभग नहीं के बराबर है) सारा राय ने यदि इतने सधे, संवेदनशील ढंग से पुनर्जीवित किया है तो उसके पीछे उनकी तीक्ष्ण और जिज्ञासापूर्ण दृष्टि है…। इससे एक अजीब भ्रम उत्पन्न होता है—विवरण कहानी लेखिका देती है लेकिन जो आवाज़ सुनाई देती है, वह उन वस्तुओं और पात्रों के मुँह से जिनके बारे में विवरण दिया जा रहा है।…यदि फार्सटर के कथन ‘ओनली कनेक्ट’ में कला का मर्म छिपा है तो सारा राय में उसकी विलक्षण प्रतिभा है।’’
निश्चय ही, इस संकलन की बारह कहानियाँ साहित्य में मील के पत्थर के समान हैं।
सारा राय की ये कहानियाँ इस बात का प्रमाण हैं कि साहित्य और वर्तमान सन्दर्भ में हिन्दी साहित्य ने आगे बढ़ना बन्द नहीं किया है और वह बिना शोर मचाए, प्राय: चुपचाप, प्रगति की दिशा में नए क़दम रखता चला जा रहा है। सम्पन्न कहानी के लिए अब तक घटनाओं की बहुलता आवश्यक होती थी, परन्तु अब बहुत कम, बहुत सामान्य और रोज़मर्रा की ज़िन्दगी पर बहुत सफल कलात्मक कहानी लिखी जा सकती है।
निर्मल वर्मा के शब्दों में, ‘‘विवरणात्मक कहानी की लगभग मृतप्राय शैली को (जिसमें बातचीत लगभग नहीं के बराबर है) सारा राय ने यदि इतने सधे, संवेदनशील ढंग से पुनर्जीवित किया है तो उसके पीछे उनकी तीक्ष्ण और जिज्ञासापूर्ण दृष्टि है…। इससे एक अजीब भ्रम उत्पन्न होता है—विवरण कहानी लेखिका देती है लेकिन जो आवाज़ सुनाई देती है, वह उन वस्तुओं और पात्रों के मुँह से जिनके बारे में विवरण दिया जा रहा है।…यदि फार्सटर के कथन ‘ओनली कनेक्ट’ में कला का मर्म छिपा है तो सारा राय में उसकी विलक्षण प्रतिभा है।’’
निश्चय ही, इस संकलन की बारह कहानियाँ साहित्य में मील के पत्थर के समान हैं।
About Author
सारा राय
सारा राय समकालीन हिन्दी कथाकार हैं। उनका जन्म 15 सितम्बर, 1956 को हुआ। उनके तीन कहानी-संग्रह ‘अबाबील की उड़ान’, ‘बियाबान में’, ‘भूलभुलैयाँ और अन्य कहानियाँ’ और एक उपन्यास ‘चीलवाली कोठी’ प्रकाशित हैं।
उन्होंने हिन्दी, अंग्रेज़ी और उर्दू में कई किताबों के अनुवाद और सम्पादन किए हैं। उनकी अनूदित और सम्पादित पुस्तकों में ‘कज़ाकी एंड अदर मार्वेलस टेल्स’ (प्रेमचन्द), ‘हिन्दी हैंडपिक्ड फ़िक्शन्स’, ‘द गोल्डेन वेस्ट चेन’ शामिल हैं। उन्होंने शिवरानी देवी की ‘प्रेमचन्द घर में’ और कथा-संग्रह ‘कौमुदी’ का सम्पादन किया है। मुग़ल महमूद और ज़हरा राय के कहानी-संग्रह ‘महलसरा का एक खेल और अन्य कहानियाँ’ का भी सम्पादन किया।
सारा राय द्वारा (अरविन्द कृष्ण मेहरोत्रा के साथ) अनूदित विनोद कुमार शुक्ल के कथा-संग्रह ‘ब्लू इज़ लाइक ब्लू’ को 2019 में ‘अट्टा गलट्टा पुरस्कार’ और 2020 में ‘मातृभूमि पुरस्कार’ मिला। योहाना हान द्वारा किए गए सारा की कहानियों के जर्मन अनुवाद ‘इम लैबिरिंथ’ को 2019 का ‘फ़्राइडरिख़ रुकर्ट पुरस्कार’ प्राप्त हुआ है। 2020 में इसी पुस्तक को फ़्रैंकफ़र्ट के ‘वेल्टेम्पफांगर पुरस्कार’ के लिए भी नामज़द किया गया।
ईमेल : sararai11@gmail.com
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