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Aahaten Aas Paas (HB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Pankaj Singh
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Rajkamal
Author:
Pankaj Singh
Language:
Hindi
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Hardback

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पंकज सिंह हैं। उनके एप्रोच से मतभेद हो सकता है : एक हद तक। लेकिन उनकी एक उत्कट आकांक्षा, कुछ यथार्थ को व्यक्त करने की, और उस यथार्थ से गुथने की—इससे इनकार नहीं किया जा सकता। यह कुछ ऐसी है जैसी कि मुक्तिबोध ने की थी अपने ज़माने में बहुत मेहनत से। उस यथार्थ को व्यक्त करने की। यथार्थ को व्यक्त करना कलाकार का बहुत ही पहला और बहुत ही बुनियादी धर्म है, और उस धर्म में वह कामयाब ही हो, यह ज़रूरी नहीं है। लेकिन ऐसी कोशिश और उस कोशिश में किसी हद तक भी कामयाब होना मेरे लिए बड़ी आदरणीय चीज़ होती है। तो उसमें विभिन्न रूप से विभिन्न दृष्टियों से जो कवि संलग्न है और उसमें अगर काव्य के स्तर पर काव्याभिव्यक्ति के स्तर पर कुछ किया है उन्होंने तो उसका आदर होना चाहिए और मैं उनका आदर करता हूँ…
—शमशेर बहादुर सिंह
(‘पूर्वग्रह’, जनवरी-अप्रैल, 1976)

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Description

पंकज सिंह हैं। उनके एप्रोच से मतभेद हो सकता है : एक हद तक। लेकिन उनकी एक उत्कट आकांक्षा, कुछ यथार्थ को व्यक्त करने की, और उस यथार्थ से गुथने की—इससे इनकार नहीं किया जा सकता। यह कुछ ऐसी है जैसी कि मुक्तिबोध ने की थी अपने ज़माने में बहुत मेहनत से। उस यथार्थ को व्यक्त करने की। यथार्थ को व्यक्त करना कलाकार का बहुत ही पहला और बहुत ही बुनियादी धर्म है, और उस धर्म में वह कामयाब ही हो, यह ज़रूरी नहीं है। लेकिन ऐसी कोशिश और उस कोशिश में किसी हद तक भी कामयाब होना मेरे लिए बड़ी आदरणीय चीज़ होती है। तो उसमें विभिन्न रूप से विभिन्न दृष्टियों से जो कवि संलग्न है और उसमें अगर काव्य के स्तर पर काव्याभिव्यक्ति के स्तर पर कुछ किया है उन्होंने तो उसका आदर होना चाहिए और मैं उनका आदर करता हूँ…
—शमशेर बहादुर सिंह
(‘पूर्वग्रह’, जनवरी-अप्रैल, 1976)

About Author

पंकज सिंह

मुज़फ़्फ़रपुर (बिहार) में जन्म और पैतृक गाँव चैता (पूर्वी चम्पारण) में स्कूली शिक्षा का आरम्भ। इतिहास में बी.ए. ऑनर्स और एम.ए. (बिहार विश्वविद्यालय)। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में वियतनाम के संघर्ष पर शोध।

क्रान्तिकारी वाम राजनीति और पत्रकारिता में निरन्तर सक्रिय। पहली कविता 1966 में प्रकाशित। रचनात्मक लेखन के अतिरिक्त राजनीति और साहित्य-कला-संस्कृति पर निबन्ध और समीक्षा आदि चर्चित। कई वर्षों तक ‘जनसत्ता’ में नियमित कला-समीक्षा और ‘नवभारत टाइम्स’ में एक वर्ष तक साप्ताहिक स्तम्भ ‘विमर्श’ उल्लेखनीय। फ़्रेंच एनसाइक्लोपीडिया ‘लारूस्’ में हिन्दी साहित्य पर टिप्पणी। अनेक पांडुलिपियों का सम्पादन। ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस, एन.सी.ई.आर.टी. और साहित्य अकादेमी आदि के लिए अनुवाद। डॉक्यूमेंटरी और कथा फ़िल्मों के लिए पटकथा लेखन। डॉक्यूमेंटरी फ़िल्मों का निर्माण और निर्देशन भी। रेडियो और टेलीविज़न के प्रसारक और प्रस्तोता के रूप में बहुख्यात। सम्पादक की हैसियत से दूरदर्शन समाचार, ब्रिटिश उच्चायोग और कई पत्र-पत्रिकाओं से सम्बद्ध रहे। पेरिस के पौर्वात्य भाषा और सभ्यता संस्थान तथा सीपा प्रेस इंटरनेशनल के भारतीय विभागों में काम किया। बी.बी.सी. लंदन की विश्व सेवा में साढ़े चार वर्ष तक प्रोड्यूसर।

प्रकाशन : ‘आहटें आसपास’ (1981), ‘जैसे पवन पानी’ (2001), ‘नहीं’ (2009)। अनेक देशी-विदेशी संकलनों में कविताएँ। उर्दू, बांग्ला, अंग्रेज़ी, जापानी, रूसी तथा फ्रेंच आदि में कविताओं के अनुवाद।

प्रवास : पेरिस (1978-80), लंदन (1987-91)। अनेक एशियाई-यूरोपीय देशों की यात्राएँ। यात्राओं और प्रवास के दौरान विश्वविद्यालयों और सांस्थानिक आयोजनों में व्याख्यान और काव्य-पाठ। पेरिस के अन्तरराष्ट्रीय कविता उत्सव में भारत का प्रतिनिधित्व।

दिल्ली में रहते हुए समकालीन बौद्धिक-सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन में सक्रिय। ‘जन हस्तक्षेप’ नामक संगठन के संस्थापक सदस्य और उसके कार्यक्रमों में निरन्तर भागीदारी। लेखन के अतिरिक्त फ़िल्म और मीडिया परामर्श के क्षेत्रों में गतिशील।

निधन : 26 दिसम्‍बर, 2015

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