Aag Jo Jalati Nahin (HB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Doris Kareva, Tr. Teji Grover, Rustam Singh
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Rajkamal
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Doris Kareva, Tr. Teji Grover, Rustam Singh
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Hindi
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डोरिस कारेवा एस्टोनिया और बाल्टिक देशों की ही नहीं, यूरोप की सबसे अहम कवियों और क़द्दावर सांस्कृतिक हस्तियों में शुमार हैं, उन कविताओं के लिए प्रशंसित जो लाघव और शिल्पगत कसाव के साथ-साथ जुनून और साहस-प्रदर्शन के सूक्ष्म तवाज़ुन को अंजाम देती हैं। पत्रिका एस्टोनियन लिटरेचर के अनुसार डोरिस की उपलब्धि यह है कि वे ऐसी कविता लिखती हैं जो मनुष्य की आत्मा और सृष्टि के बीच, ध्वनि के साथ-साथ मौन के बीच लरज़ रही रेखा पर सन्तुलन क़ायम करने का प्रयास करती हैं।
‘आग जो जलाती नहीं’ में डोरिस कारेवा की चार दशकों से भी अधिक सुदीर्घ काव्य-यात्रा समाहित है, इस बात को दर्शाती कि वे अपनी कविता में सतत गहराई और सुस्पष्टता के साथ-साथ अर्थ-बाहुल्य और सुर-संगति को एक साथ साधने में सक्षम हैं। यह अनेकार्थता एक ओर सुस्पष्टता का विलोम रचती है और दूसरी ओर ऐसी व्यंजना जो अपने प्रदीपन के चरम पर आप्त वाणी का-सा प्रभाव पैदा करती है।
उनकी कविता की तात्त्विक संवेदना ऐसी है कि उसके नैतिक आवेश की प्रतीति एकदम दैहिक स्तर पर होती है। उन्हें प्रेम की ऐसी तपस्विनी भी कहा जाता है जो प्रेम के चित्रण में निर्भीक भी है और विचारशील भी। प्रेम का यह रचाव “पर्वतीय पवन-सा इतना विशुद्ध एवं उदात्त” है, कि वे किसी अन्य समय और आयाम से लिख रही प्रतीत होती हैं।

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Description

डोरिस कारेवा एस्टोनिया और बाल्टिक देशों की ही नहीं, यूरोप की सबसे अहम कवियों और क़द्दावर सांस्कृतिक हस्तियों में शुमार हैं, उन कविताओं के लिए प्रशंसित जो लाघव और शिल्पगत कसाव के साथ-साथ जुनून और साहस-प्रदर्शन के सूक्ष्म तवाज़ुन को अंजाम देती हैं। पत्रिका एस्टोनियन लिटरेचर के अनुसार डोरिस की उपलब्धि यह है कि वे ऐसी कविता लिखती हैं जो मनुष्य की आत्मा और सृष्टि के बीच, ध्वनि के साथ-साथ मौन के बीच लरज़ रही रेखा पर सन्तुलन क़ायम करने का प्रयास करती हैं।
‘आग जो जलाती नहीं’ में डोरिस कारेवा की चार दशकों से भी अधिक सुदीर्घ काव्य-यात्रा समाहित है, इस बात को दर्शाती कि वे अपनी कविता में सतत गहराई और सुस्पष्टता के साथ-साथ अर्थ-बाहुल्य और सुर-संगति को एक साथ साधने में सक्षम हैं। यह अनेकार्थता एक ओर सुस्पष्टता का विलोम रचती है और दूसरी ओर ऐसी व्यंजना जो अपने प्रदीपन के चरम पर आप्त वाणी का-सा प्रभाव पैदा करती है।
उनकी कविता की तात्त्विक संवेदना ऐसी है कि उसके नैतिक आवेश की प्रतीति एकदम दैहिक स्तर पर होती है। उन्हें प्रेम की ऐसी तपस्विनी भी कहा जाता है जो प्रेम के चित्रण में निर्भीक भी है और विचारशील भी। प्रेम का यह रचाव “पर्वतीय पवन-सा इतना विशुद्ध एवं उदात्त” है, कि वे किसी अन्य समय और आयाम से लिख रही प्रतीत होती हैं।

About Author

डोरिस कारेवा

एस्टोनिया और यूरोप के अहम कवियों और प्रख्यात सांस्कृतिक हस्तियों में शुमार डोरिस कारेवा का जन्म एस्टोनिया के टालिन्न में वर्ष 1958 में हुआ। उन्होंने सुदूर शिक्षा के माध्यम से रोमांस और जर्मनिक फ़िलोलोजी में ग्रेजुएशन किया। वे ‘Sirp’ (हँसिया) पत्रिका से जुड़ी रहीं। यूनेस्को की एस्टोनियन राष्ट्रीय समिति की सेक्रेटरी जनरल रहीं। उन्होंने ‘तिनका कोष’ की स्थापना की जिसके अन्तर्गत अनिश्चित हालात के दौरान युवा कवियों के पहले संग्रहों को प्रकाशित किया जा सके। डोरिस कारेवा के पन्द्रह कविता-संग्रह, एक निबन्ध संकलन और एक अन्य गद्य-संग्रह प्रकाशित हैं। उनकी कविताओं का बाईस भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। अंग्रेज़ी में उनकी कविताओं के दो संकलन प्रकाशित हैं। उन्होंने विश्व के लगभग सभी प्रमुख रचनाकारों की कृतियों के अनुवाद किए हैं।

डोरिस कारेवा को दो राष्ट्रीय सम्मान तथा अन्य कई पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। वर्ष 2001 में उन्हें ‘एस्टोनियन ऑर्डर ऑफ़ वाइट स्टार’ से नवाज़ा गया।

आजकल डोरिस ‘Looming’ (सृजन) नामक साहित्यिक पत्रिका की सम्पादक हैं।

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