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मातृभाषा में | MATRIBHASHA MEIN
Publisher:
Setu Prakashan
| Author:
NAVAL SHUKLA
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Setu Prakashan
Author:
NAVAL SHUKLA
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹250 ₹225
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In stock
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3-5 Days
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ISBN:
SKU
9789393758743
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
180
मातृभाषा में कवि नवल शुक्ल का तीसरा कविता संग्रह है। प्रतिबद्धता और प्रगतिशील चेतना के बावजूद इनकी कविताओं में वाचालता या तीखापन नहीं है। मातृभाषा में की कविताएँ अपनी संरचना के भीतर एक यात्रा तय करती हैं। यह यात्रा कथन से विचार, विचार से जीवन और बोध तक की यात्रा है। संभवतः इसी कारण यह यात्रा अक्सर एक सामान्य कथन से प्रारम्भ होकर संवाद, आह्वान, वर्णन, विवरण के सहारे गहराई पाती है। ऊपर से दिखती सरलता इस यात्रा के कारण गहरी और बहुस्तरीय ही नहीं बनती, संश्लिष्ट और सांद्र भी बनती है।
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Description
मातृभाषा में कवि नवल शुक्ल का तीसरा कविता संग्रह है। प्रतिबद्धता और प्रगतिशील चेतना के बावजूद इनकी कविताओं में वाचालता या तीखापन नहीं है। मातृभाषा में की कविताएँ अपनी संरचना के भीतर एक यात्रा तय करती हैं। यह यात्रा कथन से विचार, विचार से जीवन और बोध तक की यात्रा है। संभवतः इसी कारण यह यात्रा अक्सर एक सामान्य कथन से प्रारम्भ होकर संवाद, आह्वान, वर्णन, विवरण के सहारे गहराई पाती है। ऊपर से दिखती सरलता इस यात्रा के कारण गहरी और बहुस्तरीय ही नहीं बनती, संश्लिष्ट और सांद्र भी बनती है।
About Author
नवल शुक्ल 90 के दशक के बहुचर्चित व महत्त्वपूर्ण कवि हैं। दसों दिशाओं में, इस तरह एक अध्याय, और मातृभाषा में सहित अब तक इनके तीन कविता संग्रह और एक उपन्यास तिलोका वायकान प्रकाशित हो चुके हैं। साथ ही वे कथा लेखन व संपादन के क्षेत्र में भी लगातार सक्रिय रहे हैं।
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