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Aakhiree chattan tak
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
मोहन राकेश
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
मोहन राकेश
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹299 ₹224
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In stock
ISBN:
SKU
9789355189325
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
112
ज्ञानपीठ ने अनेक रचनाकारों की पहली पहली पुस्तकें प्रकाशित कीं और कालान्तर में ये रचनाकार अपने-अपने क्षेत्र के यशस्वी हस्ताक्षर सिद्ध हुए। मोहन राकेश ऐसे ही विलक्षण रचनाकारों में से एक हैं। कहानीकार, उपन्यासकार, नाटककार, निबन्धकार आदि रूपों में मोहन राकेश ने नये प्रस्थान निर्मित किए हैं। मोहन राकेश की परवर्ती पीढ़ियों पर उनका प्रभाव यह सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है कि मोहन राकेश जैसे लेखक पर ‘कालातीत’ विशेषण शत-प्रतिशत खरा उतरता है। जो रचनाकार अपने समय और समाज को ‘यथासम्भव समग्रता’ में देखता और चित्रित करता है, उसका लेखन आने वाले समयों के लिए भी सार्थक बना रहता है। मोहन राकेश ने विराट मानवीय नियति के विस्तार में जाकर जीवन की इकाइयों का मूल्यांकन किया है। व्यक्ति और समाज के जाने कितने संवाद और विसंवाद उनकी रचनाओं में प्राप्त होते हैं। ‘अस्मिता-विमर्श’ के इस युग में मोहन राकेश की अनेक रचनाएँ व्यक्ति की अस्मिता का संवेदनात्मक परीक्षण करती हैं।
आख़िरी चट्टान तक मोहन राकेश का यात्रा-वृत्तान्त है। विश्वास है स्तरीय साहित्य के अनुरागी पाठक और विशेषकर मोहन राकेश के प्रशंसक इस पुनर्नवा संस्करण का हृदय से स्वागत करेंगे।
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Description
ज्ञानपीठ ने अनेक रचनाकारों की पहली पहली पुस्तकें प्रकाशित कीं और कालान्तर में ये रचनाकार अपने-अपने क्षेत्र के यशस्वी हस्ताक्षर सिद्ध हुए। मोहन राकेश ऐसे ही विलक्षण रचनाकारों में से एक हैं। कहानीकार, उपन्यासकार, नाटककार, निबन्धकार आदि रूपों में मोहन राकेश ने नये प्रस्थान निर्मित किए हैं। मोहन राकेश की परवर्ती पीढ़ियों पर उनका प्रभाव यह सिद्ध करने के लिए पर्याप्त है कि मोहन राकेश जैसे लेखक पर ‘कालातीत’ विशेषण शत-प्रतिशत खरा उतरता है। जो रचनाकार अपने समय और समाज को ‘यथासम्भव समग्रता’ में देखता और चित्रित करता है, उसका लेखन आने वाले समयों के लिए भी सार्थक बना रहता है। मोहन राकेश ने विराट मानवीय नियति के विस्तार में जाकर जीवन की इकाइयों का मूल्यांकन किया है। व्यक्ति और समाज के जाने कितने संवाद और विसंवाद उनकी रचनाओं में प्राप्त होते हैं। ‘अस्मिता-विमर्श’ के इस युग में मोहन राकेश की अनेक रचनाएँ व्यक्ति की अस्मिता का संवेदनात्मक परीक्षण करती हैं।
आख़िरी चट्टान तक मोहन राकेश का यात्रा-वृत्तान्त है। विश्वास है स्तरीय साहित्य के अनुरागी पाठक और विशेषकर मोहन राकेश के प्रशंसक इस पुनर्नवा संस्करण का हृदय से स्वागत करेंगे।
About Author
मोहन राकेश
जन्म : 8 जनवरी, 1925; जंडीवाली गली, अमृतसर (पंजाब)।
शिक्षा : संस्कृत में शास्त्री, अँग्रेज़ी में बी.ए.। संस्कृत और हिन्दी में एम.ए.।
जीविका के लिए लाहौर, मुम्बई, शिमला, जालन्धर और दिल्ली में अध्यापन व सम्पादन करते हुए अन्ततः स्वतन्त्र लेखन ।
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