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Premchand : Kisaan Jiven Sambandhi Kahaniyan Aur Vichar

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
रवीन्द्र कालिया
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
रवीन्द्र कालिया
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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236

प्रेमचन्द : किसान जीवन सम्बन्धी कहानियाँ और विचार –
प्रेमचन्द को किसानों से गहरा लगाव था—उसी प्रकार का लगाव जैसे किसान का अपने खेतों के प्रति और माँ-बाप का अपने बच्चों के प्रति होता है। वे सम्भवतः भारतीय साहित्य में पहले लेखक थे, जिन्होंने ज़मींदारी प्रथा को समाप्त करने की बात कही और यह प्रश्न उठाया कि किसान और सरकार के बीच यह तीसरा वर्ग (ज़मींदारों का) क्यों है? इसकी क्या प्रासंगिकता है? उन्होंने ज़मींदारों को सुरक्षा देने के प्रश्न पर तत्कालीन सरकार की आलोचना की। प्रेमचन्द अकेले ऐसे बुद्धिजीवी लेखक थे, जिन्होंने किसान जीवन की सूक्ष्म समस्याओं पर ध्यान केन्द्रित करके लिखा और लोगों तथा सरकार का ध्यान आकृष्ट किया।
डॉ. रामविलास शर्मा ने ठीक ही लिखा है, ‘हर कोई जानता है कि प्रेमचन्द ने समाज के सभी वर्गों की अपेक्षा किसानों के चित्रण में सबसे अधिक सफलता पायी है। वे हर तरह के किसानों को पहचानते थे, उनके विभिन्न आर्थिक स्तर, उनकी विभिन्न विचारधाराएँ, उनकी विभिन्न सामाजिक समस्याएँ, किसान-जीवन के हर कोने से परिचित थे। जैसी उनकी जानकारी असाधारण थी, वैसा ही किसानों से उनका स्नेह भी गहरा था। किसानों के सम्पर्क में आनेवाली शोषण की जंगी मशीन के हर-कल-पुर्जे से वे वाक़िफ़ थे।’ सन्देह नहीं कि प्रेमचन्द के समय के किसान जीवन को आज के परिप्रेक्ष्य में समझने के लिए इस पुस्तक की अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका रहेगी।

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Description

प्रेमचन्द : किसान जीवन सम्बन्धी कहानियाँ और विचार –
प्रेमचन्द को किसानों से गहरा लगाव था—उसी प्रकार का लगाव जैसे किसान का अपने खेतों के प्रति और माँ-बाप का अपने बच्चों के प्रति होता है। वे सम्भवतः भारतीय साहित्य में पहले लेखक थे, जिन्होंने ज़मींदारी प्रथा को समाप्त करने की बात कही और यह प्रश्न उठाया कि किसान और सरकार के बीच यह तीसरा वर्ग (ज़मींदारों का) क्यों है? इसकी क्या प्रासंगिकता है? उन्होंने ज़मींदारों को सुरक्षा देने के प्रश्न पर तत्कालीन सरकार की आलोचना की। प्रेमचन्द अकेले ऐसे बुद्धिजीवी लेखक थे, जिन्होंने किसान जीवन की सूक्ष्म समस्याओं पर ध्यान केन्द्रित करके लिखा और लोगों तथा सरकार का ध्यान आकृष्ट किया।
डॉ. रामविलास शर्मा ने ठीक ही लिखा है, ‘हर कोई जानता है कि प्रेमचन्द ने समाज के सभी वर्गों की अपेक्षा किसानों के चित्रण में सबसे अधिक सफलता पायी है। वे हर तरह के किसानों को पहचानते थे, उनके विभिन्न आर्थिक स्तर, उनकी विभिन्न विचारधाराएँ, उनकी विभिन्न सामाजिक समस्याएँ, किसान-जीवन के हर कोने से परिचित थे। जैसी उनकी जानकारी असाधारण थी, वैसा ही किसानों से उनका स्नेह भी गहरा था। किसानों के सम्पर्क में आनेवाली शोषण की जंगी मशीन के हर-कल-पुर्जे से वे वाक़िफ़ थे।’ सन्देह नहीं कि प्रेमचन्द के समय के किसान जीवन को आज के परिप्रेक्ष्य में समझने के लिए इस पुस्तक की अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका रहेगी।

About Author

रवीन्द्र कालिया - जन्म: 1 अप्रैल, 1939। हिन्दी साहित्य में एम.ए.। प्रख्यात कथाकार, संस्मरण लेखक और यशस्वी सम्पादक। प्रमुख कृतियाँ: 'नौ साल छोटी पत्नी', 'ग़रीबी हटाओ', 'चकैया नीम', 'ज़रा-सी रोशनी', 'गली कूचे', 'रवीन्द्र कालिया की कहानियाँ' (कहानी संग्रह); 'ख़ुदा सही सलामत है', 'ए.बी.सी.डी.', '17 रानडे रोड' (उपन्यास); 'ग़ालिब छुटी शराब' (संस्मरण)। उल्लेखनीय सम्पादित पुस्तकें: 'मेरी प्रिय सम्पादित कहानियाँ', 'मोहन राकेश की श्रेष्ठ कहानियाँ' और 'अमरकान्त'। देश-विदेश में अनेक संकलनों में रचनाएँ सम्मिलित। विभिन्न विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में उपन्यास व कहानी शामिल। कई महाविद्यालयों में हिन्दी प्रवक्ता के रूप में कार्य। भारत सरकार द्वारा प्रकाशित 'भाषा' का सह-सम्पादन। 'धर्मयुग' में वरिष्ठ उप सम्पादक। अन्य सम्पादित पत्रिकाएँ: 'वर्तमान साहित्य' (कहानी महाविशेषांक), 'वर्ष अमरकान्त', 'साप्ताहिक गंगा यमुना' और 'वागर्थ'। अन्तर्राष्ट्रीय साहित्यिक कार्यक्रमों के सन्दर्भ में अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, जापान, नीदरलैंड, सूरीनाम व अन्य लातिन अमेरिकी देशों की यात्रा। प्रमुख सम्मान व पुरस्कार: 'शिरोमणि साहित्य सम्मान' (पंजाब); 'लोहिया अतिविशिष्ट सम्मान' (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान); 'साहित्य भूषण सम्मान' (उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान); 'प्रेमचन्द सम्मान', 'पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी सम्मान' (मध्य प्रदेश साहित्य अकादेमी) आदि।

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