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Mayuram : Shabdon Ka Bheega Nritya
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शब्दों में भीगा मयूरम –
यह कविता संग्रह काव्यानुभूति की एक नवेली आभा के साथ पाठकों के समक्ष हैI इन कविताओं में गीली मिट्टी की सौंधी ख़ुशबू और सितारों के राग हैंI एक नन्हा काव्यमयी ह्रदय जब प्रथम बार अपनी धमनियों में शब्दों की गुनगुनाहट महसूस करता है तो उन्हें काग़ज़ पर उतारते हुए एक आत्मीय अहसास उसे घेर लेता हैI इसी अहसास को ख़ुद में समेटे हुए यह कोमल और सपनीली कविताएँ पाठकों के सामने हैंI जैसा कि इस संग्रह के शीर्षक से ही ज्ञात होता है कि यह कविताएँ मन की भंगिमाओं को प्रस्तुत करती हैं और करुण होकर इन्हें सींच रही हैंI ऐसे में पाठकों को यह पूरा अधिकार है कि इन नन्ही पाखियों-सी कविताओं को वह चाहे तो अपना स्वप्न दे दे या असीम स्नेह, एक ही बात हैI
शब्दों में भीगा मयूरम –
यह कविता संग्रह काव्यानुभूति की एक नवेली आभा के साथ पाठकों के समक्ष हैI इन कविताओं में गीली मिट्टी की सौंधी ख़ुशबू और सितारों के राग हैंI एक नन्हा काव्यमयी ह्रदय जब प्रथम बार अपनी धमनियों में शब्दों की गुनगुनाहट महसूस करता है तो उन्हें काग़ज़ पर उतारते हुए एक आत्मीय अहसास उसे घेर लेता हैI इसी अहसास को ख़ुद में समेटे हुए यह कोमल और सपनीली कविताएँ पाठकों के सामने हैंI जैसा कि इस संग्रह के शीर्षक से ही ज्ञात होता है कि यह कविताएँ मन की भंगिमाओं को प्रस्तुत करती हैं और करुण होकर इन्हें सींच रही हैंI ऐसे में पाठकों को यह पूरा अधिकार है कि इन नन्ही पाखियों-सी कविताओं को वह चाहे तो अपना स्वप्न दे दे या असीम स्नेह, एक ही बात हैI
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