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Mera Bachpan Mere Kandhon Par
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
श्योराज सिंह 'बेचैन'
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
श्योराज सिंह 'बेचैन'
Language:
Hindi
Format:
Paperback
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ISBN:
SKU
9789350724194
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
440
मेरा बचपन मेरे कन्धों पर –
डॉ. श्योराज सिंह जी, आपकी आत्मकथा का अंश यहाँ एक मोची रहता था मैंने पढ़ लिया है। दर्द ही दर्द है, कष्ट ही कष्ट है। मुझे लगा है, आपके साथ ग़ालिब वाली बात घट गयी है। उस महाकवि की ग़ज़ल का एक शेर है
रंज से खूंगर हुआ ईसा तो मिट जाता है
रंज मुश्किल मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसां हो गयीं।
यह आपकी आत्मकथा पर पूरी तरह फ़बता है। मेरे ख़याल से, बचपन की सहजात शक्ति आप आज बड़े स्तर पर सुरक्षित और सँजो कर हुए हो… वर्णन में आप अपनी शैली में रहे हो। आपकी शैली दूसरे लेखकों से अलग पहचान की है। यह शान्त और ज़्यादा प्रभावकारी है… -डॉ. धर्मवीर
सत्य के प्रति निष्ठावान डॉ. श्योराज सिंह बेचैन का यह अनुभव स्वतः ही दलितों के व्यापक अनुभवों से जुड़ गया है। यह दलितों की स्वानुभूति का जीवन्त इतिहास है। पढ़ना न भूले… -चन्द्रमान प्रसाद
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Description
मेरा बचपन मेरे कन्धों पर –
डॉ. श्योराज सिंह जी, आपकी आत्मकथा का अंश यहाँ एक मोची रहता था मैंने पढ़ लिया है। दर्द ही दर्द है, कष्ट ही कष्ट है। मुझे लगा है, आपके साथ ग़ालिब वाली बात घट गयी है। उस महाकवि की ग़ज़ल का एक शेर है
रंज से खूंगर हुआ ईसा तो मिट जाता है
रंज मुश्किल मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसां हो गयीं।
यह आपकी आत्मकथा पर पूरी तरह फ़बता है। मेरे ख़याल से, बचपन की सहजात शक्ति आप आज बड़े स्तर पर सुरक्षित और सँजो कर हुए हो… वर्णन में आप अपनी शैली में रहे हो। आपकी शैली दूसरे लेखकों से अलग पहचान की है। यह शान्त और ज़्यादा प्रभावकारी है… -डॉ. धर्मवीर
सत्य के प्रति निष्ठावान डॉ. श्योराज सिंह बेचैन का यह अनुभव स्वतः ही दलितों के व्यापक अनुभवों से जुड़ गया है। यह दलितों की स्वानुभूति का जीवन्त इतिहास है। पढ़ना न भूले… -चन्द्रमान प्रसाद
About Author
डॉ. श्योराज सिंह बेचैन -
जन्म: जनवरी 1960, गाँव।
शिक्षा: पीएच.डी., डी.लिट्।
रचनाएँ मेरा बचपन कन्धों पर (आत्मकथा),क्रौंच हूँ मैं, नयी (कविता संग्रह); दलित पत्रकारिता पर पत्रकार अम्बेडकर का प्रभाव (शोध-प्रबन्ध); लिमका बुक रिकार्ड (1999) में दर्ज; अम्बेडकर, गाँधी और दलित पत्रकारिता, समकालीन हिन्दी पत्रकारिता में दलित उवाच, दलित क्रान्ति का साहित्य; मूल खोजो विवाद मिटेगा, अन्याय कोई परम्परा नहीं, 'दलित दख़ल', 'स्त्री विमर्श और पहली दलित शिक्षिका', प्रधान सम्पादक बहुरि नहीं आवना।
सत्ता विमर्श और दलित हंस के प्रथम दलित विशेषांक के अतिथि सम्पादक।
दैनिक हिन्दुस्तान, जनसत्ता, अमर उजाला, भास्कर, राष्ट्रीय सहारा आदि विशेष लेख; हंस, कथादेश, जनसत्ता, बयान, पक्षधर, अपेक्षा आदि में कहानियाँ।
आत्मकथा अनुवाद : तहलक़ा अंग्रेज़ी में 35 किश्तें, पंजाबी, जर्मन, अंग्रेज़ी, मराठी, मलयालम, उर्दू, कन्नड़ में अनुवाद जारी।
साहित्यिक यात्राएँ : विश्व हिन्दी सम्मेलन सूरीनाम, वैंकूवर (कनाडा), हालैंड और ग्रेट ब्रिटेन।
पुरस्कार/सम्मान :
साहित्य भूषण सम्मान, उ.प्र. हिन्दी संस्थान लखनऊ; बाबा साहब अम्बेडकर सम्मान महू-संस्थान म.प्र.; कबीर सेवा सम्मान, स्वामी अछूतानन्द अतिविशिष्ट सम्मान उ. प्र.; राजेन्द्र प्रसाद अवार्ड दिल्ली।
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