‘‘यह पुस्तक बीसवीं शताब्दी के अन्त और इक्कीसवीं शताब्दी के आरम्भ पर वैचारिक स्थिति, बल्कि स्थितियों पर एकाग्र एक अनूठा संचयन है। हमारे जाने हिन्दी में ऐसी कोई और पुस्तक नहीं है जिसमें इस तरह से व्यापक और कुशाग्र विचार किया गया हो। इस संचयन में दृष्टियों की बहुलता है; उनमें दार्शनिक, साहित्यिक, वैज्ञानिक, पारम्परिक आदि शामिल हैं। इस विचार में अन्त और आरम्भ की अवधारणाओं को भी प्रश्नांकित किया गया है। अभी हमारी नयी शताब्दी के दो दशक भी पूरे नहीं हुए हैं और सारे संसार में हिंसा, युद्ध, हत्या, धर्मोन्माद, अनुदारता आदि का भयावह विस्तार हुआ है। विचार मात्र को ध्यान और आवश्यकता के परिसर से देशनिकाला देने की लगातार कोशिश हो रही है। ऐसे मुक़ाम पर इस वैचारिक बहुमुखी हस्तक्षेप का महत्त्व है।’’
—अशोक वाजपेयी
‘‘यह पुस्तक बीसवीं शताब्दी के अन्त और इक्कीसवीं शताब्दी के आरम्भ पर वैचारिक स्थिति, बल्कि स्थितियों पर एकाग्र एक अनूठा संचयन है। हमारे जाने हिन्दी में ऐसी कोई और पुस्तक नहीं है जिसमें इस तरह से व्यापक और कुशाग्र विचार किया गया हो। इस संचयन में दृष्टियों की बहुलता है; उनमें दार्शनिक, साहित्यिक, वैज्ञानिक, पारम्परिक आदि शामिल हैं। इस विचार में अन्त और आरम्भ की अवधारणाओं को भी प्रश्नांकित किया गया है। अभी हमारी नयी शताब्दी के दो दशक भी पूरे नहीं हुए हैं और सारे संसार में हिंसा, युद्ध, हत्या, धर्मोन्माद, अनुदारता आदि का भयावह विस्तार हुआ है। विचार मात्र को ध्यान और आवश्यकता के परिसर से देशनिकाला देने की लगातार कोशिश हो रही है। ऐसे मुक़ाम पर इस वैचारिक बहुमुखी हस्तक्षेप का महत्त्व है।’’
—अशोक वाजपेयी
About Author
मदन सोनी
जन्म 1952; सागर, मध्यप्रदेश में।
पाँच आलोचना पुस्तकें प्रकाशित जिनमें ‘कविता का व्योम और व्योम की कविता’, ‘विषयान्तर’, ‘कथापुरुष’, ‘उत्प्रेक्षा’ और ‘विक्षेप’ शामिल। अनेक पुस्तकों और पत्रिकाओं का सम्पादन जिनमें आधुनिक हिन्दी की प्रेम कविताओं का संचयन ‘प्रेम के रूपक’, ‘अशोक वाजपेयी की चुनी हुई रचनाएँ’, शमशेर की कविता पर केन्द्रित आलोचना पुस्तक ‘समझ भी पाता तुम्हें यदि मैं’ और भारत भवन, भोपाल से प्रकाशित पत्रिका ‘पूर्वग्रह’ प्रमुख रूप से शामिल हैं। ‘टेमिंग ऑफ़ द थ्रू’ (शेक्सपीयर), ‘कॉकेशियन चाक सर्किल’ (ब्रेख़्त), ‘यरमा’ (लोर्का), ‘नैरो रोड टू द डीप नॉर्थ’ (एडवर्ड बॉण्ड), ‘द स्क्वेयर’ (मार्ग्रीत ड्यूगास) आदि नाटकों; ‘सिद्धार्थ’ (हरमन हेस), ‘द नेम ऑफ़ द रोज़’ (अम्बर्तो इको), ‘द वाइसेज़ फ़्रॉम चेर्नोबिल’ (इन्ग्रिड हुल्मेन), ‘द विंची कोड’ (डैन ब्राउन) आदि उपन्यासों; और एडवर्ड सईद की पुस्तक ‘रिप्रेजेंटेशंस ऑफ़ द इंटेलेक्चुअल’ समेत अनेक कृतियों का अंग्रेज़ी से हिन्दी में अनुवाद।
‘देवीशंकर अवस्थी पुरस्कार’, ‘नन्ददुलारे वाजपेयी पुरस्कार’, मानव संसाधन विकास मंत्रालय की वरिष्ठ शोधवृत्ति और रज़ा फ़ाउंडेशन, दिल्ली तथा उच्च अध्ययन संस्थान, नान्त (फ़्रांस) की फ़ेलोशिप प्राप्त।
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