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Khuli Ankhon Ka Sapna (PB)
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प्रस्तुत पुस्तक ‘खुली आँखों का सपना’ एक काल्पनिक उपन्यास है।
इस उपन्यास की कहानी एक मध्यमवर्गीय परिवार की माँ के इर्दगिर्द घूमती है जिसे अपने बेटे के लिए बहू खोजने के चक्कर में किन-किन समस्याओं और विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। इस गम्भीर समस्या को हास्य का ऐसा चोला पहनाने का प्रयास लेखिका द्वारा किया गया है कि पाठकगण हँसने को मजबूर हो जाएँगे।
उपन्यास में सरल, सारगर्भित व उत्कृष्ट भाषा का प्रयोग किया गया है जो जनसाधारण के लिए उपयुक्त है।
निश्चय ही पाठक जब इस उपन्यास को पढ़ना शुरू करेंगे तो अन्त तक पढ़ने को विवश हो जाएँगे।
प्रस्तुत पुस्तक ‘खुली आँखों का सपना’ एक काल्पनिक उपन्यास है।
इस उपन्यास की कहानी एक मध्यमवर्गीय परिवार की माँ के इर्दगिर्द घूमती है जिसे अपने बेटे के लिए बहू खोजने के चक्कर में किन-किन समस्याओं और विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। इस गम्भीर समस्या को हास्य का ऐसा चोला पहनाने का प्रयास लेखिका द्वारा किया गया है कि पाठकगण हँसने को मजबूर हो जाएँगे।
उपन्यास में सरल, सारगर्भित व उत्कृष्ट भाषा का प्रयोग किया गया है जो जनसाधारण के लिए उपयुक्त है।
निश्चय ही पाठक जब इस उपन्यास को पढ़ना शुरू करेंगे तो अन्त तक पढ़ने को विवश हो जाएँगे।
About Author
आरती पण्ड्या
जन्म : 1 जुलाई, 1949 (आगरा)।
शिक्षा : लखनऊ विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम.ए.।
अनुभव : साहित्य मनीषी श्री अमृतलाल नागर की सुपुत्री होने के नाते साहित्यिक माहौल में आँखें खोलीं। पुस्तकों से दोस्ती बचपन से रही। रंगमंच, रेडियो और टी.वी. से भी जुड़ाव। साथ ही छुट-पुट लेखन चलता रहा। लेकिन उपन्यास लिखने का यह पहला प्रयास। इसीलिए कोई गहन-गम्भीर विषय उठाने के बजाय हल्का विषय हाथ में लेना ही उचित समझा।
विवाह एक फ़ौजी से हुआ, इसलिए जीवन में सीखने को बहुत कुछ मिला। देश के अलग-अलग प्रदेशों में रहने और वहाँ के लोगों से मिलने के अनुभव तो हुए ही, साथ ही वायु सेना के लोगों के बीच रहकर एक सच्ची भारतीय होने का अहसास भी मन में घर कर गया। समस्त भारत दर्शन के बाद अब अपने पतिदेव के साथ एक अवकाश प्राप्त जीवन का आनन्द ले रही हैं।
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