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Rajkamal English Hindi Phrasal Dictionary (HB)
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अंग्रेज़ी-हिन्दी पदबन्ध कोश सामान्य पदबन्ध, क्रिया पदबन्ध, पूर्वसर्गीय पदबन्ध क्रियाएँ और मुहावरेदार पदबन्धों का एक संकलन है। ये पदबन्ध शब्दकोशों, पत्र-पत्रिकाओं, पाठ्यपुस्तकों, सामान्य ग्रन्थों आदि विभिन्न स्रोतों से एकत्रित किए गए हैं। इस कोश के निर्माण, सम्पादन और लेखन में मुझे कई वर्ष लग गए। ये पदबन्ध हमारे दैनिक जीवन में प्रायः लेखन और मौखिक सन्दर्भों में प्रयुक्त होते हैं।
सामान्यतः पदबन्ध बिना किसी कर्ता और पूर्ण क्रिया के शब्दों का एक समूह है। जब कोई क्रिया पूर्वसर्ग या सम्बन्धसूचक शब्द अथवा क्रिया-विशेषणपरक उपसर्ग धारण करती है तो उसे क्रिया पदबन्ध अथवा पदबन्धीय क्रिया कहते हैं। मुहावरेदार पदबन्ध और संयुक्त क्रिया अपने शाब्दिक अर्थ से परे विशेष अथवा मुहावरेदार अर्थ व्यक्त करती है।
विश्व बाज़ार में बहुत से पदबन्ध कोश तो उपलब्ध हैं किन्तु वे सभी मात्र एकभाषी हैं और उनमें कोई भी द्विभाषी नहीं मिलता। यदि संयोगवश कोई द्विभाषी कोश मिल भी जाता है तो उसमें केवल अर्थ ही होते हैं। उनमें वाक्य-प्रयोग नहीं होता। इस कोश में जो पदबन्धीय प्रविष्टियाँ दी गई हैं, उनके हिन्दी अर्थ तो दिए गए हैं साथ ही अंग्रेज़ी और हिन्दी दोनों भाषाओं में वाक्य प्रयोग भी दिए गए हैं। यह उल्लेखनीय है कि विभिन्न सन्दर्भों में उनके कई अर्थ हिन्दी में दिए गए हैं। इसके बाद अर्थ और सन्दर्भ के अनुसार अंग्रेज़ी में वाक्यों का प्रयोग है उस अंग्रेज़ी वाक्य का हिन्दी रूपान्तरण भी दिया गया है।
यह कोश न केवल विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के शैक्षिक समुदाय अर्थात् अध्यापकों और विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है वरन् जनसंचार और पत्रकारिता के सम्पादकों तथा संवाददाताओं के लिए अत्यन्त उपयोगी है। साथ ही, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी, प्रबन्धन, वाणिज्य एवं व्यापार, बैंकिंग, प्रशासन आदि क्षेत्रों और विषयों में कार्यरत विशेषज्ञों, अधिकारियों, हिन्दी अधिकारियों, अनुवादकों के लिए भी बहुत उपयोगी है। यह भारत और विश्व के अन्य देशों में विश्वविद्यालयों तथा उच्च शिक्षा संस्थानों के ग्रन्थालयों और पुस्तकालयों में सन्दर्भ पुस्तक के रूप में कारगर भूमिका निभा सकता है।
—प्रस्तावना से
अंग्रेज़ी-हिन्दी पदबन्ध कोश सामान्य पदबन्ध, क्रिया पदबन्ध, पूर्वसर्गीय पदबन्ध क्रियाएँ और मुहावरेदार पदबन्धों का एक संकलन है। ये पदबन्ध शब्दकोशों, पत्र-पत्रिकाओं, पाठ्यपुस्तकों, सामान्य ग्रन्थों आदि विभिन्न स्रोतों से एकत्रित किए गए हैं। इस कोश के निर्माण, सम्पादन और लेखन में मुझे कई वर्ष लग गए। ये पदबन्ध हमारे दैनिक जीवन में प्रायः लेखन और मौखिक सन्दर्भों में प्रयुक्त होते हैं।
सामान्यतः पदबन्ध बिना किसी कर्ता और पूर्ण क्रिया के शब्दों का एक समूह है। जब कोई क्रिया पूर्वसर्ग या सम्बन्धसूचक शब्द अथवा क्रिया-विशेषणपरक उपसर्ग धारण करती है तो उसे क्रिया पदबन्ध अथवा पदबन्धीय क्रिया कहते हैं। मुहावरेदार पदबन्ध और संयुक्त क्रिया अपने शाब्दिक अर्थ से परे विशेष अथवा मुहावरेदार अर्थ व्यक्त करती है।
विश्व बाज़ार में बहुत से पदबन्ध कोश तो उपलब्ध हैं किन्तु वे सभी मात्र एकभाषी हैं और उनमें कोई भी द्विभाषी नहीं मिलता। यदि संयोगवश कोई द्विभाषी कोश मिल भी जाता है तो उसमें केवल अर्थ ही होते हैं। उनमें वाक्य-प्रयोग नहीं होता। इस कोश में जो पदबन्धीय प्रविष्टियाँ दी गई हैं, उनके हिन्दी अर्थ तो दिए गए हैं साथ ही अंग्रेज़ी और हिन्दी दोनों भाषाओं में वाक्य प्रयोग भी दिए गए हैं। यह उल्लेखनीय है कि विभिन्न सन्दर्भों में उनके कई अर्थ हिन्दी में दिए गए हैं। इसके बाद अर्थ और सन्दर्भ के अनुसार अंग्रेज़ी में वाक्यों का प्रयोग है उस अंग्रेज़ी वाक्य का हिन्दी रूपान्तरण भी दिया गया है।
यह कोश न केवल विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के शैक्षिक समुदाय अर्थात् अध्यापकों और विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है वरन् जनसंचार और पत्रकारिता के सम्पादकों तथा संवाददाताओं के लिए अत्यन्त उपयोगी है। साथ ही, इंजीनियरिंग, प्रौद्योगिकी, प्रबन्धन, वाणिज्य एवं व्यापार, बैंकिंग, प्रशासन आदि क्षेत्रों और विषयों में कार्यरत विशेषज्ञों, अधिकारियों, हिन्दी अधिकारियों, अनुवादकों के लिए भी बहुत उपयोगी है। यह भारत और विश्व के अन्य देशों में विश्वविद्यालयों तथा उच्च शिक्षा संस्थानों के ग्रन्थालयों और पुस्तकालयों में सन्दर्भ पुस्तक के रूप में कारगर भूमिका निभा सकता है।
—प्रस्तावना से
About Author
कृष्ण कुमार गोस्वामी
जन्म : जुलाई, 1942
शिक्षा : एम.ए., एम.लिट्. (भाषाविज्ञान), पीएच.डी. (शैलीविज्ञान)।
विशेषज्ञता : भाषाविज्ञान, अनुवाद, कोशविज्ञान, शैलीविज्ञान, समाज भाषाविज्ञान, भाषाप्रौद्योगिकी, प्रयोजनमूलक हिन्दी और साहित्य।
प्रकाशित पुस्तकें : ‘शैक्षिक व्याकरण और व्यावहारिक हिन्दी’, ‘शैलीविज्ञान और रामचन्द्र शुक्ल की भाषा’, ‘प्रयोजनमूलक हिन्दी और कार्यालयी हिन्दी’, ‘भाषा के विविध रूप और अनुवाद’, ‘आधुनिक हिन्दी : विविध आयाम’, ‘Code Switching in Lahanda Speech Community : A Sociolinguistic Survey’, ‘अनुवादविज्ञान की भूमिका’, ‘हिन्दी का सामाजिक और भाषिक परिदृश्य’ आदि बारह पुस्तकें। सम्पादित : ‘साहित्य भाषा और साहित्य शिक्षण’, ‘दक्खिनी भाषा और साहित्य : विश्लेषण की दिशाएँ’, ‘जयशंकर प्रसाद : मूल्यांकन और मूल्यांकन’, ‘सागर मंथन : विवेचन और विश्लेषण’, ‘भारत की राजभाषा नीति’, ‘अनुवाद मूल्यांकन’, ‘अनुवाद की नई परम्परा और आयाम’ आदि।
सहसम्पादित : ‘अनुवाद सिद्धान्त और समस्याएँ’, ‘कार्यालयी अनुवाद की समस्याएँ’, ‘अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान’, ‘Translation and Interpreting’ आदि।
कोश : ‘अंग्रेज़ी-पंजाबी : पंजाबी-अंग्रेज़ी शब्दकोश’, ‘अंग्रेज़ी-हिन्दी शब्दकोश’।
शैक्षिक विदेश-यात्रा : अमेरिका, स्वीडेन, डेनमार्क, मॉरीशस, दक्षिण अफ़्रीका, यूएई, नेपाल।
शैक्षिक सदस्यता : भारत सरकार, विश्वविद्यालयों और अनेक शैक्षिक संस्थाओं की समितियों में सक्रिय सदस्य।
शैक्षिक सेवा : प्रोफ़ेसर, विभागाध्यक्ष और क्षेत्रीय निदेशक, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान; प्रोफ़ेसर और विभागाध्यक्ष, उच्च शिक्षा और शोध संस्थान तथा प्रोफ़ेसर एवं सलाहकार, प्रगत संगणक विकास केन्द्र (C-DAC)।
निधन : 23 अप्रैल, 2021
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