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Dastan Mughal Badshahon Ki (HB)
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इतिहास के समकालीन पन्ने भी सामान्य पाठक और हिन्दी माध्यम वाले छात्रों के लिए खुलें तो इतिहास के अवसान की घोषणा करनेवालों की आवाज़ मन्द ही नहीं पड़ेगी, अपितु बन्द ही हो जाएगी। इतिहास नई ताज़गी के साथ जीवित रहे, उसके लिए भी वापस उसी विषय की निगाह से उसे फिर देखा जाए, जिसके साथ वह 19वीं सदी तक चलता रहा था, जब तक इसका वर्गीकरण इस प्रकार से नहीं हुआ था। मॉमसेन के विषय में हम सब जानते हैं जिस इतिहासकार को उसकी कृति रोम के इतिहास पर 20वीं सदी के पहले दशक के अन्त में साहित्य का ‘नोबेल पुरस्कार’ मिला था, उसी तरह का इतिहास दिलचस्प भी होगा और अपने तथ्यों के साथ ईमानदार भी होगा।
इतिहास के समकालीन पन्ने भी सामान्य पाठक और हिन्दी माध्यम वाले छात्रों के लिए खुलें तो इतिहास के अवसान की घोषणा करनेवालों की आवाज़ मन्द ही नहीं पड़ेगी, अपितु बन्द ही हो जाएगी। इतिहास नई ताज़गी के साथ जीवित रहे, उसके लिए भी वापस उसी विषय की निगाह से उसे फिर देखा जाए, जिसके साथ वह 19वीं सदी तक चलता रहा था, जब तक इसका वर्गीकरण इस प्रकार से नहीं हुआ था। मॉमसेन के विषय में हम सब जानते हैं जिस इतिहासकार को उसकी कृति रोम के इतिहास पर 20वीं सदी के पहले दशक के अन्त में साहित्य का ‘नोबेल पुरस्कार’ मिला था, उसी तरह का इतिहास दिलचस्प भी होगा और अपने तथ्यों के साथ ईमानदार भी होगा।
About Author
हेरम्ब चतुर्वेदी
जन्म : दिसम्बर 31, 1955; इन्दौर, म.प्र.। निवासी—होलीपुरा, आगरा।
अध्यापन : 14 जनवरी, 1980 से इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में अध्यापन।
कृतित्व : ‘सल्तनतकालीन प्रमुख इतिहासकार’, ‘अभिव्यक्ति’, ‘फ़्रांस का इतिहास’, ‘मध्यकालीन इतिहास के स्रोत’ (वर्ष 2003 में ‘उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान’ के ‘आचार्य नरेन्द्रदेव पुरस्कार’ से सम्मानित), ‘मध्यकालीन भारत में राज्य एवं राजनीति’ (वर्ष 2005 में ‘उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान’ के ‘आचार्य नरेन्द्रदेव पुररकार’ से सम्मानित), ‘द इलाहाबाद स्कूल ऑफ़ हिस्ट्री’, ‘चतुर्वेदीज़ ऑफ़ इंडिया : द मथुरा क्लान’, ‘लाला सीताराम ‘भूप’’ (इतिहास); ‘दो सुल्तान, दो बादशाह’, ‘दास्तान मुग़ल महिलाओं की’ (‘बी.बी.सी.’, लन्दन द्वारा 2013 की सर्वश्रेष्ठ हिन्दी पुस्तकों की सूची में शामिल), ‘दास्तान मुग़ल बादशाहों की’ (ऐतिहासिक कहानियों का संकलन); ‘मुग़ल शहज़ादा खुसरू’ (ऐतिहासिक उपन्यास); ‘हिन्दी के बहाने’, ‘एक दौर यह भी’ (काव्य-संकलन)। शोध-पत्रिकाओं में लगभग 75 शोध-पत्र प्रकाशित। ‘कादम्बिनी’, ‘साहित्य अमृत’, ‘संडे ऑब्जर्बर’, ‘दिनमान टाइम्स’, ‘नया ज्ञानोदय’, ‘मनोरमा’ में लेख आदि प्रकाशित। रेडियो, दूरदर्शन के नियमित वार्ताकार।
सम्प्रति : इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में 2001 से प्रोफ़ेसर एवं पूर्व अध्यक्ष।
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