JIVAN JAISA JIYA (HB)

Publisher:
Rajkamal Prakashan
| Author:
CHANDRASHEKHAR
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal Prakashan
Author:
CHANDRASHEKHAR
Language:
Hindi
Format:
Hardback

557

Save: 30%

In stock

Ships within:
3-5 days

In stock

Weight 340 g
Book Type

ISBN:
SKU 9788126704705 Category Tag
Category:
Page Extent:
220

पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर की यह आत्मकथा सिर्फ उनकी निजी जि़न्दगी की कहानी नहीं है। यह उनके समय का प्रामाणिक दस्तावेज़ भी है। वे आजादी के बाद की निर्णायक राजनैतिक घटनाओं से जुड़े रहे। उन घटनाओं को एक निश्चित दिशा देने में उन्होंने ऐतिहासिक भूमिका भी निभाई। इसलिए उनकी इस आत्मकथा में उनके दौर का अनुद्घाटित इतिहास सुरक्षित है। अपने समय के अनेक व्यक्तित्वों और घटनाओं के बारे में उन्होंने ऐसी जानकारियाँ भी दी हैं जिनसे समकालीन राजनैतिक-सामाजिक इतिहास को समझने के लिए नए तथ्य प्राप्त होते हैं। बलिया के एक किसान परिवार में जनमे चन्द्रशेखर अपनी जीवन-यात्रा में अनेक पड़ावों से गुजरे। स्वाधीनता-आन्दोलन में शिरकत की। आजादी के बाद समाजवाद के लिए चलाए जानेवाले संघर्ष को आगे बढ़ाया। कांग्रेस को प्रगतिशील बनाने के लिए नए कार्यक्रम रखे। आपातकाल की जेल-यात्रा के बाद जनता पार्टी के पहले अध्यक्ष बने। जनता दल की सरकार के जाने के बाद देश के प्रधानमंत्री पद पर पहुँचे और समझौताविहीन व्यक्तित्व के कारण अन्तत: इस्तीफा दिया। उदारीकरण और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के नव साम्राज्यवाद का वे विरोध करते रहे। उनकी इस आत्मकथा में बाहरी संसार के अलावा उनके व्यक्तित्व की गहरी संवेदनशीलता और मानवीय पक्ष का वृत्तान्त भी शामिल है। हिन्दी में आत्मकथा साहित्य की परम्परा में चन्द्रशेखर की यह आत्मकथा एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “JIVAN JAISA JIYA (HB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर की यह आत्मकथा सिर्फ उनकी निजी जि़न्दगी की कहानी नहीं है। यह उनके समय का प्रामाणिक दस्तावेज़ भी है। वे आजादी के बाद की निर्णायक राजनैतिक घटनाओं से जुड़े रहे। उन घटनाओं को एक निश्चित दिशा देने में उन्होंने ऐतिहासिक भूमिका भी निभाई। इसलिए उनकी इस आत्मकथा में उनके दौर का अनुद्घाटित इतिहास सुरक्षित है। अपने समय के अनेक व्यक्तित्वों और घटनाओं के बारे में उन्होंने ऐसी जानकारियाँ भी दी हैं जिनसे समकालीन राजनैतिक-सामाजिक इतिहास को समझने के लिए नए तथ्य प्राप्त होते हैं। बलिया के एक किसान परिवार में जनमे चन्द्रशेखर अपनी जीवन-यात्रा में अनेक पड़ावों से गुजरे। स्वाधीनता-आन्दोलन में शिरकत की। आजादी के बाद समाजवाद के लिए चलाए जानेवाले संघर्ष को आगे बढ़ाया। कांग्रेस को प्रगतिशील बनाने के लिए नए कार्यक्रम रखे। आपातकाल की जेल-यात्रा के बाद जनता पार्टी के पहले अध्यक्ष बने। जनता दल की सरकार के जाने के बाद देश के प्रधानमंत्री पद पर पहुँचे और समझौताविहीन व्यक्तित्व के कारण अन्तत: इस्तीफा दिया। उदारीकरण और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के नव साम्राज्यवाद का वे विरोध करते रहे। उनकी इस आत्मकथा में बाहरी संसार के अलावा उनके व्यक्तित्व की गहरी संवेदनशीलता और मानवीय पक्ष का वृत्तान्त भी शामिल है। हिन्दी में आत्मकथा साहित्य की परम्परा में चन्द्रशेखर की यह आत्मकथा एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।

About Author

चन्द्रशेखर 17 अप्रैल, 1927 को बलिया जिले के इब्राहीम पट्टी गाँव में जन्म। पिता : सदानन्द सिंह, माँ : द्रौपदी देवी। 1945 में द्विजा देवी से विवाह। 1947 में माँ का निधन। आरम्भिक शिक्षा गाँव में। 1949 में बलिया के सतीश चन्द्र कॉलेज से बी.ए.। 1951 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीतिशास्त्र में एम.ए.। इसी वर्ष शोध-कार्य के दौरान आचार्य नरेन्द्रदेव के कहने पर बलिया जिला सोशलिस्ट पार्टी के मंत्री बने। 1955 में प्रदेश सोशलिस्ट पार्टी के महामंत्री। 1962 में राज्यसभा के लिए चुने गए। 1964 में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। 1967 में कांग्रेस संसदीय दल के मंत्री। 1969 के बाद लगातार कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य। 1972 में हाईकमान के निर्देश के विरुद्ध लड़कर शिमला अधिवेशन में चुनाव समिति के सदस्य चुने गए। 26 जून, 1975 को आपातकाल लागू होने पर गिरफ्तारी। 19 महीने जेल में। 1977 में जनता पार्टी के अध्यक्ष। इसी वर्ष बलिया से लोकसभा के लिए चुने गए। 1990 की 10 जनवरी को प्रधानमंत्री बने। 1991 के 11 मार्च को त्यागपत्र। लेकिन राष्ट्रपति के अनुरोध पर 20 जून, 1991 तक पद पर रहे। 12 दिसम्बर, 1995 को सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार। 2004 में बलिया से पुन: लोकसभा के लिए निर्वाचित। 2007 की 8 जुलाई को निधन। प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ : मेरी जेल डायरी, डायनेमिक्स ऑफ सोशल चेंज, जीवन जैसा जिया (आत्मकथा), रहबरी के सवाल, चन्द्रशेखर से संवाद और सर्वश्रेष्ठ सांसद चन्द्रशेखर ।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “JIVAN JAISA JIYA (HB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED