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Yugdrashta Sayajirao
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Baba Bhand
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Baba Bhand
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹500 ₹375
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In stock
Book Type |
---|
ISBN:
Categories: Biography & Memoir, Hindi
Page Extent:
248
महाराष्ट्र के एक साधारण देहात के किसान के अनपढ़ बेटे का सहसा बड़ौदा-नरेश बनकर स्वतंत्रता-पूर्व हिंदुस्तान की रियासतों के महाराजाओं का सरताज बन जाना और राजनीति, प्रशासन, समाजनीति तथा संस्कृति के क्षेत्रों में आधुनिकता के पदचिह्न छोड़ जाना किसी अद्भुत आयान से कम नहीं है। राजतंत्र को प्रजातंत्र में ढालने के लिए जनता को मताधिकार, ग्राम पंचायत की स्थापना, विधि का समाजीकरण, अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा, वाचनालय, ग्रंथमाला चलाना, पत्रकारिता, व्यायामशाला जैसी कई योजनाएँ चलाईं। अस्पृश्यता, बँधुआ मजदूरी, बाल-विवाह आदि के विरोध में समाज-सुधारकों का साथ दिया। राज्य में समृद्धि लाने के लिए भूमिसुधार, जलनीति, स्वास्थ्य, व्यवसाय-कौशल, आदिवासियों की सहायता आदि के द्वारा पारदर्शी प्रशासन का आदर्श उपस्थित किया। साहित्य, संगीत, चित्र, नृत्य आदि कलाओं को प्रोत्साहित किया। कई बार यूरोप जाकर आधुनिकता के रूपों की पहचान की और उसे अपनी रियासत में आजमाया। बड़ी बात यह कि अंग्रेजी साम्राज्यवाद के विरोध में आजादी के क्रांतिकारियों की हर तरह से सहायता की। दस्तावेजों के विपुल भंडार को खँगालकर बाबा भांड ने सयाजीराव महाराज गायकवाड़ के इस औपन्यासिक चरित्र को साकार करते हुए उनके पारिवारिक और आंतरिक भावजीवन का जो संवेदनशील जायजा लिया है, उससे ‘सयाजीराव गायकवाड़ महाराज’ का यह आयान जीवंत हो उठा है। —निशिकांत ठकार|
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Description
महाराष्ट्र के एक साधारण देहात के किसान के अनपढ़ बेटे का सहसा बड़ौदा-नरेश बनकर स्वतंत्रता-पूर्व हिंदुस्तान की रियासतों के महाराजाओं का सरताज बन जाना और राजनीति, प्रशासन, समाजनीति तथा संस्कृति के क्षेत्रों में आधुनिकता के पदचिह्न छोड़ जाना किसी अद्भुत आयान से कम नहीं है। राजतंत्र को प्रजातंत्र में ढालने के लिए जनता को मताधिकार, ग्राम पंचायत की स्थापना, विधि का समाजीकरण, अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा, वाचनालय, ग्रंथमाला चलाना, पत्रकारिता, व्यायामशाला जैसी कई योजनाएँ चलाईं। अस्पृश्यता, बँधुआ मजदूरी, बाल-विवाह आदि के विरोध में समाज-सुधारकों का साथ दिया। राज्य में समृद्धि लाने के लिए भूमिसुधार, जलनीति, स्वास्थ्य, व्यवसाय-कौशल, आदिवासियों की सहायता आदि के द्वारा पारदर्शी प्रशासन का आदर्श उपस्थित किया। साहित्य, संगीत, चित्र, नृत्य आदि कलाओं को प्रोत्साहित किया। कई बार यूरोप जाकर आधुनिकता के रूपों की पहचान की और उसे अपनी रियासत में आजमाया। बड़ी बात यह कि अंग्रेजी साम्राज्यवाद के विरोध में आजादी के क्रांतिकारियों की हर तरह से सहायता की। दस्तावेजों के विपुल भंडार को खँगालकर बाबा भांड ने सयाजीराव महाराज गायकवाड़ के इस औपन्यासिक चरित्र को साकार करते हुए उनके पारिवारिक और आंतरिक भावजीवन का जो संवेदनशील जायजा लिया है, उससे ‘सयाजीराव गायकवाड़ महाराज’ का यह आयान जीवंत हो उठा है। —निशिकांत ठकार|
About Author
बाबा भांड जन्म : 1949 में औरंगाबाद (महा.) के देहात में। शिक्षा : अंग्रेजी साहित्य में एम.ए.। कृतित्व : कुछ बरसों तक अध्यापक रहे। विगत 42 बरसों से प्रकाशन तथा रचनाकर्म से जुड़े हैं। पहले धारा प्रकाशन, फिर साकेत प्रकाशन प्रा.लि. की ओर से अब तक 1800 से अधिक मराठी पुस्तकों का प्रकाशन किया है। छात्र जीवन में ही स्काउट प्रतिनिधि के रूप में दस यूरोपीय देशों की यात्रा कर ‘लागेबाँधे’ नामक यात्रावृ लिखा। तब से अब तक काजोल, जरंगा, पांढर्या हाची गोष्ट, पांगोरे, पारंया, झेलम ते बियास, कायापालट, कोसलाबद्दल, मलाला, लोकपाल राजा सयाजीराव आदि उपन्यास, कहानी-संग्रह, यात्रा-वृंत, बाल-साहित्य की 85 पुस्तकें प्रकाशित। बाल-उपन्यास ‘धर्मा’ का पच्चीसवाँ संस्करण पिछले वर्ष प्रकाशित हुआ। सम्मान-पुरस्कार : अब तक 25 प्रतिष्ठित पुरस्कारों से विभूषित। अकेले ‘दशक्रिया’ उपन्यास आधे दर्जन से अधिक पुरस्कारों से सम्मानित। दशक्रिया उपन्यास पर उसी नाम की राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त फिल्म बनी। जननायक तंटया भील के जीवन-चरित्र पर लिखा उपन्यास ‘सर्जन के सहारे’ इतिहास की पुनर्रचना का महवपूर्ण दस्तावेज माना जाता है। साहित्य अकादमी, महाराष्ट्र सरकार के बारह पुरस्कार। संप्रति : महाराष्ट्र साहित्य संस्कृति मंडल के अध्यक्ष तथा महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ चरित्र साधने प्रकाशन समिति के सचिव।
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