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Nyayapalika ke Bahuaayam
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Dr. Prabhat Kumar
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Weight | 463 g |
---|---|
Book Type |
ISBN:
Page Extent:
258
स्वतंत्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका किसी भी देश के व्यवस्थित जीवन की आवश्यक शर्त है, इसके बिना सभ्य राज्य की कल्पना नहीं की जा सकती। न्यायपालिका सरकार का तीसरा सबसे महत्त्वपूर्ण अंग है। संविधान निर्माताओं ने स्वतंत्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका की स्थापना की है। न्यायपालिका देश के संविधान एवं मौलिक अधिकारों की रक्षा करती है, आवश्यकता पड़ने पर कानूनों की व्याख्या करती है। प्रस्तुत पुस्तक को 9 अध्यायों में बाँटा गया है। प्रथम अध्याय में भारत में ब्रिटिश न्याय व्यवस्था, द्वितीय में सर्वोच्च न्यायालय, तृतीय में उच्च न्यायालय, चौथे में न्यायिक पुनरावलोकन, पाँचवें में जनहित याचिका एवं न्यायिक सक्रियता, छठे में अधीनस्थ न्यायालय, सातवें में न्यायपालिका पर उठते प्रश्न, आठवें में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय व निर्देश तथा नौवें में न्याय व्यवस्था से जुड़े विभिन्न लेख दिए गए हैं। न्यायपालिका के विविध आयामों पर प्रस्तुत यह संपूर्ण पुस्तक सुधी पाठकों विशेषकर स्नातक, परास्नातक एवं विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी सिद्ध होगी|
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Description
स्वतंत्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका किसी भी देश के व्यवस्थित जीवन की आवश्यक शर्त है, इसके बिना सभ्य राज्य की कल्पना नहीं की जा सकती। न्यायपालिका सरकार का तीसरा सबसे महत्त्वपूर्ण अंग है। संविधान निर्माताओं ने स्वतंत्र एवं निष्पक्ष न्यायपालिका की स्थापना की है। न्यायपालिका देश के संविधान एवं मौलिक अधिकारों की रक्षा करती है, आवश्यकता पड़ने पर कानूनों की व्याख्या करती है। प्रस्तुत पुस्तक को 9 अध्यायों में बाँटा गया है। प्रथम अध्याय में भारत में ब्रिटिश न्याय व्यवस्था, द्वितीय में सर्वोच्च न्यायालय, तृतीय में उच्च न्यायालय, चौथे में न्यायिक पुनरावलोकन, पाँचवें में जनहित याचिका एवं न्यायिक सक्रियता, छठे में अधीनस्थ न्यायालय, सातवें में न्यायपालिका पर उठते प्रश्न, आठवें में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय व निर्देश तथा नौवें में न्याय व्यवस्था से जुड़े विभिन्न लेख दिए गए हैं। न्यायपालिका के विविध आयामों पर प्रस्तुत यह संपूर्ण पुस्तक सुधी पाठकों विशेषकर स्नातक, परास्नातक एवं विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी सिद्ध होगी|
About Author
डॉ. प्रभात कुमार एसोशिएट प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष, राजनीति विज्ञान रोवर एवं सांस्कृतिक प्रभारी, किसान पी.जी. कॉलेज सिम्मावली, हापुड़ (उ.प्र.)। शिक्षा: इंटर तक नेतरहाट आवासीय विद्यालय (झारखंड) से। तदुपरांत बी.ए. प्रतिष्ठा (राजनीति विज्ञान), एम.ए. (राजनीति विज्ञान), एम.फिल (राजनीति विज्ञान), दिल्ली विश्वविद्यालय से। पी-एच.डी. (राजनीति विज्ञान), चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से। डिप्लोमा: ह्यूमन राइट्स, इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी, दिल्ली से। लेखन, पेंटिंग, बागवानी, समाजसेवा एवं सृजनात्मक कार्यों में रुचि। एयर इंडिया टीचर्स बोल्ड अवार्ड, ग्लोबल टीचर रोल मॉडल अवार्ड, अंबेडकर ज्योति पुरस्कार, भारतीय बौद्ध महासम्मान, ज्योतिरत्न अलंकरण आदि से सम्मानित। प्रकाशित पुस्तकें: भारत के युग-पुरुष, भारत: एक राष्ट्र, स्वतंत्रता संग्राम और गांधी, राष्ट्रमनीषी पं. दीनदयाल उपाध्याय: वंचित समाज के प्रणेता, भारतीय संविधान एवं राज्य व्यवस्था, विद्यार्थी कैसे सफल हों, भारतीय संविधान: एक परिचय, स्वाधीनता आंदोलन की अग्रणी महिलाएँ। प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में लेख एवं निबंध प्रकाशित।
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