Yuddh Mein Jeevan Hard Cover

Publisher:
Radhakrishna Prakashan
| Author:
Pratibha Chauhan
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Radhakrishna Prakashan
Author:
Pratibha Chauhan
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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‘…क्योंकि जितना सह लेता है आदमी/उतना लिख नहीं पाता’‘युद्ध में जीवन’ सत्ताधारियों की उन महत्त्वाकांक्षाओं पर एक टिप्पणी है जिनसे युद्ध जन्म लेते हैं और मानवता के सदियों से सँजोए, फलते-फूलते स्वप्न पल-भर में ध्वस्त हो जाते हैं। अपने समय की जीवन-विरोधी मुद्राओं को बहुत गम्भीरता और जिम्मेदारी से समझने वाली कवि प्रतिभा चौहान के इस नए संग्रह का आरम्भ उन्हीं कविताओं से होता है जिनका विषय युद्ध है।युद्ध उन्हें व्यथित करता है, दुख से भर देता है, लेकिन वे हताश नहीं होतीं। उनका कवि-मन जानता है कि तथाकथित विजेताओं का ख़बरची जब बताता है कि सरहद के उस पार सब ख़त्म हो चुका है, तब भी कोई बच्चा जिसके दोनों हाथ युद्ध की भेंट चढ़ चुके हैं, पानी में गिरी एक चींटी को बचाने की कोशिश में लगा रहता है—युद्ध से अप्रभावित, परे व शुद्ध।‘युद्ध में जीवन’ का एक अर्थ यह भी है। जीवन जिसमें प्रेम होता है, रोज़मर्रा के संघर्ष होते हैं, प्रकृति के अनेक-अनेक रंग होते हैं—कभी डरावने, कभी दिलफ़रेब, लेकिन फिर भी उस युद्ध से बेहतर जिसका हासिल सिर्फ़ शून्य होता है।संग्रह में कुछ कविताएँ जीवन के निजी और नम अहसासों की ओर भी इशारा करती हैं जिन्हें हम अपनी इच्छाओं, कामनाओं और उदासियों के बीच सँजोते जाते हैं। कुछ अनुभव, कुछ सबक, कुछ दुख जब कितने हवाओं के झोंके प्यासे ही लौट जाते हैं। एक अनकहे चश्मे की तलाश में और वह प्रेम जो मुझे लिखता रहा / और‍ मिटाता रहा / लिखने और मिटाने के क्रम में / उसने मुझे ग्रन्थ बना दिया।ऐसी ही काव्यात्मक अभिव्यक्तियों और याद रह जानेवाली कविताओं का संग्रह है ‘युद्ध में जीवन’!

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‘…क्योंकि जितना सह लेता है आदमी/उतना लिख नहीं पाता’‘युद्ध में जीवन’ सत्ताधारियों की उन महत्त्वाकांक्षाओं पर एक टिप्पणी है जिनसे युद्ध जन्म लेते हैं और मानवता के सदियों से सँजोए, फलते-फूलते स्वप्न पल-भर में ध्वस्त हो जाते हैं। अपने समय की जीवन-विरोधी मुद्राओं को बहुत गम्भीरता और जिम्मेदारी से समझने वाली कवि प्रतिभा चौहान के इस नए संग्रह का आरम्भ उन्हीं कविताओं से होता है जिनका विषय युद्ध है।युद्ध उन्हें व्यथित करता है, दुख से भर देता है, लेकिन वे हताश नहीं होतीं। उनका कवि-मन जानता है कि तथाकथित विजेताओं का ख़बरची जब बताता है कि सरहद के उस पार सब ख़त्म हो चुका है, तब भी कोई बच्चा जिसके दोनों हाथ युद्ध की भेंट चढ़ चुके हैं, पानी में गिरी एक चींटी को बचाने की कोशिश में लगा रहता है—युद्ध से अप्रभावित, परे व शुद्ध।‘युद्ध में जीवन’ का एक अर्थ यह भी है। जीवन जिसमें प्रेम होता है, रोज़मर्रा के संघर्ष होते हैं, प्रकृति के अनेक-अनेक रंग होते हैं—कभी डरावने, कभी दिलफ़रेब, लेकिन फिर भी उस युद्ध से बेहतर जिसका हासिल सिर्फ़ शून्य होता है।संग्रह में कुछ कविताएँ जीवन के निजी और नम अहसासों की ओर भी इशारा करती हैं जिन्हें हम अपनी इच्छाओं, कामनाओं और उदासियों के बीच सँजोते जाते हैं। कुछ अनुभव, कुछ सबक, कुछ दुख जब कितने हवाओं के झोंके प्यासे ही लौट जाते हैं। एक अनकहे चश्मे की तलाश में और वह प्रेम जो मुझे लिखता रहा / और‍ मिटाता रहा / लिखने और मिटाने के क्रम में / उसने मुझे ग्रन्थ बना दिया।ऐसी ही काव्यात्मक अभिव्यक्तियों और याद रह जानेवाली कविताओं का संग्रह है ‘युद्ध में जीवन’!

About Author

प्रतिभा चौहान
प्रतिभा चौहान का जन्म 10 जुलाई, 1976 को शाहजहाँपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ। उन्होंने रुहेलखंड विश्वविद्यालय, बरेली, उत्तर प्रदेश से एम.ए. (इतिहास), एल.एल.बी. की उपाधि प्राप्त की।
उनकी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशित होती रही हैं। उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, गांधी स्मृति दर्शन समिति एवं महिला एवं बाल अधिकारों के संरक्षण, शान्ति व सौहार्द के लिए लेखन किया है। कई भाषाओं में उनकी कविताओं के अनुवाद भी हुए हैं।
उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं—‘जंगलों में पगडंडियाँ’, ‘पेड़ों पर हैं मछलियाँ’, ‘बारहखड़ी से बाहर’ (कविता-संग्रह)।
उन्हें ‘लक्ष्मीकान्त मिश्र स्मृति सम्मान’ (2018), ‘राम प्रसाद बिस्मिल सम्मान’ (2018), ‘स्वयंसिद्धा सृजन सम्मान’ (2019), ‘तिलकामांझी राष्ट्रीय सम्मान’ (2020), ‘IECSME वुमन एक्स्लेन्सी अवॉर्ड’ (2021), ‘निराला स्मृति सम्मान’ (2022), ‘अन्तरराष्ट्रीय तथागत सम्मान’ (2023) से सम्मानित किया गया है।
सम्प्रति : अपर जिला न्यायाधीश, बिहार न्यायिक सेवा।
ई-मेल : cjpratibha.singh@gmail.com

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