SaleHardback
Krantiveer Bhagat Singh : 'Abhyudaya' Aur 'Bhavishya' (PB)
₹599 ₹509
Save: 15%
Yog Vigyan (PB)
₹199 ₹198
Save: 1%
Yog Vigyan (HB)
Publisher:
Radhakrishna Prakashan
| Author:
Chandrabhanu Gupt
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Radhakrishna Prakashan
Author:
Chandrabhanu Gupt
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹595 ₹476
Save: 20%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9788183616096
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
भारतीय मनीषियों ने सतत चिन्तन, मनन और आध्यात्मिक ज्ञान के आधार पर मानव जीवन के कल्याण हेतु अनेक विधियाँ विकसित की हैं, उन विधियों में से एक है—‘योग’। योग वह विद्या है, जो हमें स्वस्थ जीवन जीने की कला सिखाती है और असाध्य रोगों से बचाती है। यह हमें अपने लिए नहीं, बल्कि सबके लिए जीने का सन्देश देती है।
योग के अनेक भाग माने जाते हैं—राजयोग, हठयोग, कुंडलिनीयोग, नादयोग, सिद्धयोग, बुद्धियोग, लययोग, शिवयोग, ध्यानयोग, समाधियोग, सांख्ययोग, मृत्युंजययोग, प्रेमयोग, विरहयोग, भृगुयोग, ऋजुयोग, तारकयोग, मंत्रयोग, जपयोग, प्रणवयोग, स्वरयोग आदि; पर मुख्यत: अध्यात्म के हिसाब से तीन ही योग माने गए हैं—कर्मयोग, भक्तियोग और ज्ञानयोग। शास्त्र के अनुसार योग के आठ अंग हैं—यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान एवं समाधि। इनमें प्रथम चार—यम, नियम, आसन और प्राणायाम हठयोग का अंग हैं। शेष चार—प्रत्याहार, धारणा, ध्यान एवं समाधि राजयोग हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में अनुभवी योगाचार्य चन्द्रभानु गुप्त द्वारा योग के व्यावहारिक और सैद्धान्तिक पक्षों की सम्पूर्ण जानकारी के अलावा सूर्य नमस्कार, चन्द्र नमस्कार, स्वरोदय विज्ञान, मुद्राविज्ञान के अतिरिक्त विशेष रूप से सामान्य रोगों के लिए उपचार (आहार, आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक) पर भी जानकारी दी गई है, जो आम तौर पर योग की अन्य पुस्तकों में नहीं होती ।
Be the first to review “Yog Vigyan (HB)” Cancel reply
Description
भारतीय मनीषियों ने सतत चिन्तन, मनन और आध्यात्मिक ज्ञान के आधार पर मानव जीवन के कल्याण हेतु अनेक विधियाँ विकसित की हैं, उन विधियों में से एक है—‘योग’। योग वह विद्या है, जो हमें स्वस्थ जीवन जीने की कला सिखाती है और असाध्य रोगों से बचाती है। यह हमें अपने लिए नहीं, बल्कि सबके लिए जीने का सन्देश देती है।
योग के अनेक भाग माने जाते हैं—राजयोग, हठयोग, कुंडलिनीयोग, नादयोग, सिद्धयोग, बुद्धियोग, लययोग, शिवयोग, ध्यानयोग, समाधियोग, सांख्ययोग, मृत्युंजययोग, प्रेमयोग, विरहयोग, भृगुयोग, ऋजुयोग, तारकयोग, मंत्रयोग, जपयोग, प्रणवयोग, स्वरयोग आदि; पर मुख्यत: अध्यात्म के हिसाब से तीन ही योग माने गए हैं—कर्मयोग, भक्तियोग और ज्ञानयोग। शास्त्र के अनुसार योग के आठ अंग हैं—यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान एवं समाधि। इनमें प्रथम चार—यम, नियम, आसन और प्राणायाम हठयोग का अंग हैं। शेष चार—प्रत्याहार, धारणा, ध्यान एवं समाधि राजयोग हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में अनुभवी योगाचार्य चन्द्रभानु गुप्त द्वारा योग के व्यावहारिक और सैद्धान्तिक पक्षों की सम्पूर्ण जानकारी के अलावा सूर्य नमस्कार, चन्द्र नमस्कार, स्वरोदय विज्ञान, मुद्राविज्ञान के अतिरिक्त विशेष रूप से सामान्य रोगों के लिए उपचार (आहार, आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक) पर भी जानकारी दी गई है, जो आम तौर पर योग की अन्य पुस्तकों में नहीं होती ।
About Author
योगाचार्य चन्द्रभानु गुप्त
जन्म : बिहार के पटना ज़िले में।
शिक्षा : पटना विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक।
भारतीय रेलवे सेवा में 36 वर्षों तक विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे। इस दौरान उनका रुझान खेल के प्रति अवश्य हुआ, लेकिन योग के प्रति कोई विशेष लगाव नहीं था।
सेवा निवृत्ति के पश्चात् गंगोत्री, बद्रीनाथ, उत्तर काशी, केदारनाथ आदि विभिन्न स्थानों की यात्रा के दौरान जब उनका विभिन्न सन्त-महात्माओं से परिचय बढ़ा, तब उन्हीं के सान्निध्य में वह योग की ओर प्रेरित हुए तथा उनसे कई तरह की योग सम्बन्धी जानकारियाँ प्राप्त कीं।
चन्द्रभानु गुप्त ने अपनी उन्हीं जानकारियों को शब्द दिए हैं इस महत्त्वपूर्ण पुस्तक में।
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Yog Vigyan (HB)” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Reviews
There are no reviews yet.