Vanodeya (HB)

Publisher:
Radhakrishna Prakashan
| Author:
Maruti Chitampalli, Tr. Prakash Bhatambrekar
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Radhakrishna Prakashan
Author:
Maruti Chitampalli, Tr. Prakash Bhatambrekar
Language:
Hindi
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Hardback

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वनोदेय वनसम्पदा प्रकृति का अनोखा उपहार है। वर्षा-पानी, कृषि, पशुपालन आदि अन्य उद्योग भी जंगलों के साथ अभिन्न रूप से जुड़े हैं। प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से कई प्रकार के लाभ जंगलों से हमें प्राप्त होते हैं। भारतीय आध्यात्मिक जीवन-दर्शन एवं चिन्तन के पवित्र तथा उदात्त केन्द्र माने जाते हैं ये। इन्हीं सब विशेषताओं के मद्देनज़र अनादि काल से वनांचल बहुमूल्य धरोहर माने जाते रहे हैं।
किन्तु विगत कुछेक दर्शकों से हमने इस धरोहर की रक्षा की और पर्याप्त ध्यान नहीं दिया और अभी भी हम इस ओर अनदेखी ही कर रहे हैं। हम जंगलों की निरन्तर नोच-खसोट और हत्या इतनी निर्ममता से कर रहे हैं कि इससे हमारी सहृदयता पर बड़े-बड़े प्रश्नचिन्ह लगते ही जा रहे हैं।
प्रकृति के प्रति यह कृतघ्नता अन्ततः समूची मानवता के विनाश का कारण बन सकती है। दुनिया पर मँडरा रहे इन्हीं ख़तरों के बादलों की ओर ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास इस पुस्तक के ज़रिए किया गया है।

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Description

वनोदेय वनसम्पदा प्रकृति का अनोखा उपहार है। वर्षा-पानी, कृषि, पशुपालन आदि अन्य उद्योग भी जंगलों के साथ अभिन्न रूप से जुड़े हैं। प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से कई प्रकार के लाभ जंगलों से हमें प्राप्त होते हैं। भारतीय आध्यात्मिक जीवन-दर्शन एवं चिन्तन के पवित्र तथा उदात्त केन्द्र माने जाते हैं ये। इन्हीं सब विशेषताओं के मद्देनज़र अनादि काल से वनांचल बहुमूल्य धरोहर माने जाते रहे हैं।
किन्तु विगत कुछेक दर्शकों से हमने इस धरोहर की रक्षा की और पर्याप्त ध्यान नहीं दिया और अभी भी हम इस ओर अनदेखी ही कर रहे हैं। हम जंगलों की निरन्तर नोच-खसोट और हत्या इतनी निर्ममता से कर रहे हैं कि इससे हमारी सहृदयता पर बड़े-बड़े प्रश्नचिन्ह लगते ही जा रहे हैं।
प्रकृति के प्रति यह कृतघ्नता अन्ततः समूची मानवता के विनाश का कारण बन सकती है। दुनिया पर मँडरा रहे इन्हीं ख़तरों के बादलों की ओर ध्यान आकृष्ट करने का प्रयास इस पुस्तक के ज़रिए किया गया है।

About Author

मारुति चितमपल्ली

जन्म : 5 नवम्बर, 1932

दयानन्द कॉलेज, सोलापुर में स्नातकीय शिक्षा पूर्ण करने के बाद व्यावसायिक प्रशिक्षण कोयम्बतूर फ़ोरिस्ट कॉलेज, बेंगलुरु, दिल्ली और कान्हा राष्ट्रीय उद्यान (मध्य प्रदेश), देहरादून के वानिकी एवं वन्यप्राणी संस्थानों में प्राप्त किया नांदेड़, पुणे, पनवेल में विख्यात संस्कृत पंडितों से परम्परागत पद्धति से संस्कृत का अध्ययन जर्मन तथा रूसी भाषा का भी अध्ययन देश के ख्याति-प्राप्त पक्षी विशेषज्ञ! वन्यजीव प्रबन्धन, वानिकी, वन्य प्राणियों एवं पक्षियों के व्यवहार सम्बन्धी विशेष अध्ययन एवं शोधकार्य अन्तरराष्ट्रीय परिषदों में सहभाग

वनसम्पदा, पशु-पक्षियों, जंगलों के प्राणियों से सम्बद्ध लगभग दो दर्जन पुस्तकें प्रकाशित सोलापुर (2006) में सम्पन्न 79वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष वन्य विभागीय साहित्य सम्मेलनों के भी अध्यक्ष रहे

महाराष्ट्र राज्य, विदर्भ साहित्य संघ, भैरूरतन दमानी, फाय फ़ाउंडेशन तथा अन्य कई साहित्यिक संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत/सम्मानित

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