TUM CHUP KYON RAHEY KEDAR
Publisher:
| Author:
| Language:
| Format:
Publisher:
Author:
Language:
Format:
₹325 ₹293
Save: 10%
In stock
Ships within:
In stock
ISBN:
Page Extent:
दस साल पहले एक पहाड़ टूटा था। प्रलय की तरह दौड़ते सैलाब ने सैकड़ों मीलों तक बस्तियाँ मिटा दी थीं। यह केदारनाथ आपदा थी। जब इस त्रासदी के बाद मैं वहाँ पहुँचा तो हर तरफ़ मौत का सन्नाटा था। पहाड़ी शिलाओं के पीछे शव मिल रहे थे, और शवों से जुड़ी ऐसी कहानियाँ थीं जो बस रुलाती और डराती थीं। उस अनुभव पर तब मैंने यह किताब लिखी थी- तुम चुप क्यों रहे केदार।
दस साल पहले एक पहाड़ टूटा था। प्रलय की तरह दौड़ते सैलाब ने सैकड़ों मीलों तक बस्तियाँ मिटा दी थीं। यह केदारनाथ आपदा थी। जब इस त्रासदी के बाद मैं वहाँ पहुँचा तो हर तरफ़ मौत का सन्नाटा था। पहाड़ी शिलाओं के पीछे शव मिल रहे थे, और शवों से जुड़ी ऐसी कहानियाँ थीं जो बस रुलाती और डराती थीं। उस अनुभव पर तब मैंने यह किताब लिखी थी- तुम चुप क्यों रहे केदार।
About Author
Reviews
There are no reviews yet.
Related products
RELATED PRODUCTS
BHARTIYA ITIHAAS KA AADICHARAN: PASHAN YUG (in Hindi)
Save: 15%
BURHANPUR: Agyat Itihas, Imaratein aur Samaj (in Hindi)
Save: 15%
Reviews
There are no reviews yet.