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SMRITIYON KE BEECH GHIRI HAI PRITHVI
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कविता मनुष्य की प्रारम्भिक अभिव्यक्ति का साधन रही है। यही वजह है कि कविता में प्रकृति से जुड़ाव के साथ-साथ मानवीय मूल्यों की हमेशा अहमियत रही। इसी क्रम में कविता उस प्रतिरोध का व्याकरण रचती हुई दिखाई पड़ती है, जो मनुष्यता के सामने किसी भी तरह का अवरोध खड़ा करती है। कविता की इस पुरातन मशाल को आज के युवा कवि आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं । हम अपने जीवन में तमाम लोगों से मिलते-जुलते हैं और उनसे विदा लेते हैं। विदा लेना मिलन की एक नियति भी है। लेकिन कवि तो धारा के प्रतिकूल ही चलने का साहस दिखाता है और इस नियति को बदलने की नीयत भी रखता है।
कविता मनुष्य की प्रारम्भिक अभिव्यक्ति का साधन रही है। यही वजह है कि कविता में प्रकृति से जुड़ाव के साथ-साथ मानवीय मूल्यों की हमेशा अहमियत रही। इसी क्रम में कविता उस प्रतिरोध का व्याकरण रचती हुई दिखाई पड़ती है, जो मनुष्यता के सामने किसी भी तरह का अवरोध खड़ा करती है। कविता की इस पुरातन मशाल को आज के युवा कवि आगे बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं । हम अपने जीवन में तमाम लोगों से मिलते-जुलते हैं और उनसे विदा लेते हैं। विदा लेना मिलन की एक नियति भी है। लेकिन कवि तो धारा के प्रतिकूल ही चलने का साहस दिखाता है और इस नियति को बदलने की नीयत भी रखता है।
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