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Sapanon ki Roshani “सपनों की रोशनी” | Kailash Satyarthi
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Kailash Satyarthi
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Kailash Satyarthi
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹250 ₹188
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ISBN:
SKU
9789355217301
Categories Hindi, New Releases & Pre-orders
Categories: Hindi, New Releases & Pre-orders
Page Extent:
184
एक छोटे शहर और सामान्य परिवेश से निकलकर नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित अंतरराष्ट्रीय ख्याति के व्यक्ति बनने तक के लेखक श्री कैलाश सत्यार्थी के अनुभवों पर आधारित यह पुस्तक पाठकों के लिए एक बेशकीमती उपहार हैं ।
प्रस्तुत पुस्तक में कोई उपदेश नहीं दिए गए हैं। इसमें ऐसी ढेरों कहानियाँ हैं, जिनके माध्यम से लेखक ने सिखाया है कि आशा और निराशा, स्पष्टता और असमंजस, सफलता और असफलता, खुशी और दुःख, आसानी और मुश्किलें, चिंताएँ और मस्ती जैसे सारे अनुभवों के बीच सहज भाव से आगे बढ़ते हुए सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ी जा सकती हैं।
श्री कैलाश सत्यार्थी ने बहुत सुंदर तरीके से और जीवन के उदाहरणों के माध्यम से समझाया है कि यदि जीवन का फोकस ‘क्या बनना है’ की जगह ‘क्या करना है’, की तरफ मोड़ दिया जाए तो उसके चमत्कारी परिणाम हो सकते हैं। उन्होंने मात्र 17 साल की उम्र में जीवन के अपने कुछ सूत्र तय कर लिये थे और परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी रही हों, उन सूत्रों को उन्होंने मजबूती से थामे रखा; और परिणाम सामने है। इसलिए हमने उन जीवन – सूत्रों को ‘सफलता के सूत्र’ कहा है और पूरा विश्वास है पुस्तक पढ़ने के बाद आप भी इस मत से सहमत होंगे।
हम सब जानते हैं कि सत्यार्थीजी व्यावसायिक लेखक या उपदेशक नहीं हैं, बल्कि अपना जीवन एक कर्मयोद्धा की तरह जीते हुए उन्होंने सफलता और सिद्धि के नए प्रतिमान स्थापित किए हैं। इसलिए यह पुस्तक किसी के लिए भी एक गेमचेंचर बनेगी।
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Description
एक छोटे शहर और सामान्य परिवेश से निकलकर नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित अंतरराष्ट्रीय ख्याति के व्यक्ति बनने तक के लेखक श्री कैलाश सत्यार्थी के अनुभवों पर आधारित यह पुस्तक पाठकों के लिए एक बेशकीमती उपहार हैं ।
प्रस्तुत पुस्तक में कोई उपदेश नहीं दिए गए हैं। इसमें ऐसी ढेरों कहानियाँ हैं, जिनके माध्यम से लेखक ने सिखाया है कि आशा और निराशा, स्पष्टता और असमंजस, सफलता और असफलता, खुशी और दुःख, आसानी और मुश्किलें, चिंताएँ और मस्ती जैसे सारे अनुभवों के बीच सहज भाव से आगे बढ़ते हुए सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ी जा सकती हैं।
श्री कैलाश सत्यार्थी ने बहुत सुंदर तरीके से और जीवन के उदाहरणों के माध्यम से समझाया है कि यदि जीवन का फोकस ‘क्या बनना है’ की जगह ‘क्या करना है’, की तरफ मोड़ दिया जाए तो उसके चमत्कारी परिणाम हो सकते हैं। उन्होंने मात्र 17 साल की उम्र में जीवन के अपने कुछ सूत्र तय कर लिये थे और परिस्थितियाँ चाहे जैसी भी रही हों, उन सूत्रों को उन्होंने मजबूती से थामे रखा; और परिणाम सामने है। इसलिए हमने उन जीवन – सूत्रों को ‘सफलता के सूत्र’ कहा है और पूरा विश्वास है पुस्तक पढ़ने के बाद आप भी इस मत से सहमत होंगे।
हम सब जानते हैं कि सत्यार्थीजी व्यावसायिक लेखक या उपदेशक नहीं हैं, बल्कि अपना जीवन एक कर्मयोद्धा की तरह जीते हुए उन्होंने सफलता और सिद्धि के नए प्रतिमान स्थापित किए हैं। इसलिए यह पुस्तक किसी के लिए भी एक गेमचेंचर बनेगी।
About Author
Kailash Satyarthi
मध्य प्रदेश के विदिशा में 11 जनवरी, 1954 को जनमे कैलाश सत्यार्थी भारत में पैदा होनेवाले पहले नोबेल शांति पुरस्कार विजेता हैं। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य भी किया। लेकिन बचपन के प्रति गहरी करुणा के कारण उन्होंने इंजीनियरिंग की सुविधाजनक नौकरी छोड़कर सन् 1981 से बचपन बचाने की मुहिम शुरू कर दी। देश और दुनिया में बाल दासता जब कोई मुद्दा नहीं था, तब श्री सत्यार्थी ने ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ सहित विश्व के लगभग 150 देशों में सक्रिय ‘ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर’ और ‘ग्लोबल कैंपेन फॉर एजुकेशन’ जैसे संगठनों की स्थापना की। वे विश्व में उत्पादों के बालश्रम रहित होने के प्रमाणीकरण व लेबल लगाने की विधि ‘गुडवीव’ के जनक हैं। उन्हें देश के लगभग 85 हजार बच्चों को आधुनिक दासता से मुक्त कराने का ही नहीं, बल्कि बाल दासता तथा शिक्षा को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने का भी श्रेय जाता है। इसके लिए उन पर और उनके परिवार पर अनेक बार प्राणघातक हमले भी हुए हैं।
श्री सत्यार्थी पहले ऐसे भारतीय हैं, जिन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के अलावा डिफेंडर फॉर डेमोक्रेसी, इटैलियन सीनेट मेडल, रॉबर्ट एफ. कैनेडी अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार सम्मान, फेड्रिक एबर्ट मानव अधिकार पुरस्कार और हार्वर्ड ह्यूमेनेटेरियन सम्मान जैसे कई विश्व प्रसिद्ध पुरस्कार मिल चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने वाले श्री सत्यार्थी को आधुनिक समय में मानव दासता के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले दुनिया के सबसे बड़े योद्धाओं में गिना जाता है।
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