SaleHardback
मलयज की आलोचना की सबसे महत्त्वपूर्ण क्षमता है निर्णय लेना, निष्कर्ष तक पहुँचना और निष्कर्ष तक पहुँचने के लिए पाठ के साथ रचना-प्रक्रिया और लेखक की अनुभूति को समझना। रचना की समीक्षा करते समय उनके लिए सिर्फ रचना ही खास नहीं बल्कि रचनाकार की अनुभूति भी खास है जिसका अध्ययन वे रचना के समानान्तर करते हैं और तत्पश्चात अपने निष्कर्ष देते हैं। रचनाकार की अनुभूति के अध्ययन करने की प्रक्रिया रचना के पाठ के समानान्तर चलती है। एक अन्य अर्थ में उनकी आलोचना अधिक रचनात्मक मालूम होती है। उनके समीक्षा लेख रचनात्मकता की पृष्ठभूमि पर खड़े होकर अपने निष्कर्षों तक पहुँचते हैं। उनके समीक्षा लेखों को पढ़ते हुए बहुधा आभास होता है कि मलयज कोई रचना लिख रहे हैं। उनके पास आलोचना की बिल्कुल नयी भाषा है इस भाषा में आलोचना का पाठ किसी रचना के पाठ सरीखा लगता है। मलयज की भाषा में अपनी बात को कहने का जोखिम लेने की क्षमता है इसलिए उनके कई लेखों के शीर्षक तक कई रचनाकारों और उनके प्रशंसक पाठकों को नागवार लगे हैं। त्रिलोचन और शमशेर पर लिखे उनके लेख इस बात की तस्दीक़ करेंगे। अपनी बात को कहने में मलयज कोई उदार रवैये की खोज में नहीं दिखते। बल्कि तल्ख़ से तल्ख़ बात को कैसे सलीके और उदारता से कहा जाए ये उन्हें आता है। आज आलोचना जिस सलीके और नएपन या विशिष्टता की चाहत रखती है वह मलयज की आलोचना हमें सिखा सकती है। मलयज रचना प्रक्रिया की सैद्धांतिकी को अपनी आलोचना में व्यवहृत करने का प्रयास करते जान पड़ते हैं। ये कुछ ऐसी बाते हैं जो उन्हें उनके समकालीनों ही नहीं बल्कि आज के और उनसे पूर्व के आलोचकों से भी विशिष्ट बनाती हैं।
Rated 0 out of 5
0 reviews
Rated 5 out of 5
0
Rated 4 out of 5
0
Rated 3 out of 5
0
Rated 2 out of 5
0
Rated 1 out of 5
0
Be the first to review “Rachna Se Samvad (HB)” Cancel reply
Description
मलयज की आलोचना की सबसे महत्त्वपूर्ण क्षमता है निर्णय लेना, निष्कर्ष तक पहुँचना और निष्कर्ष तक पहुँचने के लिए पाठ के साथ रचना-प्रक्रिया और लेखक की अनुभूति को समझना। रचना की समीक्षा करते समय उनके लिए सिर्फ रचना ही खास नहीं बल्कि रचनाकार की अनुभूति भी खास है जिसका अध्ययन वे रचना के समानान्तर करते हैं और तत्पश्चात अपने निष्कर्ष देते हैं। रचनाकार की अनुभूति के अध्ययन करने की प्रक्रिया रचना के पाठ के समानान्तर चलती है। एक अन्य अर्थ में उनकी आलोचना अधिक रचनात्मक मालूम होती है। उनके समीक्षा लेख रचनात्मकता की पृष्ठभूमि पर खड़े होकर अपने निष्कर्षों तक पहुँचते हैं। उनके समीक्षा लेखों को पढ़ते हुए बहुधा आभास होता है कि मलयज कोई रचना लिख रहे हैं। उनके पास आलोचना की बिल्कुल नयी भाषा है इस भाषा में आलोचना का पाठ किसी रचना के पाठ सरीखा लगता है। मलयज की भाषा में अपनी बात को कहने का जोखिम लेने की क्षमता है इसलिए उनके कई लेखों के शीर्षक तक कई रचनाकारों और उनके प्रशंसक पाठकों को नागवार लगे हैं। त्रिलोचन और शमशेर पर लिखे उनके लेख इस बात की तस्दीक़ करेंगे। अपनी बात को कहने में मलयज कोई उदार रवैये की खोज में नहीं दिखते। बल्कि तल्ख़ से तल्ख़ बात को कैसे सलीके और उदारता से कहा जाए ये उन्हें आता है। आज आलोचना जिस सलीके और नएपन या विशिष्टता की चाहत रखती है वह मलयज की आलोचना हमें सिखा सकती है। मलयज रचना प्रक्रिया की सैद्धांतिकी को अपनी आलोचना में व्यवहृत करने का प्रयास करते जान पड़ते हैं। ये कुछ ऐसी बाते हैं जो उन्हें उनके समकालीनों ही नहीं बल्कि आज के और उनसे पूर्व के आलोचकों से भी विशिष्ट बनाती हैं।
About Author
मलयज
मलयज का जन्म 15 अगस्त, 1935 को उत्तर प्रदेश के आज़मगढ़ ज़िले के ग्राम महुई में हुआ। परिमल और नई कविता से सम्बद्ध और पूर्वग्रह के प्रारम्भिक सम्पादक मंडल के सदस्य रहे। मूलत: कवि और अपने डायरी एवं आलोचना लेखन के लिए प्रसिद्ध रहे। साहित्य के साथ-साथ सिनेमा, चित्रकला और अन्य कलाओं में उनकी गहरी रुचि रही।
उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं—कविता से साक्षात्कार, संवाद और एकालाप, रामचन्द्र शुक्ल (सं. नामवर सिंह) (आलोचना); मलयज की डायरी (तीन खंड, सं. नामवर सिंह) (डायरी); ज़ख़्म पर धूल, अपने होने को अप्रकाशित करता हुआ (कविता-संग्रह); हँसते हुए मेरा अकेलापन (सर्जनात्मक गद्य); शमशेर (सर्वेश्वरदयाल सक्सेना के साथ सम्पादित)।
लम्बी बीमारी के बाद 47 वर्ष की आयु में 26 अप्रैल, 1982 को उनका दिल्ली में निधन हुआ।
Rated 0 out of 5
0 reviews
Rated 5 out of 5
0
Rated 4 out of 5
0
Rated 3 out of 5
0
Rated 2 out of 5
0
Rated 1 out of 5
0
Reviews
Clear filtersThere are no reviews yet.
Be the first to review “Rachna Se Samvad (HB)” Cancel reply
Reviews
Clear filtersThere are no reviews yet.