Purvabhyas (HB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Mohan Rakesh
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback

396

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कथाकार-नाटककार मोहन राकेश के बारह आरम्भिक एकांकियों के प्रारूपों का संग्रह है ‘पूर्वाभ्यास’। इसमें संकलित एकांकी मोहन राकेश के सिद्ध नाटककार बनने के पूर्व की रचनाएँ हैं। इनमें हमें नाटककार की रचना एवं संशोधन-प्रक्रिया का पता लगने के साथ-साथ उसकी रंग एवं ध्वनि माध्यमों की गहरी समझ का प्रमाण भी मिलता है।
ये एकांकी न केवल हमें एक ऐतिहासिक दौर का ही साक्षात्कार कराते हैं, अपितु स्वयं नाटककार मोहन राकेश के प्रारम्भ-बिन्दु से लेकर अन्तिम समय तक की उनकी रंग-दृष्टि, विकास-यात्रा और ‘ग्रोथ’ को जानने-समझने का प्रामाणिक आधार भी प्रस्तुत करते हैं। इस लिहाज़ से ये सब एकांकी दस्तावेज़ी महत्त्व के हैं और मोहन राकेश के नाट्य-प्रेमियों, प्रबुद्ध पाठकों, आलोचकों, इतिहासकारों तथा शोधार्थियों की सम्पत्ति हैं।
इन सभी रचनाओं में विषय, चरित्र, परिवेश एवं शिल्पगत प्रयोगों का रोचक वैविध्य है।
आशा है यह पुस्तक मोहन राकेश की रंगयात्रा के गम्भीर अध्येताओं, हिन्दी एकांकी के उद्भव एवं विकास के अनुसन्धाताओं, स्कूल-कॉलेज के छात्र-कलाकारों तथा शौकिया नाट्य-मंडलियों के उत्साही रंगकर्मियों के लिए रोचक और उपयोगी सिद्ध होगी।

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Description

कथाकार-नाटककार मोहन राकेश के बारह आरम्भिक एकांकियों के प्रारूपों का संग्रह है ‘पूर्वाभ्यास’। इसमें संकलित एकांकी मोहन राकेश के सिद्ध नाटककार बनने के पूर्व की रचनाएँ हैं। इनमें हमें नाटककार की रचना एवं संशोधन-प्रक्रिया का पता लगने के साथ-साथ उसकी रंग एवं ध्वनि माध्यमों की गहरी समझ का प्रमाण भी मिलता है।
ये एकांकी न केवल हमें एक ऐतिहासिक दौर का ही साक्षात्कार कराते हैं, अपितु स्वयं नाटककार मोहन राकेश के प्रारम्भ-बिन्दु से लेकर अन्तिम समय तक की उनकी रंग-दृष्टि, विकास-यात्रा और ‘ग्रोथ’ को जानने-समझने का प्रामाणिक आधार भी प्रस्तुत करते हैं। इस लिहाज़ से ये सब एकांकी दस्तावेज़ी महत्त्व के हैं और मोहन राकेश के नाट्य-प्रेमियों, प्रबुद्ध पाठकों, आलोचकों, इतिहासकारों तथा शोधार्थियों की सम्पत्ति हैं।
इन सभी रचनाओं में विषय, चरित्र, परिवेश एवं शिल्पगत प्रयोगों का रोचक वैविध्य है।
आशा है यह पुस्तक मोहन राकेश की रंगयात्रा के गम्भीर अध्येताओं, हिन्दी एकांकी के उद्भव एवं विकास के अनुसन्धाताओं, स्कूल-कॉलेज के छात्र-कलाकारों तथा शौकिया नाट्य-मंडलियों के उत्साही रंगकर्मियों के लिए रोचक और उपयोगी सिद्ध होगी।

About Author

मोहन राकेश

‘नई कहानी’ के दौर के अग्रणी रचनाकारों में एक मोहन राकेश का जन्म 8 जनवरी, 1925 को जंडीवाली गली, अमृतसर में हुआ।

शिक्षा : संस्कृत में शास्त्री, अंग्रेज़ी में बी.ए., संस्कृत और हिन्दी में एम.ए.। जीविका के लिए लाहौर, मुम्बई, शिमला, जालन्‍धर और दिल्ली में अध्यापन, सम्पादन और स्वतंत्र-लेखन।

प्रकाशित पुस्तकें : ‘अँधेरे बन्द कमरे’, ‘अन्तराल’, ‘न आने वाला कल’, ‘काँपता हुआ दरिया’ (उपन्यास); ‘आषाढ़ का एक दिन’, ‘लहरों के राजहंस’, ‘आधे-अधूरे’, ‘पैर तले की ज़मीन’ (नाटक); ‘शाकुन्तल’, ‘मृच्छकटिक’ (अनूदित नाटक); ‘अंडे के छिलके : अन्य एकांकी तथा बीज नाटक’, ‘रात बीतने तक तथा अन्य ध्वनि नाटक’ (एकांकी); ‘क्वार्टर’, ‘पहचान’, ‘वारिस’, ‘एक घटना’ (कहानी-संग्रह); ‘बक़लम ख़ुद’, ‘परिवेश’ (निबन्ध); ‘आख़िरी चट्टान तक’ (यात्रावृत्त); ‘एकत्र’ (अप्रकाशित-असंकलित रचनाएँ); ‘बिना हाड़-मांस के आदमी’ (बालोपयोगी कहानी-संग्रह) तथा ‘मोहन राकेश रचनावली’ (13 खंड)।

विशेष : फ़िल्म वित्त निगम के निदेशक और फ़िल्म सेंसर बोर्ड के सदस्य भी रहे।

सम्मान : सर्वश्रेष्ठ नाटक व सर्वश्रेष्ठ नाटककार के लिए ‘संगीत नाटक अकादेमी पुरस्कार’, ‘नेहरू फ़ेलोशिप’ आदि।

निधन : 3 दिसम्बर, 1972; नई दिल्ली।

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