Prasad Ka Sampoorna Kavya (HB)

Publisher:
Lokbharti
| Author:
J.S. PRASAD,J.S.P.JI,J.SHANKAR PRASAD,JAI S. PRASAD,Jai Shankar Prasad
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Lokbharti
Author:
J.S. PRASAD,J.S.P.JI,J.SHANKAR PRASAD,JAI S. PRASAD,Jai Shankar Prasad
Language:
Hindi
Format:
Hardback

640

Save: 20%

In stock

Ships within:
1-4 Days

In stock

Weight 0.832 g
Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9788180313448 Category
Category:
Page Extent:

कवि जयशंकर प्रसाद आधुनिक हिन्दी कविता में ‘छायावादी काव्य आन्दोलन’ के जनक, प्रवक्ता और उन्नायक हैं। उन्होंने खड़ी बोली को काव्य-भाषा के रूप में अनिर्णय के प्रथम दौर से मुक्त करके उसे अद्भुत रूप से समृद्ध और अभिव्यक्ति सम्पन्न बनाया। उनकी काव्य भाषा में गहरी अनुभूति सम्पन्नता और रोमांसलता का एक सांस्कारिक तेवर विद्यमान है। गोस्वामी तुलसीदास की तरह ही वे भाषित संक्षिप्तता और बिम्बात्मक क्षमता का मर्म पहचानने वाले कवि हैं।
‘गीति तत्त्व’ प्रसाद की कविता का दूसरा प्रमुख गुण है। अनुभूतियों की भीतरी झनझनाहट उनके गीतों से लेकर उनके महाकाव्य ‘कामायनी’ तक में समान रूप से विद्यमान हैं। प्रसाद अपनी कविताओं के माध्यम से मनुष्य जाति की उन्हीं अनुभूतियों को चित्रित करते हैं जिनमें एक भीतरी करुणा का आवेश हो और जो शब्द का स्पर्श पाते ही संगीत की प्राणवक्ता से झंकृत हो उठें। ‘झरना’, ‘आँसू’ और ‘लहर’ के गीत इसका प्रमाण तो हैं ही, ‘कामायनी’ की सम्पूर्ण अर्थवत्ता इसी गीत्यात्मक अनुगूँज से भ्री हुई है।
प्रसाद का अपने सारे ऐतिहासिक, दार्शनिक और ‘मिथकीय’ आवरण के बावजूद अपने वर्तमान में ही प्रामाणिक है। इतिहास, दर्शन और पुराण-कथाओं का उपयोग प्रसाद जी ने अपनी संस्कृति धरोहर को पुनरुज्जीवित करने के लिए तो किया ही है, उसके माध्यम से अपने समय के भारतीय राष्ट्रीय स्वतंत्रता आन्दोलन के मुख्य तेवर को पहचानने का काम भी वे करते हैं। इसीलिए उनकी कविताओं में राष्ट्रीयता का एक गहरा सरोकार विद्यमान है।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Prasad Ka Sampoorna Kavya (HB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

कवि जयशंकर प्रसाद आधुनिक हिन्दी कविता में ‘छायावादी काव्य आन्दोलन’ के जनक, प्रवक्ता और उन्नायक हैं। उन्होंने खड़ी बोली को काव्य-भाषा के रूप में अनिर्णय के प्रथम दौर से मुक्त करके उसे अद्भुत रूप से समृद्ध और अभिव्यक्ति सम्पन्न बनाया। उनकी काव्य भाषा में गहरी अनुभूति सम्पन्नता और रोमांसलता का एक सांस्कारिक तेवर विद्यमान है। गोस्वामी तुलसीदास की तरह ही वे भाषित संक्षिप्तता और बिम्बात्मक क्षमता का मर्म पहचानने वाले कवि हैं।
‘गीति तत्त्व’ प्रसाद की कविता का दूसरा प्रमुख गुण है। अनुभूतियों की भीतरी झनझनाहट उनके गीतों से लेकर उनके महाकाव्य ‘कामायनी’ तक में समान रूप से विद्यमान हैं। प्रसाद अपनी कविताओं के माध्यम से मनुष्य जाति की उन्हीं अनुभूतियों को चित्रित करते हैं जिनमें एक भीतरी करुणा का आवेश हो और जो शब्द का स्पर्श पाते ही संगीत की प्राणवक्ता से झंकृत हो उठें। ‘झरना’, ‘आँसू’ और ‘लहर’ के गीत इसका प्रमाण तो हैं ही, ‘कामायनी’ की सम्पूर्ण अर्थवत्ता इसी गीत्यात्मक अनुगूँज से भ्री हुई है।
प्रसाद का अपने सारे ऐतिहासिक, दार्शनिक और ‘मिथकीय’ आवरण के बावजूद अपने वर्तमान में ही प्रामाणिक है। इतिहास, दर्शन और पुराण-कथाओं का उपयोग प्रसाद जी ने अपनी संस्कृति धरोहर को पुनरुज्जीवित करने के लिए तो किया ही है, उसके माध्यम से अपने समय के भारतीय राष्ट्रीय स्वतंत्रता आन्दोलन के मुख्य तेवर को पहचानने का काम भी वे करते हैं। इसीलिए उनकी कविताओं में राष्ट्रीयता का एक गहरा सरोकार विद्यमान है।

About Author

सत्यप्रकाश मिश्र

जन्‍म : 25 जून, 1945 को ज़िला—सुल्तानपुर, (उ.प्र.) के एक क़स्बा दोस्तपुर में।

शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा दोस्तपुर से ही। बी.ए., एम.ए. और डी.फ़िल., इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद से।

इलाहाबाद डिग्री कॉलेज, इलाहाबाद से अध्यापन की शुरुआत। सन् 1979 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आ गए। यहीं हिन्दी विभाग में आचार्य एवं अध्यक्ष के पद पर कार्य। टोक्यो विश्वविद्यालय, जापान में विजिटिंग प्रोफ़ेसर रहे, मन नहीं रमा बीच में ही छोड़कर चले आए। लेपजिंग विश्वविद्यालय, जर्मनी एवं कैथोलिक विश्वविद्यालय, बेल्जियम में विजिटंग प्रोफ़ेसर के रूप में बुलाए गए, परन्तु नहीं गए।

प्रमुख कृतियाँ : ‘यह पथबन्धु का अध्ययन’, ‘रीति-काव्य : प्रकृति एवं स्वरूप’, ‘कवि शिक्षा की परम्परा’, ‘आलोचक और समीक्षाएँ’, ‘मध्यकालीन काव्य आन्दोलन-2’, ‘काव्य-भाषा पर तीन निबन्ध—सहलेखन’; सम्पादन—‘प्रसाद ग्रन्थावली’, ‘गोदान का महत्त्व’, ‘प्रेमचन्द की कहानियाँ’, ‘कहानीकार ज्ञानरंजन’, ‘बालकृष्ण भट्ट : प्रतिनिधि संकलन’, ‘भारतेन्दु के श्रेष्ठ निबन्ध’, ‘बालकृष्ण भट्ट के श्रेष्ठ निबन्ध’, ‘प्रेमचन्द के श्रेष्ठ निबन्ध’, ‘सृजन-परिवेश’, ‘महावीरप्रसाद द्विवेदी और हिन्दी पत्रकारिता’, ‘रचना और आलोचना’, ‘सुमित्रानन्दन पंत : व्यक्ति और काव्य’, ‘अज्ञेय और तारसप्तक’, ‘अव्यय,’, ‘आलोचना और बौद्धिकता’, ‘सूचना प्रौद्योगिकी और सृजनशीलता’; पत्रिकाओं का सम्पादन : ‘माध्यम’ का पुनर्जीवन एवं सम्पादन’, ‘वर्तमान साहित्य-आलोचना विशेषांक’ का सम्पादन’, भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला की पत्रिका ‘चेतना’ का सम्पादन।

विशेष : मानद निदेशक, इलाहाबाद संग्रहालय, इलाहाबाद; मानद पुस्तकालयाध्यक्ष, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद; साहित्य मंत्री, हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग; अध्यक्ष, व्यास सम्मान चयन समिति; संयोजक, ‘सरस्वती सम्मान’, के.के. बिड़ला फ़ाउंडेशन, नई दिल्ली; सदस्य, मंगला प्रसाद पुरस्कार समिति, उ.प्र. हिन्दी संस्थान।

सम्मान : उ.प्र. हिन्दी संस्थान के ‘साहित्य भूषण सम्मान’ 2006 से सम्मानित।

निधन : 27 मार्च, 2007

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Prasad Ka Sampoorna Kavya (HB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED