SalePaperback
Nal-Damayanti
Publisher:
Voice of India
| Author:
Sita Ram Goel
(1921-2003)
| Language:
English
| Format:
Paperback
₹80 ₹79
Save: 1%
In stock
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1-4 Days
In stock
Book Type |
---|
ISBN:
Categories: History, PIRecommends
Page Extent:
124
“नल दमयंती” नामक पुस्तक जो सीताराम गोयल जी द्वारा लिखी गई है, एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो महाभारत के किस्से और कथाओं पर आधारित है। इस पुस्तक में, ग्रंथकार ने महाभारत के एक प्रमुख किस्से, नल और दमयंती की कहानी को विस्तार से वर्णन किया है। इस किस्से में प्रेम, वफादारी, और विश्वास के महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए गए हैं।
“नल दमयंती” एक प्रेमकथा के रूप में प्रस्तुत होती है, जो दो प्रमुख चरित्रों, नल और दमयंती के प्रेम और संघर्ष को दर्शाती है। यह कहानी हमें वफादारी, साहस, और विश्वास के महत्वपूर्ण सिख सिखाती है और हमें यह बताती है कि प्रेम और विश्वास किसी भी समस्या को पार करने में कैसे मदद कर सकते हैं। सीताराम गोयल जी की “नल दमयंती” पुस्तक महाभारत के इस अद्वितीय किस्से को नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती है और पाठकों को एक गहरे और रोमांचक किस्से का आनंद लेने में मदद करती है।
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Description
“नल दमयंती” नामक पुस्तक जो सीताराम गोयल जी द्वारा लिखी गई है, एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है जो महाभारत के किस्से और कथाओं पर आधारित है। इस पुस्तक में, ग्रंथकार ने महाभारत के एक प्रमुख किस्से, नल और दमयंती की कहानी को विस्तार से वर्णन किया है। इस किस्से में प्रेम, वफादारी, और विश्वास के महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए गए हैं।
“नल दमयंती” एक प्रेमकथा के रूप में प्रस्तुत होती है, जो दो प्रमुख चरित्रों, नल और दमयंती के प्रेम और संघर्ष को दर्शाती है। यह कहानी हमें वफादारी, साहस, और विश्वास के महत्वपूर्ण सिख सिखाती है और हमें यह बताती है कि प्रेम और विश्वास किसी भी समस्या को पार करने में कैसे मदद कर सकते हैं। सीताराम गोयल जी की “नल दमयंती” पुस्तक महाभारत के इस अद्वितीय किस्से को नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती है और पाठकों को एक गहरे और रोमांचक किस्से का आनंद लेने में मदद करती है।
About Author
Sita Ram Goel
(16 October 1921 – 3 December 2003) was an Indian religious and political
activist, writer and publisher in the late twentieth century. He had Marxist
leanings during the 1940s, but later became an outspoken anti-communist and
also wrote extensively on the damage to Indian culture and heritage wrought
by expansionist Islam and missionary activities of Christianity. In his later
career he emerged as a commentator on Indian politics, and adhered to Hindu
nationalism.
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