Mukti Samar Mein Shabd

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
ओम भारती
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
ओम भारती
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Hindi
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Hardback

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SKU 9788193655542 Category
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232

मुक्ति समर में शब्द –
बीसवीं शताब्दी में व्यक्ति स्वातन्त्र्य के लिए जो भी जनसंघर्ष हुए, उनमें अठारह सौ सत्तावन के स्वतन्त्रता संग्राम का महत्त्व सर्वोपरि है। हम इसे भारत की जनता का पहला ‘मुक्ति समर’ कह सकते हैं। आगे चलकर भारत में ही नहीं, विदेशी धरती पर होने वाले स्वाधीनता आन्दोलनों ने भी 1857 की इस विफल जन क्रान्ति से सबक लिया।
एक ओर भारतीय जन-समुदाय ने स्वतन्त्रता संग्राम का बृहद संचालन किया तो दूसरी ओर भारतीय लेखकों, बुद्धिजीवियों और कलाकारों ने अपनी कृतियों के माध्यम से इस ‘मुक्ति समर’ को आन्दोलित किये रखा, जिसकी अनुगूँज केवल भारतीय गद्य व पद्य साहित्य में ही नहीं, भारतीय लोक साहित्य में भी स्पष्ट सुनाई देती है।
ओम भारती की पुस्तक ‘मुक्ति समर में शब्द’ इस भाव की साकार अभिव्यक्ति है। इसमें इतिहास, समाज और जन-मानस का समुच्चय आज़ादी की लड़ाई के दौरान प्रभावशाली ढंग से लक्षित है। इसमें लिखा गया एक नहीं, अनेक भाषाओं में रचित कथा साहित्य है, जिससे पूरे भारत का वास्तविक मानचित्र समवेत स्वर में चित्रित होता है, जो भारतीय अस्मिता और उसके जीवन मूल्यों व संघर्षों के रंगों से अनुप्राणित है। विश्वास है कि इस पुस्तक के अध्ययन से पाठक कथा-सर्जना में समाहित ‘मुक्ति स्वर’ का आह्लाद और सृजन की आकुलता को गहराई से समझ पायेंगे।—हीरालाल नागर

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Description

मुक्ति समर में शब्द –
बीसवीं शताब्दी में व्यक्ति स्वातन्त्र्य के लिए जो भी जनसंघर्ष हुए, उनमें अठारह सौ सत्तावन के स्वतन्त्रता संग्राम का महत्त्व सर्वोपरि है। हम इसे भारत की जनता का पहला ‘मुक्ति समर’ कह सकते हैं। आगे चलकर भारत में ही नहीं, विदेशी धरती पर होने वाले स्वाधीनता आन्दोलनों ने भी 1857 की इस विफल जन क्रान्ति से सबक लिया।
एक ओर भारतीय जन-समुदाय ने स्वतन्त्रता संग्राम का बृहद संचालन किया तो दूसरी ओर भारतीय लेखकों, बुद्धिजीवियों और कलाकारों ने अपनी कृतियों के माध्यम से इस ‘मुक्ति समर’ को आन्दोलित किये रखा, जिसकी अनुगूँज केवल भारतीय गद्य व पद्य साहित्य में ही नहीं, भारतीय लोक साहित्य में भी स्पष्ट सुनाई देती है।
ओम भारती की पुस्तक ‘मुक्ति समर में शब्द’ इस भाव की साकार अभिव्यक्ति है। इसमें इतिहास, समाज और जन-मानस का समुच्चय आज़ादी की लड़ाई के दौरान प्रभावशाली ढंग से लक्षित है। इसमें लिखा गया एक नहीं, अनेक भाषाओं में रचित कथा साहित्य है, जिससे पूरे भारत का वास्तविक मानचित्र समवेत स्वर में चित्रित होता है, जो भारतीय अस्मिता और उसके जीवन मूल्यों व संघर्षों के रंगों से अनुप्राणित है। विश्वास है कि इस पुस्तक के अध्ययन से पाठक कथा-सर्जना में समाहित ‘मुक्ति स्वर’ का आह्लाद और सृजन की आकुलता को गहराई से समझ पायेंगे।—हीरालाल नागर

About Author

ओम भारती - जन्म: 1 जुलाई, 1948, इटारसी। शिक्षा: बी.ई. (ऑनर्स) मेकेनिकल। सृजन: 1971 से सृजन-सक्रिय। 1979 में देशबन्धु के बहुचर्चित क्रिकेट विशेषांक का सम्पादन। कहानियाँ, कविताएँ, समीक्षाएँ, आलेख, आलोचना व अनुवाद बांग्ला, असमिया, मराठी और मलयालम में अनूदित। आकंठ, पल-प्रतिपल, साहित्य स्पर्श, दशकारम्भ, रचनाक्रम आदि साहित्यिक पत्रिकाओं के विशेष अंकों का अतिथि सम्पादन। बच्चों के लिए कविताएँ और कहानियाँ भी। प्रकाशन: एक पल का रंज, स्वागत अभिमन्यु (कहानी संग्रह), कोरी उम्मीद नहीं (लम्बी कविता)। कविता की आँख (1980), इस तरह गाती है जुलाई (1993), जोख़िम से कम नहीं (1999), वह छठवाँ तत्त्व (2004), अब भी अशेष (2011), इतनी बार कहा है (2014) (कविता-संग्रह)। जलता हूँ सूरज की तरह : मलय (सम्पादन : ओम भारती), (गद्य कृति)। मुक्ति समर में शब्द (भारतीय भाषाओं के कथा साहित्य में हमारे स्वाधीनता आन्दोलन के सन्दर्भ) तथा आलोचना की एक पुस्तक। सम्मान: मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन का वागीश्वरी पुरस्कार, साहित्य अकादेमी, भोपाल (म.प्र.) का माखनलाल चतुर्वेदी कविता पुरस्कार। प्रथम भगवत रावत स्मृति सम्मान, डा. शिवकुमार मिश्र स्मृति कविता सम्मान।

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