Mein Khuch Likhna Chahta Hu

Publisher:
Vani prakashan
| Author:
Vinay Tiwari
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Vani prakashan
Author:
Vinay Tiwari
Language:
Hindi
Format:
Paperback

198

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104

‘मैं कुछ लिखना चाहता हूँ’ की कविताओं का पटल विस्तृत है। इसमें मानव जीवन के संघर्षों और उसके सुन्दर भविष्य की सुदीर्घ कल्पना से लेकर, मिट्टी, गाँव, अपनी दुनिया के विविध रंग हैं। इन रंगों में कविमन की परिपक्व वैचारिकी का वैभव पसरा हुआ है। इन कविताओं की विशेषता है कि यहाँ नैराश्य के गहरे अँधेरों और जीवन संघर्ष के बीहड़ों में मनुष्य को अपनी अर्थवत्ता बनाये रखने का आह्वान है। इस संग्रह की कविताएँ भावों के सहज प्राकट्य का नहीं वरन सुचिन्तित विचार प्रक्रिया की देन है। कलेवर में सभी कविताएँ एक-दूसरे से नितांत अलग दिखती हैं पर सबका निहितार्थ एक बिन्द पर जीवन के प्रति सकारात्मक सोच बनाये रखने का प्रेरणास्पद दर्शन है। जीवन के झंझावातों में आशा की लौ को जगाकर जीवन राग में भरोसा जगाने का प्रयास है। सच कहा जाये तो यहाँ प्रकृति है, मनुष्य है, प्रकृति और मनुष्य के साहचर्य से सुन्दर दुनिया रचने का स्वप्न भी है। कई कविताएँ निज मन की भीतरी तहों में उतरती हैं पर उनका निज अपनी सम्पूर्णता में सामाजिक होकर सामने आता है।

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‘मैं कुछ लिखना चाहता हूँ’ की कविताओं का पटल विस्तृत है। इसमें मानव जीवन के संघर्षों और उसके सुन्दर भविष्य की सुदीर्घ कल्पना से लेकर, मिट्टी, गाँव, अपनी दुनिया के विविध रंग हैं। इन रंगों में कविमन की परिपक्व वैचारिकी का वैभव पसरा हुआ है। इन कविताओं की विशेषता है कि यहाँ नैराश्य के गहरे अँधेरों और जीवन संघर्ष के बीहड़ों में मनुष्य को अपनी अर्थवत्ता बनाये रखने का आह्वान है। इस संग्रह की कविताएँ भावों के सहज प्राकट्य का नहीं वरन सुचिन्तित विचार प्रक्रिया की देन है। कलेवर में सभी कविताएँ एक-दूसरे से नितांत अलग दिखती हैं पर सबका निहितार्थ एक बिन्द पर जीवन के प्रति सकारात्मक सोच बनाये रखने का प्रेरणास्पद दर्शन है। जीवन के झंझावातों में आशा की लौ को जगाकर जीवन राग में भरोसा जगाने का प्रयास है। सच कहा जाये तो यहाँ प्रकृति है, मनुष्य है, प्रकृति और मनुष्य के साहचर्य से सुन्दर दुनिया रचने का स्वप्न भी है। कई कविताएँ निज मन की भीतरी तहों में उतरती हैं पर उनका निज अपनी सम्पूर्णता में सामाजिक होकर सामने आता है।

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