Meeta Ki Kahani

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
विजय तेंदुलकर, वसंत देव द्वारा अनुवादित
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
विजय तेंदुलकर, वसंत देव द्वारा अनुवादित
Language:
Hindi
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Paperback

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चिरकाल से चली आ रही परम्पराओं, रीति-रिवाजों के विरुद्ध यदि कोई आचरण करता है या आवाज़ उठाने का साहस करता है तो अहं खंडित होने के कारण समाज उसे स्वीकार नहीं करता और बदले में मिलता है तिरस्कार, उपेक्षा, वेदना। विजय तेंडुलकर द्वारा लिखित यह नाटक ‘मीता’ मानवीय सम्बन्धों के विवादास्पद आयामों पर आधारित है। एक वयस्क युवती का अपनी स्त्री मित्र के प्रति आकर्षण व भावनाओं का विश्लेषण इस नाटक के माध्यम से हुआ है। मीता स्त्री-पुरुषों के सम्बन्ध को अस्वीकार कर स्त्री मित्र के सम्बन्धों को स्वीकार करके कुण्ठित, नकारात्मक जीवन जीती है, यही उसकी त्रासद नियति है। तेंडुलकर ने इस नाटक को ममता और कोमलता के छुअन के साथ लिखा है।

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Description

चिरकाल से चली आ रही परम्पराओं, रीति-रिवाजों के विरुद्ध यदि कोई आचरण करता है या आवाज़ उठाने का साहस करता है तो अहं खंडित होने के कारण समाज उसे स्वीकार नहीं करता और बदले में मिलता है तिरस्कार, उपेक्षा, वेदना। विजय तेंडुलकर द्वारा लिखित यह नाटक ‘मीता’ मानवीय सम्बन्धों के विवादास्पद आयामों पर आधारित है। एक वयस्क युवती का अपनी स्त्री मित्र के प्रति आकर्षण व भावनाओं का विश्लेषण इस नाटक के माध्यम से हुआ है। मीता स्त्री-पुरुषों के सम्बन्ध को अस्वीकार कर स्त्री मित्र के सम्बन्धों को स्वीकार करके कुण्ठित, नकारात्मक जीवन जीती है, यही उसकी त्रासद नियति है। तेंडुलकर ने इस नाटक को ममता और कोमलता के छुअन के साथ लिखा है।

About Author

विजय तेंडुलकर वर्तमान भारतीय रंग-परिदृश्य में एक महत्त्वपूर्ण नाटककार के रूप में समादृत श्री तेंडुलकर मूलतः मराठी के साहित्यकार हैं जिनका जन्म 7 जनवरी, 1928 को हुआ। उन्होंने लगभग तीस नाटकों तथा दो दर्जन एकांकियों की रचना की है, जिनमें से अनेक आधुनिक भारतीय रंगमंच की। क्लासिक कृतियों के रूप में शुमार होते हैं। उनके नाटकों में प्रमुख हैं-शांतता! कोर्ट चालू आहे (1967), सखाराम बाइंडर (1972), कमला (1981), कन्यादान (1983)। श्री तेंडुलकर के नाटक घासीराम कोतवाल (1972) की मूल मराठी में और अनूदित रूप में देश और विदेश में छह हज़ार से ज़्यादा प्रस्तुतियाँ हो चुकी हैं। मराठी लोकशैली, संगीत तथा आधुनिक रंगमंचीय तकनीक से सम्पन्न यह नाटक दुनिया के सर्वाधिक मंचित होने वाले नाटकों में से एक का दर्जा पा चुका है। श्री तेंडलकर ने बच्चों के लिए भी ग्यारह नाटकों की रचना की है। उनकी कहानियों के चार संग्रह और सामाजिक आलोचना व साहित्यिक लेखों के पाँच संग्रह प्रकाशित हो। चुके हैं। इन्होंने दूसरी भाषाओं से मराठी में अनुवाद किये हैं, जिसके तहत नौ उपन्यास, दो जीवनियाँ और पाँच नाटक भी उनके कृतित्व में शामिल हैं। इसके अलावा बीस के करीब फ़िल्मों का लेखन। हिन्दी की निशान्त, मन्थन, आक्रोश, अर्धसत्य आदि। दूरदर्शन धारावाहिक स्वयंसिद्ध, प्रिय तेंडुलकर टॉक शो। सम्मान पुरस्कार : नेहरू फेलोशिप (1973-74), टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज में अभ्यागत प्राध्यापक के रूप में (1979-1981), पद्म भूषण (1984), फ़िल्मफेयर से पुरस्कृत। 19 मई, 2008 को पुणे (महाराष्ट्र) में महाप्रस्थान।

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