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Delhi Ke Chatkhare (PB)
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Meer Bimar Hue (PB)
Publisher:
Rajkamal
| Author:
FIKRA TAUSAVI
| Language:
Hindi
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Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
FIKRA TAUSAVI
Language:
Hindi
Format:
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9789391080976
Category Hindi
Category: Hindi
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“दिल्ली के चटख़ारे” शाहिद अहमद देहलवी की उन मज़ामीन का मज्मूआ है जिनमें गुज़रे ज़माने के दिल्ली शहर को बड़े ही दिलचस्प तरीक़े से बयान किया गया है। इन मज़ामीन में दिल्ली के बाज़ार, कटरे, मुहल्ले की खिड़कियाँ, फेरी वालों की सदाएँ, देग़ों और भट्टियों से उठने वाली महक का ऐसा बयान है कि पढ़ते हुए सारा मंज़र आँखों के सामने आ जाता है।
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Description
“दिल्ली के चटख़ारे” शाहिद अहमद देहलवी की उन मज़ामीन का मज्मूआ है जिनमें गुज़रे ज़माने के दिल्ली शहर को बड़े ही दिलचस्प तरीक़े से बयान किया गया है। इन मज़ामीन में दिल्ली के बाज़ार, कटरे, मुहल्ले की खिड़कियाँ, फेरी वालों की सदाएँ, देग़ों और भट्टियों से उठने वाली महक का ऐसा बयान है कि पढ़ते हुए सारा मंज़र आँखों के सामने आ जाता है।
About Author
फ़िक्र तौंसवी
उर्दू मिज्ञाह के अज़ीम मुसन्निफ़ फ़िक्र तौंसबी (मूल नाम राम लाल भाटिया) की पैदाइश 7 अक्टूबर, 1918 को तौंसा शरीफ़ के मंग्रोथा गाँव में हुई। उनके वालिद, धनपत राय, तौंसा शरीफ के बलूच आदिवासी इलाके में एक दुकानदार थे। फ़िक्र तौंसवी ने शुरूआती तालीम तौंसा शरीफ़ में और आगे की तालीम लाहौर से हासिल की। हिन्दुस्तानी बरें-सग़ीर के बंटवारे के बाद वो दिल्ली चले आए।
उन्होंने कई किताबें लिखीं जिनमें ' आधा आदमी ', ' छिलके ही छिलके ', 'चौपट राजा ' और ' फ़िक्र नामा' अहम हैं। उन्होंने लगभग 27 वर्षो तक 'उर्दू मिलाप' में ' प्याज़ के छिलके' नाम से दैनिक स्तंभ लिखा और दुखी मुल्क को हर रोज़ हँसाया।उनका व्यंग्य मानवीय है। उन्होंने इसे फ़ह्हाशी और तशदूदुद से, दास्तानों की मसनूहयत से और सबसे बढ़कर मज़ामीन के
खोखलेपन और मुनाफ़िक़त से बचाया है।
फ़िक्र तौंसवी एक तंज़-निगार से अधिक हमारे सामाजी मुआर्रिख हैं, जिन्होंने हर घर में झाँका और ज़िन्दगी की छोटी-छोटी सितम-ज़रीफ़ियों को इतनी नाज्ुकी से सामने लाया कि हर कोई, जिसमें वो भी शामिल है, जो उसके हमले का निशाना है, उसे इसके बारे में पढ़ने में मजा आता है। हिन्दुस्तान के बँटवारे के दौरान लिखी गई उनके जरीदा, 'छठा दरिया' का डॉ, माज़ बिन बिलाल ने 'द सिक्स्थ रिवर: ए जर्नल फ्रॉम द पार्टिशन ऑफ़ इंडिया ' के नाम से अंग्रेजी में अनुवाद किया है 12 सितम्बर, 1987 को दिल्ली में उन्होंने आख़िरी साँस ली ।
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