Media Mein Mahilaon Ki Bhoomika

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
संगीता अग्रवाल
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
संगीता अग्रवाल
Language:
Hindi
Format:
Paperback

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भारत में न्यूज़ चैनलों, अख़बारों और पत्रिकाओं में आपको महिलाएँ एंकर, सम्पादक और पत्रकार के तौर पर नज़र आयेंगी। कई नामचीन मीडिया संस्थानों की बागडोर महिलाएँ ही सँभाल रही हैं। मैं इस किताब के माध्यम से पत्रकारिता में रुचि रखने वाली नयी पीढ़ी की महिला पत्रकारों से अपने विचार साझा करना चाहती हूँ। उन्हें यह जीवित उदाहरण देकर समझाना चाहती हूँ कि मीडिया केवल चकाचौंध से भरी सुन्दर दुनिया नहीं है, बल्कि इसमें सालों का अथक परिश्रम, मेहनत और लगातार बिना कोई समझौता किये काम करते चले जाना है। इस किताब को पढ़कर आपको ऐसी महिला पत्रकारों के विषय में जानने का मौक़ा मिलेगा, जो सालों से मीडिया के अलग-अलग पदों पर रहकर न केवल अपनी पत्रकारिता का परचम लहरा रही हैं बल्कि उन्होंने आने वाली महिला पत्रकारों के लिए रास्ते को और भी सुगम किया है

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Description

भारत में न्यूज़ चैनलों, अख़बारों और पत्रिकाओं में आपको महिलाएँ एंकर, सम्पादक और पत्रकार के तौर पर नज़र आयेंगी। कई नामचीन मीडिया संस्थानों की बागडोर महिलाएँ ही सँभाल रही हैं। मैं इस किताब के माध्यम से पत्रकारिता में रुचि रखने वाली नयी पीढ़ी की महिला पत्रकारों से अपने विचार साझा करना चाहती हूँ। उन्हें यह जीवित उदाहरण देकर समझाना चाहती हूँ कि मीडिया केवल चकाचौंध से भरी सुन्दर दुनिया नहीं है, बल्कि इसमें सालों का अथक परिश्रम, मेहनत और लगातार बिना कोई समझौता किये काम करते चले जाना है। इस किताब को पढ़कर आपको ऐसी महिला पत्रकारों के विषय में जानने का मौक़ा मिलेगा, जो सालों से मीडिया के अलग-अलग पदों पर रहकर न केवल अपनी पत्रकारिता का परचम लहरा रही हैं बल्कि उन्होंने आने वाली महिला पत्रकारों के लिए रास्ते को और भी सुगम किया है

About Author

संगीता अग्रवाल का जन्म एक व्यापारिक एवं राजनीतिक परिवार में हुआ। पिताजी श्री नानक चन्द्र अग्रवाल ने अपने जीवन में जयप्रकाश नारायण एवं प्रो. मधु दंडवते के सान्निध्य में युवा जनआन्दोलन में अहम भूमिका निभायी थी। वही विचार एवं संघर्ष करने की भावना उन्होंने अपनी पहली सन्तान संगीता अग्रवाल को दी। नारायण एवं प्रो. मधु दंडवते ने किया था...संगीता। स्वर्गीय माँ श्रीमती सन्तोष अग्रवाल ने हमेशा जीवन में मेहनत के साथ मूल्यों पर खड़े रहने की शिक्षा दी। अग्रवाल परिवार स्वतन्त्रता आन्दोलन से लेकर समाज में फैली कुरीतियों के ख़िलाफ़ हमेशा खड़ा रहा है। यही प्रेरणा संगीता अग्रवाल को विरासत में मिली है। संगीता ने अपनी पत्रकारिता की शुरुआत कॉलेज के दिनों में ही पुस्तक एवं दैनिक अखबारों में कहानियाँ एवं लेख लिखकर की। साल 2010 में संगीता भारत जिन्दल के साथ परिणय-सूत्र में बँधीं। दोनों की एक सन्तान है भव्या जिन्दल। संगीता अग्रवाल की पहली किताब एक से बढ़कर एक शिखर महिलाएँ और दूसरी किताब एक से बढ़कर एक शिखर पुरुष प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्थानों से प्रकाशित हो चुकी हैं। उनकी पहली किताब एक से बढ़कर एक शिखर महिलाएँ को गुजरात के प्रतिष्ठित अखबार 'सन्देश' में हर मंगलवार को काफ़ी समय से नियमित अनूदित करके प्रकाशित किया जा रहा है। इस अख़बार के पाठकों की संख्या 10 लाख से भी ज़्यादा है। संगीता अग्रवाल साल 2005 से दिल्ली स्थित डीडी न्यूज़ में हिन्दी समाचार सम्पादक के रूप में कार्यरत हैं।

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