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Manushya Aur Paryavaran (HB)
Publisher:
Rajkamal
| Author:
Irfan Habib
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
Irfan Habib
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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9788126727438
Category Hindi
Category: Hindi
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विगत दशकों में पारिस्थितिकी और उससे जुड़े मसलों के प्रति विशेष रुचि दिखाई पड़ी है, ख़ास तौर पर जलवायु-परिवर्तन को लेकर होनेवाली बहसों के सन्दर्भ में इस तरफ़ सुधीजन का ज़्यादा ध्यान गया है। लेकिन पारिस्थितिकी का विमर्श सिर्फ़ जलवायु तक सीमित नहीं है। इसमें जीव-जन्तुओं तथा पेड़-पौधों के साथ मनुष्य के रिश्तों के अलावा मनुष्य जाति के सम्मुख प्रकृति द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों का अध्ययन भी शामिल होता है। इसी व्यापक परिप्रेक्ष्य के साथ इस पुस्तक में पारिस्थितिकी के इतिहास को देखा-समझा गया है।
‘भारत का लोक इतिहास’ परियोजना के तहत प्रकाशित यह पुस्तक भी इस श्रृंखला की अन्य कड़ियों की तरह गहन अध्ययन और प्रामाणिक सामग्री पर आधारित है। मूल स्रोतों के उद्धरणों तथा पारिस्थितिकी, पर्यावरण विज्ञान, वन विज्ञान तथा प्राकृतिक इतिहास पर विशेष टिप्पणियों से समृद्ध इस पुस्तक में विषय से सम्बन्धित अन्य उपयोगी ग्रन्थों का उल्लेख भी किया गया है जिससे पाठक और अधिक लाभान्वित होंगे।
सूचनाओं की सटीकता को बरकरार रखते हुए, पुस्तक को अतिरिक्त तकनीकी विवरणों से मुक्त रखा गया है ताकि इतिहास के छात्रों के अलावा यह सामान्य पाठकों के लिए भी रुचिकर सिद्ध हो।
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Description
विगत दशकों में पारिस्थितिकी और उससे जुड़े मसलों के प्रति विशेष रुचि दिखाई पड़ी है, ख़ास तौर पर जलवायु-परिवर्तन को लेकर होनेवाली बहसों के सन्दर्भ में इस तरफ़ सुधीजन का ज़्यादा ध्यान गया है। लेकिन पारिस्थितिकी का विमर्श सिर्फ़ जलवायु तक सीमित नहीं है। इसमें जीव-जन्तुओं तथा पेड़-पौधों के साथ मनुष्य के रिश्तों के अलावा मनुष्य जाति के सम्मुख प्रकृति द्वारा प्रस्तुत चुनौतियों का अध्ययन भी शामिल होता है। इसी व्यापक परिप्रेक्ष्य के साथ इस पुस्तक में पारिस्थितिकी के इतिहास को देखा-समझा गया है।
‘भारत का लोक इतिहास’ परियोजना के तहत प्रकाशित यह पुस्तक भी इस श्रृंखला की अन्य कड़ियों की तरह गहन अध्ययन और प्रामाणिक सामग्री पर आधारित है। मूल स्रोतों के उद्धरणों तथा पारिस्थितिकी, पर्यावरण विज्ञान, वन विज्ञान तथा प्राकृतिक इतिहास पर विशेष टिप्पणियों से समृद्ध इस पुस्तक में विषय से सम्बन्धित अन्य उपयोगी ग्रन्थों का उल्लेख भी किया गया है जिससे पाठक और अधिक लाभान्वित होंगे।
सूचनाओं की सटीकता को बरकरार रखते हुए, पुस्तक को अतिरिक्त तकनीकी विवरणों से मुक्त रखा गया है ताकि इतिहास के छात्रों के अलावा यह सामान्य पाठकों के लिए भी रुचिकर सिद्ध हो।
About Author
इरफ़ान हबीब
यशस्वी इतिहासकार। उन्नत इतिहास अध्ययन केन्द्र, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ में प्रोफ़ेसर एमेरिटस हैं।
प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित सैकड़ों लेखों के अलावा आप ‘एग्रेरियन सिस्टम ऑफ़ मुग़ल इंडिया’ (1963), संशोधित संस्करण : 1999; ‘एन एटलस ऑफ़ द मुग़ल इंपायर’ (1982); ‘एस्सेज़ इन इंडियन हिस्ट्री’; ‘टुवर्ड्स ए मार्कि्सस्ट परसेप्शन’ (1995) तथा ‘मेडिवल इंडिया : द स्टडी ऑफ़ ए सिविलाइजेशन’ (2001) के लेखक हैं। आप ‘कैम्ब्रिज इकॉनोमिक हिस्ट्री ऑफ़ इंडिया’—खंड-I (1982); ‘यूनेस्को की हिस्ट्री ऑफ़ ह्यूमेनिटी’—खंड-IV व V तथा ‘हिस्ट्री ऑफ़ सेंट्रल एशिया’—खंड-V के सह-सम्पादक भी हैं।
‘भारत का लोक इतिहास’ (People’s History of India) शृंखला के प्रधान सम्पादक, जिसके तहत आपने पाँच पुस्तकों का लेखन व दो पुस्तकों में सहलेखन किया है।
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