Main Bhool Na Jaoon

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Fali Nariman
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Fali Nariman
Language:
Hindi
Format:
Hardback

375

Save: 25%

In stock

Ships within:
1-4 Days

In stock

Book Type

ISBN:
SKU 9789351868101 Categories , Tags ,
Categories: ,
Page Extent:
36

‘यादें धुँधलाने से पहले ’ एक उद्घाटक, व्यापक और विचारात्मक आत्मकथा—खरी, सम्मोहक और आधिकारिक। कई दशकों से फली एस. नरीमन एक प्रख्यात विधिवेत्ता हैं, जिनके विचार सत्ता के गलियारों, न्यायिक और राजनीतिक दोनों में ही न केवल सुने जाते हैं, बल्कि उनका सम्मान भी किया जाता है। इस पुस्तक में रंगून में बिताए उनके बचपन से लेकर अब तक की जीवन-यात्रा को प्रस्तुत किया गया है। शुरुआत उन वर्षों से की गई है, जब उन्हें अनेक ख्यात न्यायाधीशों और वकीलों से संपर्क का सौभाग्य मिला। उसके बाद लेखक ने अनेक महत्त्वपूर्ण और विविध विषयों पर चर्चा की है, जिनमें से कुछ निम्नानुसार हैं— भारतीय संविधान की पवित्रता और उससे छेड़छाड़ के प्रयास। राष्ट्र पर निर्णायक असर डालने वाले महत्त्वपूर्ण मुकदमे, खासकर कानून की व्याख्या से संबंधित। राजनीतिक वर्ग और न्यायपालिका के अंतर्संबंध। भ्रष्टाचार का असाध्य और भयावह रोग तथा इससे लड़ने के उपाय। विद्वान् लेखक ने वकालत के पेशे की गिर चुकी विश्वसनीयता को बहाल करने के उपायों की भी चर्चा की है। इसमें उन्होंने अनेक हाई प्रोफाइल मुकदमों में अपनी भूमिका को भी प्रस्तुत किया है और राज्यसभा में अपने कार्यकाल के बारे में भी बताया है। इस सूचनात्मक, शिक्षाप्रद और विचारोत्तेजक पुस्तक को वकालत के पेशे से जुड़े लोगों और आम पाठकों के लिए पढ़ना जरूरी है|

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Main Bhool Na Jaoon”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

‘यादें धुँधलाने से पहले ’ एक उद्घाटक, व्यापक और विचारात्मक आत्मकथा—खरी, सम्मोहक और आधिकारिक। कई दशकों से फली एस. नरीमन एक प्रख्यात विधिवेत्ता हैं, जिनके विचार सत्ता के गलियारों, न्यायिक और राजनीतिक दोनों में ही न केवल सुने जाते हैं, बल्कि उनका सम्मान भी किया जाता है। इस पुस्तक में रंगून में बिताए उनके बचपन से लेकर अब तक की जीवन-यात्रा को प्रस्तुत किया गया है। शुरुआत उन वर्षों से की गई है, जब उन्हें अनेक ख्यात न्यायाधीशों और वकीलों से संपर्क का सौभाग्य मिला। उसके बाद लेखक ने अनेक महत्त्वपूर्ण और विविध विषयों पर चर्चा की है, जिनमें से कुछ निम्नानुसार हैं— भारतीय संविधान की पवित्रता और उससे छेड़छाड़ के प्रयास। राष्ट्र पर निर्णायक असर डालने वाले महत्त्वपूर्ण मुकदमे, खासकर कानून की व्याख्या से संबंधित। राजनीतिक वर्ग और न्यायपालिका के अंतर्संबंध। भ्रष्टाचार का असाध्य और भयावह रोग तथा इससे लड़ने के उपाय। विद्वान् लेखक ने वकालत के पेशे की गिर चुकी विश्वसनीयता को बहाल करने के उपायों की भी चर्चा की है। इसमें उन्होंने अनेक हाई प्रोफाइल मुकदमों में अपनी भूमिका को भी प्रस्तुत किया है और राज्यसभा में अपने कार्यकाल के बारे में भी बताया है। इस सूचनात्मक, शिक्षाप्रद और विचारोत्तेजक पुस्तक को वकालत के पेशे से जुड़े लोगों और आम पाठकों के लिए पढ़ना जरूरी है|

About Author

फली एस. नरीमन का जन्म 10 जनवरी, 1929 को हुआ। वे एक प्रतिष्ठित भारतीय संवैधानिक विधिवेत्ता और भारत के उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता तथा भारत के बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे हैं। वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त ढ्ढष्टष्ट अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता कोर्ट के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के मामलों में भारत के सबसे प्रतिष्ठित संवैधानिक वकीलों में से एक फली नरीमन भारत के अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल भी रहे हैं। उन्हें प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान पद्म भूषण (1991), पद्म विभूषण (2007) और न्याय के लिए ग्रुबर पुरस्कार (2002) से सम्मानित किया जा चुका है। वे भारत के राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत राज्यसभा के सदस्य भी रहे हैं|

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Main Bhool Na Jaoon”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED