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Yugpurush Dr. Rajendra Prasad
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Tara Sinha
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Tara Sinha
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹350 ₹263
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Book Type |
---|
ISBN:
SKU
9789352661497
Categories Biography & Memoir, Hindi
Tags #P' Biography: historical, political and military
Categories: Biography & Memoir, Hindi
Page Extent:
168
डॉ.राजेंद्र प्रसाद की यह संक्षिप्त जीवनी बिहार के एक छोटे से गाँव के मध्यमवर्ग परिवार से आए एक ऐसे व्यक्ति के संघर्षों एवं उपलब्धियों की मोहक कहानी प्रस्तुत करती है, जिसकी असाधारण मेधा, तीक्ष्ण बुद्धि, विलक्षण प्रतिभा, कड़े परिश्रम और निःस्वार्थ सेवा-कार्यों ने उसे देश के शीर्ष नेताओं की पंक्ति में ला खड़ा किया।देशरत्न राजेंद्र बाबू की पारिवारिक पृष्ठभूमि, गाँव में बीता बाल्यकाल, उपलब्धियों से भरा विलक्षण विद्यार्थी जीवन, अल्पकाल तक चला वकालत पेशा, चंपारन सत्याग्रह के दौरान गांधीजी के नेतृत्व में महत्त्वपूर्ण सेवा कार्य, तदनंतर वकालत त्याग देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने का निर्णय, स्वतंत्रता सेनानी के कंटकाकीर्ण मार्ग का अनुसरण, कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में अपूर्व संगठन शक्ति का परिचय, फिर अंतरिम सरकार में खाद्य मंत्री के दायित्व का कुशल निर्वहन, संविधान-सभा अध्यक्ष की हैसियत से संविधान निर्माण में अहम भूमिका, भारतीय गणराज्य के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में बारह वर्षों तक देश का योग्य मार्गदर्शन और अवकाश प्राप्ति उपरांत पूर्व कर्मभूमि पटना सदाकत आश्रम में बिताए गए अर्थपूर्ण अंतिम नौ महीने—तथ्यों, तारीखों सहित राजेंद्र बाबू के घटनापूर्ण जीवन का संपूर्ण समग्र ब्योरा संक्षेप में प्रस्तुत कर देना इस पुस्तक की विशेषता है।देश के नवजागरण और नवनिर्माण में अहम भूमिका निभानेवाले भारत के एक सच्चे सपूत की पठनीय प्रामाणिक जीवन-गाथा।
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Rajendra Prasad” Cancel reply
Description
डॉ.राजेंद्र प्रसाद की यह संक्षिप्त जीवनी बिहार के एक छोटे से गाँव के मध्यमवर्ग परिवार से आए एक ऐसे व्यक्ति के संघर्षों एवं उपलब्धियों की मोहक कहानी प्रस्तुत करती है, जिसकी असाधारण मेधा, तीक्ष्ण बुद्धि, विलक्षण प्रतिभा, कड़े परिश्रम और निःस्वार्थ सेवा-कार्यों ने उसे देश के शीर्ष नेताओं की पंक्ति में ला खड़ा किया।देशरत्न राजेंद्र बाबू की पारिवारिक पृष्ठभूमि, गाँव में बीता बाल्यकाल, उपलब्धियों से भरा विलक्षण विद्यार्थी जीवन, अल्पकाल तक चला वकालत पेशा, चंपारन सत्याग्रह के दौरान गांधीजी के नेतृत्व में महत्त्वपूर्ण सेवा कार्य, तदनंतर वकालत त्याग देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने का निर्णय, स्वतंत्रता सेनानी के कंटकाकीर्ण मार्ग का अनुसरण, कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में अपूर्व संगठन शक्ति का परिचय, फिर अंतरिम सरकार में खाद्य मंत्री के दायित्व का कुशल निर्वहन, संविधान-सभा अध्यक्ष की हैसियत से संविधान निर्माण में अहम भूमिका, भारतीय गणराज्य के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में बारह वर्षों तक देश का योग्य मार्गदर्शन और अवकाश प्राप्ति उपरांत पूर्व कर्मभूमि पटना सदाकत आश्रम में बिताए गए अर्थपूर्ण अंतिम नौ महीने—तथ्यों, तारीखों सहित राजेंद्र बाबू के घटनापूर्ण जीवन का संपूर्ण समग्र ब्योरा संक्षेप में प्रस्तुत कर देना इस पुस्तक की विशेषता है।देश के नवजागरण और नवनिर्माण में अहम भूमिका निभानेवाले भारत के एक सच्चे सपूत की पठनीय प्रामाणिक जीवन-गाथा।
About Author
तारा सिन्हा देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद के ज्येष्ठ पुत्र श्री मृत्युंजय प्रसाद और श्रीमती विद्यावती देवी की चतुर्थ पुत्री। जन्म पटना में लेकिन पालन-पोषण एवं शिक्षा-दीक्षा पूज्य पितामह की छत्रच्छाया में दिल्ली में। दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.ए. ऑनर्स तथा पटना विश्वविद्यालय से एम.ए. एवं पी-एच.डी.। सन् 1968 से 2000 तक पटना विश्वविद्यालय के अंगीभूत मगध महिला कॉलेज में प्राध्यापन। भाषा एवं साहित्य विषयों पर आयोजित अध्ययन-गोष्ठियों एवं सम्मेलनों में सक्रिय सहभागिता। शोध पत्रों की प्रस्तुति तथा प्रकाशन। हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लेखन। पाँच पुस्तकें तथा अनेक रचनाएँ प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। दो खंडों में प्रकाशित, पत्रों के संकलन ‘राजेंद्र बाबू: पत्रों के आइने में’ का संपादन। सन् 1998 में ‘राजेंद्र साहित्य परिषद्’ पटना द्वारा महाकवि रुद्र स्मृति पुरस्कार से सम्मानित। वर्तमान में कुछ प्रमुख गांधीवादी संस्थाओं से सक्रिय रूप से संबद्ध|
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