Mahatma Jyotiba Phule

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
हीरालाल नागर , शृंखला सम्पादक लीलाधर मंडलोई
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
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हीरालाल नागर , शृंखला सम्पादक लीलाधर मंडलोई
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Hindi
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Hardback

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महात्मा ज्योतिबा फुले

भारतीय समाज को वक़्त-बेवक़्त कुछ समाज सुधारक और मार्गदर्शक मिलते ही रहे हैं। महात्मा ज्योतिबा फुले उनमें से एक हैं, जिन्होंने दलित, पराश्रित, निराश्रित और दीनहीन समाज को शिक्षा, नैतिक संघर्ष और जागरूकता का पाठ पढ़ाया। लेखक ने महात्मा फुले की जीवन-कथा में उन ख़ास बिन्दुओं पर विचार किया है, जिसके कारण ज्योतिबा फुले जैसे साधारण आदमी को ‘महात्मा’ का पद प्राप्त हुआ ।

अंग्रेज़ी शासन काल में निम्न समाज के लोगों को शिक्षा पाने का अधिकार ही नहीं था। पूरा महाराष्ट्र पेशवा साम्राज्य का दास बना हुआ था, जिस पर अछूतों, दलितों और उनकी महिलाओं की सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति सबसे बुरी थी। महात्मा फुले ने अपने बलबूते पर पहले महिलाओं को शिक्षित करने का उपक्रम शुरू किया। फिर धीरे-धीरे समाज में फैले अत्याचार और शोषण के ख़िलाफ़ मोर्चाबन्दी की। लेखक ने इन सभी बिन्दुओं को आलोकित किया है।

उस समय अंग्रेज़ी सरकार वैसे तो किसी की बात सुनने को तैयार नहीं थी, मगर इसने महात्मा फुले के महिलाओं की शिक्षा के लिए किये गये कार्यों की सराहना ही नहीं की, इस कार्य के लिए उन्हें सम्मान भी दिया।

महात्मा फुले का जीवन विराट है, लेखक ने अपनी सहज और आत्मीय भाषा में उनके सम्पूर्ण जीवन को संक्षिप्त, मगर सम्यक शैली में लिखा है। आशा है, नयी

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महात्मा ज्योतिबा फुले

भारतीय समाज को वक़्त-बेवक़्त कुछ समाज सुधारक और मार्गदर्शक मिलते ही रहे हैं। महात्मा ज्योतिबा फुले उनमें से एक हैं, जिन्होंने दलित, पराश्रित, निराश्रित और दीनहीन समाज को शिक्षा, नैतिक संघर्ष और जागरूकता का पाठ पढ़ाया। लेखक ने महात्मा फुले की जीवन-कथा में उन ख़ास बिन्दुओं पर विचार किया है, जिसके कारण ज्योतिबा फुले जैसे साधारण आदमी को ‘महात्मा’ का पद प्राप्त हुआ ।

अंग्रेज़ी शासन काल में निम्न समाज के लोगों को शिक्षा पाने का अधिकार ही नहीं था। पूरा महाराष्ट्र पेशवा साम्राज्य का दास बना हुआ था, जिस पर अछूतों, दलितों और उनकी महिलाओं की सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति सबसे बुरी थी। महात्मा फुले ने अपने बलबूते पर पहले महिलाओं को शिक्षित करने का उपक्रम शुरू किया। फिर धीरे-धीरे समाज में फैले अत्याचार और शोषण के ख़िलाफ़ मोर्चाबन्दी की। लेखक ने इन सभी बिन्दुओं को आलोकित किया है।

उस समय अंग्रेज़ी सरकार वैसे तो किसी की बात सुनने को तैयार नहीं थी, मगर इसने महात्मा फुले के महिलाओं की शिक्षा के लिए किये गये कार्यों की सराहना ही नहीं की, इस कार्य के लिए उन्हें सम्मान भी दिया।

महात्मा फुले का जीवन विराट है, लेखक ने अपनी सहज और आत्मीय भाषा में उनके सम्पूर्ण जीवन को संक्षिप्त, मगर सम्यक शैली में लिखा है। आशा है, नयी

About Author

हीरालाल नागर - कहानी, कविता और समीक्षात्मक लेखन में सक्रिय । 'समय चेतना', 'दैनिक भास्कर' और 'अहा ! जिन्दगी' पत्रिका में कार्य । प्रवीण प्रकाशन नयी दिल्ली से 'जंगल के खिलाफ' (कहानी-संग्रह), 1994 में, सामयिक प्रकाशन नयी दिल्ली से 'अधूरी हसरतों का अंत' (कहानी-संग्रह) 2004 में और किताब घर प्रकाशन, नयी दिल्ली से चर्चित उपन्यास 'डेक पर अँधेरा', 2013 में प्रकाशित । 'कितनी आवाजें' (लघुकथा संग्रह) और कमलेश्वर की चुनिन्दा कहानियों के संग्रह का सम्पादन 'सोलह छतों का घर' शीर्षक से । वर्ष 2002 में कथा लेखन के लिए 'आर्य स्मृति साहित्य सम्मान', और 2005 में 'शैलेश मटियानी कथा सम्मान' से सम्मानित । सम्प्रति : भारतीय ज्ञानपीठ में वरिष्ठ प्रकाशन अधिकारी तथा नया ज्ञानोदय के सम्पादकीय विभाग में। पता : बी 174/41 सी, सादतपुर विस्तार जीवन ज्योति स्कूल के पास (करावल नगर रोड) दिल्ली-110090 . मोबाइल : 09968551414

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