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Mahabharat Katha
Publisher:
Rajpal and Sons
| Author:
Amritlal Nagar
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Rajpal and Sons
Author:
Amritlal Nagar
Language:
Hindi
Format:
Paperback
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ISBN:
Category: Hindi
Page Extent:
232
भारतीय संस्कृति में महाभारत को एक विशेष स्थान प्राप्त है। रामायण की भांति इसे घर-घर में पढ़ा जाता है। हमारे धर्म-चिंतन का सर्वोपरि ग्रन्थ ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ इसी का अंग है। प्रसिद्ध उपन्यासकार अमृतलाल नागर ने महाभारत की सम्पूर्ण कथा बड़े सरल शब्दों तथा प्रवाहपूर्ण भाषा में प्रस्तुत की है।
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Description
भारतीय संस्कृति में महाभारत को एक विशेष स्थान प्राप्त है। रामायण की भांति इसे घर-घर में पढ़ा जाता है। हमारे धर्म-चिंतन का सर्वोपरि ग्रन्थ ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ इसी का अंग है। प्रसिद्ध उपन्यासकार अमृतलाल नागर ने महाभारत की सम्पूर्ण कथा बड़े सरल शब्दों तथा प्रवाहपूर्ण भाषा में प्रस्तुत की है।
About Author
अमृतलाल नागर
नागर जी का जन्म 17 अगस्त, 1916 को आगरा में हुआ। लखनऊ में शिक्षा प्राप्त की और फिर वहीं बस गए। तस्लीम लखनवी, मेघराज, इन्द्र आदि उपनामों से भी लेखन किया है। बांग्ला, तमिल, गुजराती और मराठी भाषाओं के ज्ञाता। उनकी रचनाओं में ‘वाटिका’, ‘अवशेष’, ‘नवाबी मसनद’, ‘तुलाराम शास्त्री’, ‘एटम बम’, ‘एक दिल हजार दास्ताँ’, ‘पीपल की परी’, नामक कहानी-संग्रह; ‘महाकाल’, ‘सेठ बाँकेमल’, ‘बूँद और समुद्र’, ‘शतरंज के मोहरे’, ‘अमृत और विष’ आदि उपन्यास; ‘गदर के फूल’, ‘ये कोठेवालियाँ’ आदि शोध-कृतियाँ तथा बाल-साहित्य की ‘नटखट चाची’, ‘निंदिया आजा’ आदि उल्लेखनीय हैं। अन्य महत्त्वपूर्ण कृतियों में तुलसी के जीवन पर आधारित महाकाव्यात्मक उपन्यास ‘मानस का हंस’; हास्य-व्यंग्य-संग्रह ‘कृपया दाएँ चलिए’, ‘भरत पुत्र नौरंगीलाल’ तथा संस्मरण-संग्रह ‘जिनके साथ जिया’ प्रमुख हैं।
नागर जी साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत हुए और उनकी अनेक कृतियाँ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भी पुरस्कृत हुई हैं।
निधन : 23 फरवरी, 1990
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