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Lohe Ka Baksa Aur Bandook (PB)
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Lohe Ka Baksa Aur Bandook (HB)
Publisher:
Lokbharti
| Author:
MITHILESH PRIYADARSHY
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Lokbharti
Author:
MITHILESH PRIYADARSHY
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹495 ₹396
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ISBN:
SKU
9789392186677
Category Hindi
Category: Hindi
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पिछले कुछ वर्षों में अपनी कहानियों से एक विलक्षण पहचान अर्जित कर चुके युवा कहानीकार मिथिलेश प्रियदर्शी हिन्दी की कहानी की एक बड़ी उम्मीद और आश्वस्ति हैं। इनकी बहुप्रशंसित, महानगरीय जीवन से वाबस्ता कहानी, ‘हत्या की कहानियों का कोई शीर्षक नहीं होता’ का विन्यास और कथा-भाषा कहानी कला के ओल्ड मास्टर एडगर एलन पो की याद दिलाती है। इसके ठीक दूसरे छोर पर हमारी शहरी सभ्यता के सीमान्त पर, एक दूरस्थ, अँधेरे में डूबे आदिवासी इलाके में घटित कहानी ‘सहिया’, कहानी के दूसरे उस्ताद जैकलंदन की याद दिलाती है। मिथिलेश की कहानियों में समकालीन यथार्थ की कितनी ही तहें और परतें हैं। इन कहानियों का एक कठोर तरीके से कसा हुआ सघन विन्यास, तीव्र, तन्मय कथा-भाषा और तनाव भरा काँपता-सा स्वर हिन्दी कहानी के लिए नए हैं और उम्मीद जगाते हैं कि कहानी के नए वातायन खुल रहे हैं।
—योगेन्द्र आहूजा
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Description
पिछले कुछ वर्षों में अपनी कहानियों से एक विलक्षण पहचान अर्जित कर चुके युवा कहानीकार मिथिलेश प्रियदर्शी हिन्दी की कहानी की एक बड़ी उम्मीद और आश्वस्ति हैं। इनकी बहुप्रशंसित, महानगरीय जीवन से वाबस्ता कहानी, ‘हत्या की कहानियों का कोई शीर्षक नहीं होता’ का विन्यास और कथा-भाषा कहानी कला के ओल्ड मास्टर एडगर एलन पो की याद दिलाती है। इसके ठीक दूसरे छोर पर हमारी शहरी सभ्यता के सीमान्त पर, एक दूरस्थ, अँधेरे में डूबे आदिवासी इलाके में घटित कहानी ‘सहिया’, कहानी के दूसरे उस्ताद जैकलंदन की याद दिलाती है। मिथिलेश की कहानियों में समकालीन यथार्थ की कितनी ही तहें और परतें हैं। इन कहानियों का एक कठोर तरीके से कसा हुआ सघन विन्यास, तीव्र, तन्मय कथा-भाषा और तनाव भरा काँपता-सा स्वर हिन्दी कहानी के लिए नए हैं और उम्मीद जगाते हैं कि कहानी के नए वातायन खुल रहे हैं।
—योगेन्द्र आहूजा
About Author
मिथिलेश प्रियदर्शी
मिथिलेश प्रियदर्शी का जन्म 16 दिसम्बर, 1985 को झारखंड के चतरा जिले में हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा चतरा में ही। आगे की पढ़ाई पटना, वर्धा से होते हुए जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय में मीडिया में पी-एच.डी. के साथ ख़त्म हुई। कुछ समय के लिए बिलासपुर सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी में मीडिया और सिनेमा का अध्यापन।
कहानी लेखन की शुरुआत वर्ष 2007 से हुई और पहली कहानी 'लोहे का बक्सा और बन्दूक़' को वागर्थ-2007 का 'नवलेखन पुरस्कार' प्राप्त। तब से विभिन्न पत्रिकाओं में कहानी लेखन जारी। उड़िया, बांग्ला, पंजाबी के अलावा कमोबेश सभी कहानियाँ मराठी में अनूदित।
फिलहाल मुम्बई में रहकर मराठी फ़िल्म लेखन में सक्रिय।
ई-मेल : askmpriya@gmail.com
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