Layabadh

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
लक्ष्मी कानन अनुवाद सुमति अय्यर
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
लक्ष्मी कानन अनुवाद सुमति अय्यर
Language:
Hindi
Format:
Hardback

99

Save: 1%

In stock

Ships within:
1-4 Days

In stock

Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9788126313303 Category
Category:
Page Extent:
124

लयबद्ध –
तमिल की प्रसिद्ध लेखिका लक्ष्मी कण्णन की ये कहानियाँ समग्र रूप से उन साहित्यिक मूल्यों को वहन करती हैं जो पिछले कई दशकों से कथा-विधा के इतिहास में बहस तलब के केन्द्र रहे हैं। दूसरे भाषा प्रदेश से जब कोई प्रतिभा उन्हीं मूल्यों के उत्कर्ष को दिखाती हुई पनपती है तो रचनात्मकता के मूलाधारों को देखकर हमारा चित्तन वृत्त पूरा होता है। साहित्य द्वारा उपार्जित सांस्कृतिक परिदृश्य किसी थोपे गये या ओढ़े हुए आदर्शवाद का मोहताज़ नहीं। वह अपनी ताक़त अपने मूल स्रोतों से लेता है। इस दृष्टिकोण से लक्ष्मी कण्णन की कहानियाँ सार्थक और संगत हैं।
जिन विशिष्ट तत्वों पर अनायास ध्यान जाता है वह है लक्ष्मी की साहित्यिक संवेदना का प्रकार, भाषा की अनूठी लयात्मकता, आत्मबोध की संश्लिष्टता और संस्कार सघनता। परम्परा की प्रवाहिणी में से सहज स्वाभाविक रूप से गुज़रती हुई ये कहानियाँ अपने आसपास के जीवन का निरीक्षण करती चलती हैं। अपने प्रदेश और परिवेश की पहचान इनमें इतनी गहरी है कि परिवेश ही कहानी की देह बन गया है। इस देह में जो संवेदना-प्रवण आत्मा बसती है वह विषयवस्तु की सभी सूक्ष्मताओं को एक सांगीतिक भाषा में बाँधती चलती है। अमूर्त और मूर्त, स्थूल और सूक्ष्म के संयोजन की एक गहरी रचनात्मक समझ इन कहानियों में लक्षित होती है।
वर्षों पहले जब इस पुस्तक का पहला संस्करण प्रकाशित हुआ था तो हिन्दी पाठकों ने बड़े उत्साह से इसका स्वागत किया था। हिन्दी पाठकों को समर्पित है ‘लयबद्ध’ का नया संस्करण।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Layabadh”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

लयबद्ध –
तमिल की प्रसिद्ध लेखिका लक्ष्मी कण्णन की ये कहानियाँ समग्र रूप से उन साहित्यिक मूल्यों को वहन करती हैं जो पिछले कई दशकों से कथा-विधा के इतिहास में बहस तलब के केन्द्र रहे हैं। दूसरे भाषा प्रदेश से जब कोई प्रतिभा उन्हीं मूल्यों के उत्कर्ष को दिखाती हुई पनपती है तो रचनात्मकता के मूलाधारों को देखकर हमारा चित्तन वृत्त पूरा होता है। साहित्य द्वारा उपार्जित सांस्कृतिक परिदृश्य किसी थोपे गये या ओढ़े हुए आदर्शवाद का मोहताज़ नहीं। वह अपनी ताक़त अपने मूल स्रोतों से लेता है। इस दृष्टिकोण से लक्ष्मी कण्णन की कहानियाँ सार्थक और संगत हैं।
जिन विशिष्ट तत्वों पर अनायास ध्यान जाता है वह है लक्ष्मी की साहित्यिक संवेदना का प्रकार, भाषा की अनूठी लयात्मकता, आत्मबोध की संश्लिष्टता और संस्कार सघनता। परम्परा की प्रवाहिणी में से सहज स्वाभाविक रूप से गुज़रती हुई ये कहानियाँ अपने आसपास के जीवन का निरीक्षण करती चलती हैं। अपने प्रदेश और परिवेश की पहचान इनमें इतनी गहरी है कि परिवेश ही कहानी की देह बन गया है। इस देह में जो संवेदना-प्रवण आत्मा बसती है वह विषयवस्तु की सभी सूक्ष्मताओं को एक सांगीतिक भाषा में बाँधती चलती है। अमूर्त और मूर्त, स्थूल और सूक्ष्म के संयोजन की एक गहरी रचनात्मक समझ इन कहानियों में लक्षित होती है।
वर्षों पहले जब इस पुस्तक का पहला संस्करण प्रकाशित हुआ था तो हिन्दी पाठकों ने बड़े उत्साह से इसका स्वागत किया था। हिन्दी पाठकों को समर्पित है ‘लयबद्ध’ का नया संस्करण।

About Author

लक्ष्मी कण्णन - तमिल साहित्य में 'कावेरी' के नाम से विख्यात। तमिल एवं अंग्रेज़ी में समान रूप से लेखन। अबतक कविता, कहानी और उपन्यास की कुल सत्रह पुस्तकें प्रकाशित। कई रचनाएँ देश-विदेश की अनेक भाषाओं में अनूदित। अंग्रेज़ी तथा अमेरिकी साहित्य में स्नातकोत्तर तथा डॉक्टरेट। हिन्दुस्तान के कई विश्वविद्यालयों में अध्यापन। हिन्दुस्तान थाम्पसन एसोसिएट्स से वरिष्ठ लेखक तथा भाषा समन्वयक के रूप में सम्बद्ध इंटरनेशनल राइटिंग प्रोग्राम आयोवा (संयुक्त राज्य अमेरिका) में भागीदारी।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Layabadh”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED