SalePaperback
KARANTIVEER CHANDERSHEKHAR AZAD AUR UNKE GADDAR SATHI (Sakshi)
₹195 ₹194
Save: 1%
Love Drug
₹250 ₹175
Save: 30%
Laal Chowk
Publisher:
Hind Yugm
| Author:
Rohin Kumar
| Language:
English
| Format:
Paperback
Publisher:
Hind Yugm
Author:
Rohin Kumar
Language:
English
Format:
Paperback
₹249 ₹199
Save: 20%
In stock
Ships within:
1-4 Days
In stock
Book Type |
---|
ISBN:
SKU
9789392820014
Category General Fiction
Category: General Fiction
Page Extent:
256
बीते कुछ समय से शेष भारत के लोगों के लिए कश्मीर राष्ट्रवाद के ‘उत्प्रेरक’ के तौर पर काम आने लगा है। ‘दूध माँगोगे तो खीर देंगे, कश्मीर माँगोगे तो चीर देंगे’ जैसे फ़िल्मी डायलॉग के ज़रिए जम्मू-कश्मीर को भारत और पाकिस्तान के भूगोल, इतिहास और संस्कृति-सभ्यता की बाइनरी में रखते हुए ‘पाने-खोने’ के विमर्शों में उलझाकर रख दिया गया है। इन सबके बीच कश्मीरियत भी है, जिस पर बात कम होती है। जम्मू-कश्मीर के लोग हैं, उनके मानवाधिकार, उनके नागरिक अधिकार हैं, तमाम गंभीर, मौखिक और कथित क़ानूनी आरोप झेलते घाटी के युवा हैं, जो अपना भविष्य अंधकार में पाते हैं। एक बड़ी आबादी है जिसके दिमाग़ पर एक युद्धरत कश्मीर की छाप जमती चली जा रही है। कश्मीर में सेना है, आफ़्स्पा है, निगरानी और तलाशी के अंतहीन सिलसिले हैं। भय है, दमन है, साहस भी है, प्रतिरोध भी है। ये चीज़ें आम जनमानस की ‘प्रमाणपत्रीय’ निर्णय लेने वाली चेतना में विचार या फ़ैसले के लिए जगह नहीं पातीं। ‘लाल चौक’ उन्हीं अनकहे और ‘साज़िशन’ अंधकार में धकेले जा रहे तथ्यों पर रोशनी डालती है, जो सिर्फ़ तथ्य भर नहीं हैं, कथ्य भर नहीं हैं, बल्कि एक बड़ी आबादी का जीवन हैं और जिन्हें दशकों से जिया जा रहा है।
Be the first to review “Laal Chowk” Cancel reply
Description
बीते कुछ समय से शेष भारत के लोगों के लिए कश्मीर राष्ट्रवाद के ‘उत्प्रेरक’ के तौर पर काम आने लगा है। ‘दूध माँगोगे तो खीर देंगे, कश्मीर माँगोगे तो चीर देंगे’ जैसे फ़िल्मी डायलॉग के ज़रिए जम्मू-कश्मीर को भारत और पाकिस्तान के भूगोल, इतिहास और संस्कृति-सभ्यता की बाइनरी में रखते हुए ‘पाने-खोने’ के विमर्शों में उलझाकर रख दिया गया है। इन सबके बीच कश्मीरियत भी है, जिस पर बात कम होती है। जम्मू-कश्मीर के लोग हैं, उनके मानवाधिकार, उनके नागरिक अधिकार हैं, तमाम गंभीर, मौखिक और कथित क़ानूनी आरोप झेलते घाटी के युवा हैं, जो अपना भविष्य अंधकार में पाते हैं। एक बड़ी आबादी है जिसके दिमाग़ पर एक युद्धरत कश्मीर की छाप जमती चली जा रही है। कश्मीर में सेना है, आफ़्स्पा है, निगरानी और तलाशी के अंतहीन सिलसिले हैं। भय है, दमन है, साहस भी है, प्रतिरोध भी है। ये चीज़ें आम जनमानस की ‘प्रमाणपत्रीय’ निर्णय लेने वाली चेतना में विचार या फ़ैसले के लिए जगह नहीं पातीं। ‘लाल चौक’ उन्हीं अनकहे और ‘साज़िशन’ अंधकार में धकेले जा रहे तथ्यों पर रोशनी डालती है, जो सिर्फ़ तथ्य भर नहीं हैं, कथ्य भर नहीं हैं, बल्कि एक बड़ी आबादी का जीवन हैं और जिन्हें दशकों से जिया जा रहा है।
About Author
रोहिण कुमार बिहार स्थित उसी गया के रहने वाले हैं जहाँ तथता के अनुभव और ज्ञान से लुम्बिनी के सिद्धार्थ गौतम तथागत हो गए थे। पेशे से स्वतंत्र पत्रकार रोहिण राष्ट्रीय स्तर की कई हिंदी तथा अँग्रेज़ी वेबसाइट के लिए लिखते हैं। इसके अलावा ‘द टेलीग्राफ़’, ‘अलजज़ीरा’, ‘फ़ोर्ब्स इंडिया’, ‘एशिया निक्की’ और ‘एशिया डेमोक्रेसी क्रॉनिकल्स’ जैसे प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय प्लेटफ़ॉर्म के लिए भी लिखते रहे हैं। कॉन्फ़्लिक्ट, मानवाधिकार और पर्यावरण से जुड़ी कहानियों को दर्ज करना और उन्हें पाठकों तक सरल भाषा में पहुँचाना उनके पसंदीदा कामों में शामिल है। उनके हिसाब से यह पत्रकारिता का ‘स्वर्णिम काल’ है क्योंकि इस काल में शोर ज़्यादा और काम कम है।
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Laal Chowk” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Reviews
There are no reviews yet.