Khali Kona

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
हरिओम राजोरिया
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
हरिओम राजोरिया
Language:
Hindi
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Hardback

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खाली कोना –
समकालीन कविता बहुतेरी रूढ़ियों को तोड़ते हुए आगे बढ़ती रही है। कविता के विकास की इस यात्रा में हरिओम राजोरिया एक महत्त्वपूर्ण नाम है। समय सापेक्ष होना यदि अच्छी कविताई के लिए बुनियादी शर्त है तो यह कहना उचित ही होगा कि राजोरिया अपने समय के अनिवार्य कवि हैं। ये कविताएँ जिस उत्सवधर्मिता के साथ जीवन को गाती हैं उसमें मनुष्यता के विभिन्न रागों को बेहतर लय में सुना जा सकता है। दैनिक जीवन के सामान्य दृश्यों और स्थितियों के सहज बिम्बों से राजोरिया असामान्य और विलक्षण अभिव्यक्तियाँ प्रस्तुत करने में सफल होते हैं तो इसलिए कि कवि खुली आँखों से खुले आकाश में विचरण करता है। चूँकि यह विचरण सिर्फ़ यायावरी नहीं इसके काव्योद्देश्य भी हैं, इसलिए विचार और संवेदना के अलावा भाषिक निकष पर भी कवि खरा दिखाई पड़ता है।
इन कविताओं में जो ‘कोना’ रेखांकित हुआ है वह खाली नहीं अपितु सामाजिक और राजनीतिक सक्रियता व सरोकार से भरा कोना है। इसलिए राजोरिया सिर्फ़ सुख-सौन्दर्य के कवि नहीं, एक ज़रूरी अक्खड़ता से लैस राजनीतिक कवि भी हैं। निस्सन्देह उनकी कविता के सरोकार मनुष्य को थोड़ा और मनुष्य बनाने के हैं।

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खाली कोना –
समकालीन कविता बहुतेरी रूढ़ियों को तोड़ते हुए आगे बढ़ती रही है। कविता के विकास की इस यात्रा में हरिओम राजोरिया एक महत्त्वपूर्ण नाम है। समय सापेक्ष होना यदि अच्छी कविताई के लिए बुनियादी शर्त है तो यह कहना उचित ही होगा कि राजोरिया अपने समय के अनिवार्य कवि हैं। ये कविताएँ जिस उत्सवधर्मिता के साथ जीवन को गाती हैं उसमें मनुष्यता के विभिन्न रागों को बेहतर लय में सुना जा सकता है। दैनिक जीवन के सामान्य दृश्यों और स्थितियों के सहज बिम्बों से राजोरिया असामान्य और विलक्षण अभिव्यक्तियाँ प्रस्तुत करने में सफल होते हैं तो इसलिए कि कवि खुली आँखों से खुले आकाश में विचरण करता है। चूँकि यह विचरण सिर्फ़ यायावरी नहीं इसके काव्योद्देश्य भी हैं, इसलिए विचार और संवेदना के अलावा भाषिक निकष पर भी कवि खरा दिखाई पड़ता है।
इन कविताओं में जो ‘कोना’ रेखांकित हुआ है वह खाली नहीं अपितु सामाजिक और राजनीतिक सक्रियता व सरोकार से भरा कोना है। इसलिए राजोरिया सिर्फ़ सुख-सौन्दर्य के कवि नहीं, एक ज़रूरी अक्खड़ता से लैस राजनीतिक कवि भी हैं। निस्सन्देह उनकी कविता के सरोकार मनुष्य को थोड़ा और मनुष्य बनाने के हैं।

About Author

हरिओम राजोरिया - जन्म: 8 अगस्त, 1964, अशोकनगर (म.प्र.)। नागरिक यान्त्रिकी में पत्रोपाधि एवं कला स्नातक हिन्दी की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में कविताएँ प्रकाशित। 1993 में इक्कीस कविताओं की एक पुस्तिका 'यह एक सच है' प्रकाशित। पहला कविता संग्रह 'हँसीघर' 1997 में प्रकाशित। कहानी और नाट्य लेखन पर भी कुछ काम पिछले पन्द्रह वर्षों से रंगकर्म से सम्बद्ध अनेक नाटकों में अभिनय, कुछ नाटकों के लिए गीत-लेखन। कुछ कविताओं के भारतीय भाषाओं में अनुवाद। 'हँसीघर' संग्रह के लिए म.प्र. हिन्दी साहित्य सम्मेलन का वागीश्वरी पुरस्कार अभिनव कला परिषद्, भोपाल का शब्द शिल्पी सम्मान।

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