KARTA NE KARAM SE

Publisher:
MANJUL PUB. HOUSE
| Author:
MANAV KAUL
| Language:
English
| Format:
Paperback

198

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SKU 9788195106332 Categories , Tag
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208

हम जितने होते हैं वो हमें हमसे कहीं ज़्यादा दिखाती है। कभी एक गुथे पड़े जीवन को कलात्मक कर देती है तो कभी उसके कारण हमें डामर की सड़क के नीचे पगडंडियों का धड़कना सुनाई देने लगता है। वह कविता ही है जो छल को जीवन में पिरोती है और हमें पहली बार अपने ही भीतर बैठा वह व्यक्ति नज़र आता है जो समय और जगह से परे, किसी समानांतर चले आ रहे संसार का हिस्सा है। कविता वो पुल बन जाती है जिसमें हम बहुत आराम से दोनों संसार में विचरण करने लगते हैं। हमें अपनी ही दृष्टि पर यक़ीन नहीं होता, हम अपने ही नीरस संसार को अब इतने अलग और सूक्ष्म तरीक़े से देखने लगते हैं कि हर बात हमारा मनोरंजन करती नज़र आने लगती है। —मानव कौल.

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Description

हम जितने होते हैं वो हमें हमसे कहीं ज़्यादा दिखाती है। कभी एक गुथे पड़े जीवन को कलात्मक कर देती है तो कभी उसके कारण हमें डामर की सड़क के नीचे पगडंडियों का धड़कना सुनाई देने लगता है। वह कविता ही है जो छल को जीवन में पिरोती है और हमें पहली बार अपने ही भीतर बैठा वह व्यक्ति नज़र आता है जो समय और जगह से परे, किसी समानांतर चले आ रहे संसार का हिस्सा है। कविता वो पुल बन जाती है जिसमें हम बहुत आराम से दोनों संसार में विचरण करने लगते हैं। हमें अपनी ही दृष्टि पर यक़ीन नहीं होता, हम अपने ही नीरस संसार को अब इतने अलग और सूक्ष्म तरीक़े से देखने लगते हैं कि हर बात हमारा मनोरंजन करती नज़र आने लगती है। —मानव कौल.

About Author

मानव कौल के लिए लेखन आनंद की यात्रा रहा है। मानव ने लिखने के समय में ख़ुद को सबसे ज़्यादा सुरक्षित महसूस किया है। मानव ने लिखने की शुरुआत 20 साल पहले की थी। शुरुआत कविता से हुई। इस कविता-संग्रह, जोकि उनकी सातवीं किताब है, में मानव का पिछले 20 सालों का लिखा शामिल है। बीते 4 सालों में मानव ने बहुत सघन लेखन किया है, जो छह किताबों—‘ठीक तुम्हारे पीछे’, ‘प्रेम कबूतर’, ‘तुम्हारे बारे में’, ‘बहुत दूर, कितना दूर होता है’, ‘चलता-फिरता प्रेत’ और ‘अंतिमा’ के रूप में पाठकों के दिल में घर चुका है।.
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