Kalapani (HB)

Publisher:
Radhakrishna Prakashan
| Author:
Leeladhar Mandaloi
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Radhakrishna Prakashan
Author:
Leeladhar Mandaloi
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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लीलाधर मंडलोई वैसे रचनाकारों में हैं जो धरती के किसी भी हिस्से में अपने रहवास को एक लम्बे कालखंड में, अपनी ऐन्द्रियता से आत्मसात कर आश्चर्यजनक ढंग से स्थानीय हो उठते हैं। ऐसा उन्होंने पातालकोट, छिंदवाड़ा, गोंडवाना (कान्हा अभ्यारण्य), भोपाल और एक हद तक दिल्ली में रहते हुए सम्भव किया है। देखा जाए तो उनका यह आश्चर्य ‘काला पानी’ अंदमान निकोबार द्वीप समूह से आरम्भ हुआ। ‘काला पानी’ से ही उनकी पहचान पहले एक कवि और फिर फीचर लेखक के रूप में हुई। पाठकों को स्मंरण होगा कि इस उपेक्षित भूखंड की दुर्लभतम् नेग्रिटोव्ह और मंगोल मूल की जनजातियों तथा समुद्र और वन्य जीवन पर फीचर शृंखला और कविताएँ देने वाले वे पहले ऐसे लेखक हैं जिन्हें ‘जनसत्ता’ और ‘नवभारत टाइम्स’ सरीखे अख़बारों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया। इस दृष्टि से वे इस क्षेत्र में अग्रणी माने जाते हैं। ग्रेट अंदमानी, ओंगी शोम्पेन, निकोनारी जनजातियों की लोक-कथाओं को भी हिन्दी में लाने वाले, वे पहले रचनाकार हैं। कहना न होगा कि उनका ‘कविमन’ ही वह स्रोत है जो उन्हें लोक-कथा, लोक-गीत, यात्रा-वृत्तांत, डायरी, मीडिया, रिपोर्ताज व आलोचना में ले जाता है। इधर जबकि भाव और मन की जगह वस्तु, कला और फॉर्म केन्द्रीय पद हैं, तब एक ऐसे लेखक को पढ़ना परम्परा पाठ के तत्त्वों के समीप पहुँचना है।
‘काला पानी’ में यहाँ प्रस्तुत कविता और गद्य में जो है, वह असल में विविध विधाओं में ‘कविमन’ की अभिव्यक्ति है। ‘काला पानी’ की विविध मार्मिक छवियों को कुछेक विधाओं में सहेजने की ईमानदार कोशिश इसे एक अनूठी कृति बनाती है। वस्तुतः यह एक दिलचस्प किंतु आत्मीय कोलाज है। ‘काला पानी’ सिर्फ़ एक साहित्यिक कृति ही नहीं अपितु एक समाजशास्त्रीय अध्ययन भी है। पाठक इसे पढ़ते हुए एक अदेखी दुनिया को अपने अनक़रीब पाएँगे।

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लीलाधर मंडलोई वैसे रचनाकारों में हैं जो धरती के किसी भी हिस्से में अपने रहवास को एक लम्बे कालखंड में, अपनी ऐन्द्रियता से आत्मसात कर आश्चर्यजनक ढंग से स्थानीय हो उठते हैं। ऐसा उन्होंने पातालकोट, छिंदवाड़ा, गोंडवाना (कान्हा अभ्यारण्य), भोपाल और एक हद तक दिल्ली में रहते हुए सम्भव किया है। देखा जाए तो उनका यह आश्चर्य ‘काला पानी’ अंदमान निकोबार द्वीप समूह से आरम्भ हुआ। ‘काला पानी’ से ही उनकी पहचान पहले एक कवि और फिर फीचर लेखक के रूप में हुई। पाठकों को स्मंरण होगा कि इस उपेक्षित भूखंड की दुर्लभतम् नेग्रिटोव्ह और मंगोल मूल की जनजातियों तथा समुद्र और वन्य जीवन पर फीचर शृंखला और कविताएँ देने वाले वे पहले ऐसे लेखक हैं जिन्हें ‘जनसत्ता’ और ‘नवभारत टाइम्स’ सरीखे अख़बारों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया। इस दृष्टि से वे इस क्षेत्र में अग्रणी माने जाते हैं। ग्रेट अंदमानी, ओंगी शोम्पेन, निकोनारी जनजातियों की लोक-कथाओं को भी हिन्दी में लाने वाले, वे पहले रचनाकार हैं। कहना न होगा कि उनका ‘कविमन’ ही वह स्रोत है जो उन्हें लोक-कथा, लोक-गीत, यात्रा-वृत्तांत, डायरी, मीडिया, रिपोर्ताज व आलोचना में ले जाता है। इधर जबकि भाव और मन की जगह वस्तु, कला और फॉर्म केन्द्रीय पद हैं, तब एक ऐसे लेखक को पढ़ना परम्परा पाठ के तत्त्वों के समीप पहुँचना है।
‘काला पानी’ में यहाँ प्रस्तुत कविता और गद्य में जो है, वह असल में विविध विधाओं में ‘कविमन’ की अभिव्यक्ति है। ‘काला पानी’ की विविध मार्मिक छवियों को कुछेक विधाओं में सहेजने की ईमानदार कोशिश इसे एक अनूठी कृति बनाती है। वस्तुतः यह एक दिलचस्प किंतु आत्मीय कोलाज है। ‘काला पानी’ सिर्फ़ एक साहित्यिक कृति ही नहीं अपितु एक समाजशास्त्रीय अध्ययन भी है। पाठक इसे पढ़ते हुए एक अदेखी दुनिया को अपने अनक़रीब पाएँगे।

About Author

लीलाधर मंडलोई

जन्म : 15 अक्टूबर, 1953, छिंदवाड़ा के गाँव गुढ़ी में।

प्रमुख कृतियाँ : घर-घर घूमा, रात-बिरात, मगर एक आवाज़, काल बाँका तिरछा, एक बहोत कोमल तान, महज़ शरीर नहीं पहन रखा था उसने, लिखे में दुक्ख, मनवा बेपरवाह, भीजै दास कबीर और जलावतन (कविता-संग्रह); अर्थ जल, काला पानी, कवि का गद्य, दिल का क़िस्सा (निबंध); कविता का तिर्यक (आलोचना); इनसाइड लाइव (मीडिया); दाना पानी, दिनन-दिनन के फेर, राग सतपुड़ा और ईश्वर कहीं नहीं (डायरी); पहाड़ और परी का सपना, पेड़ भी चलते हैं, चांद का धब्बा (बाल साहित्य); अंदमान निकोबार की लोक कथाएँ और ‘मधुरला’ बुंदेली लोक गीतों का संग्रह (लोक साहित्य); कविता के सौ बरस, समकालीन स्त्री स्वर, पास-पड़ोस (सार्क देशों का साहित्य), आपदा और पर्यावरण, विस्मृत निबंध (सम्पादन); मां की मीठी आवाज़ (अनातोली पारपरा की रूसी कविताओं का अनुवाद) और पानियों पर नाम (शकेब जलाली की ग़ज़लों का लिप्यंतरण) (अनुवाद) ओड़िया, बंगला, गुजराती, पंजाबी, मराठी, उर्दू, अंग्रेजी, रूसी, नेपाली में कविताओं के अनुवाद प्रकाशित।

कुछ फिल्मों का निर्माण व निर्देशन। अमूर्त छायाचित्रों की तीन राष्ट्रीय एकल प्रदर्शनियाँ।

मुख्य सम्मान : कबीर सम्मान, पुश्किन सम्मान, नागार्जुन सम्मान, रामविलास शर्मा सम्मान, रज़ा सम्मान, शमशेर सम्मान, किशोरी अमोनकर सरस्वती सम्मान, प्रमोद वर्मा काव्य सम्मान, साहित्यकार सम्मान, कृति सम्मान और वागीश्वरी पुरस्कार।

ई-मेल : leeladharmamdloi@gmail.com

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