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Jartushtra Ne Yah Kaha (HB)

Publisher:
Radhakrishna Prakashan
| Author:
Friedrich Nietzsche, Tr. Sherjung and Nirmala Sherjung
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Radhakrishna Prakashan
Author:
Friedrich Nietzsche, Tr. Sherjung and Nirmala Sherjung
Language:
Hindi
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Hardback

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SKU 9788183610322 Category
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यूनानियों के अनुसार विकास के प्रत्येक चरण का अपना पैग़म्बर हुआ है जिसने अपने समय के लोगों का पथ-प्रदर्शन किया है। हर पैग़म्बर का अपना समय होता है। ‘ज़रतुष्ट्र’ ही वह पहला विचारक था जिसने व्यवहार-चक्र में अच्छाई और बुराई, नेकी और बदी के अन्तर को समझा, नैतिकता के तात्त्विक रूप को पहचाना और कहा कि सच्चाई ही सर्वोत्तम सद्गुण है, कार्य-प्रेरक है और है अपने आप में पूर्ण अर्थात् स्वयंभू।
‘ज़रतुष्ट्र ने यह कहा’ नामक पुस्तक के लेखक विश्व-विख्यात विचारक, दार्शनिक और साहित्यकार फ़्रीडरिश नीत्शे हैं। इनकी विचारधारा एवं लेखन ने अपने समय के विचारशील लोगों को जितना प्रभावित किया। उतना दार्शनिक इमेनुअल कांट को छोड़कर अन्य कोई नहीं कर पाया था, शोपनहार भी नहीं जिनके सिद्धान्तों का प्रभाव यूरोप के अधिकांश भागों में छाया हुआ था। नीत्शे की लेखनी का क्षेत्र बहुत विस्तृत था, उसमें नीतिशास्त्र के अतिरिक्त साहित्य, राजनीति, दर्शन और धार्मिक निष्ठाओं एवं विचारों का मंथन तथा समालोचना सभी सम्मिलित थे।
नीत्शे ने हमारे सम्मुख ऐसे नए और उच्च मूल्यों को रखा जो उत्साहवर्धक हैं और जीवन में ‘आशा और विश्वास’ पैदा करते हैं। मूल्यों की पुरानी सारिणी में उन मूल्यों पर बल दिया गया है जो मनुष्य को कमज़ोर, निरुत्साही और निष्प्रभ बनाते हैं। ऐसे मूल्यों वाले व्यक्ति को ‘माडर्न मैन’ की संज्ञा दी गई। इसके विपरीत, मूल्यों की नई सारिणी में, उन मूल्यों को प्राथमिकता दी गई है जो कौम को स्वस्थ, सबल, शक्तिवान, उत्साही और साहसी बनाते हैं। या यूँ कहिए कि नई मूल्य सारिणी के अनुसार ‘जो गुण शक्ति से विकसित होते हैं, वे अच्छे हैं, और जो कमज़ोरी के परिणाम से उपजते हैं, वे बुरे हैं।’
उम्मीद है, यह महत्त्वपूर्ण कृति हिन्दी के पाठकों, ख़ासकर दर्शन में रुचि रखनेवालों को बेहद पसन्द आएगी।

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Description

यूनानियों के अनुसार विकास के प्रत्येक चरण का अपना पैग़म्बर हुआ है जिसने अपने समय के लोगों का पथ-प्रदर्शन किया है। हर पैग़म्बर का अपना समय होता है। ‘ज़रतुष्ट्र’ ही वह पहला विचारक था जिसने व्यवहार-चक्र में अच्छाई और बुराई, नेकी और बदी के अन्तर को समझा, नैतिकता के तात्त्विक रूप को पहचाना और कहा कि सच्चाई ही सर्वोत्तम सद्गुण है, कार्य-प्रेरक है और है अपने आप में पूर्ण अर्थात् स्वयंभू।
‘ज़रतुष्ट्र ने यह कहा’ नामक पुस्तक के लेखक विश्व-विख्यात विचारक, दार्शनिक और साहित्यकार फ़्रीडरिश नीत्शे हैं। इनकी विचारधारा एवं लेखन ने अपने समय के विचारशील लोगों को जितना प्रभावित किया। उतना दार्शनिक इमेनुअल कांट को छोड़कर अन्य कोई नहीं कर पाया था, शोपनहार भी नहीं जिनके सिद्धान्तों का प्रभाव यूरोप के अधिकांश भागों में छाया हुआ था। नीत्शे की लेखनी का क्षेत्र बहुत विस्तृत था, उसमें नीतिशास्त्र के अतिरिक्त साहित्य, राजनीति, दर्शन और धार्मिक निष्ठाओं एवं विचारों का मंथन तथा समालोचना सभी सम्मिलित थे।
नीत्शे ने हमारे सम्मुख ऐसे नए और उच्च मूल्यों को रखा जो उत्साहवर्धक हैं और जीवन में ‘आशा और विश्वास’ पैदा करते हैं। मूल्यों की पुरानी सारिणी में उन मूल्यों पर बल दिया गया है जो मनुष्य को कमज़ोर, निरुत्साही और निष्प्रभ बनाते हैं। ऐसे मूल्यों वाले व्यक्ति को ‘माडर्न मैन’ की संज्ञा दी गई। इसके विपरीत, मूल्यों की नई सारिणी में, उन मूल्यों को प्राथमिकता दी गई है जो कौम को स्वस्थ, सबल, शक्तिवान, उत्साही और साहसी बनाते हैं। या यूँ कहिए कि नई मूल्य सारिणी के अनुसार ‘जो गुण शक्ति से विकसित होते हैं, वे अच्छे हैं, और जो कमज़ोरी के परिणाम से उपजते हैं, वे बुरे हैं।’
उम्मीद है, यह महत्त्वपूर्ण कृति हिन्दी के पाठकों, ख़ासकर दर्शन में रुचि रखनेवालों को बेहद पसन्द आएगी।

About Author

फ़्रीडरिश नीत्शे

फ़्रीडरिश नीत्शे (15 अक्टूबर, 1844-25 अगस्त, 1900) विख्यात जर्मन दार्शनिक, आलोचक, कवि और भाषाविद् थे। वे लेटिन और यूनानी के भी विद्वान थे। पश्चिमी दर्शन और आधुनिक बौद्धिक इतिहास पर उनके विचारों और स्थापनाओं का निर्णायक प्रभाव पड़ा। दर्शन की तरफ़ मुड़ने से पहले उन्होंने अपना जीवन भाषाशास्त्री के रूप में शुरू किया था और मात्र 24 वर्ष की आयु में बेसिल विश्वविद्यालय में शास्त्रीय भाषा विज्ञान पढ़ाने लगे थे। लेकिन बाद में स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने यह पद छोड़ दिया और तदुपरान्त अपना महत्त्वपूर्ण लेखन किया। 1889 में जब वे मात्र 44 वर्ष के थे, उन्हें मस्तिष्कीय आघात हुआ। इसके बाद का जीवन उन्होंने अपनी माँ और उनके बाद अपनी बहन की देखरेख में बिताया।

 

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