Jai Baba Felunath (PB)

Publisher:
REMADHAV
| Author:
Satyajit Ray
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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REMADHAV
Author:
Satyajit Ray
Language:
Hindi
Format:
Paperback

198

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शरलक होम्स और जेम्स बॉण्ड की तरह ही सत्यजित राय के एक दुर्धर्ष पात्र हैं फेलूदा। जटिल से जटिल परिस्थितियों को परत-दर-परत खोलकर सच को सामने लाना उनका काम है। बांग्लाभाषी समाज की एक पूरी पीढ़ी फेलूदा के जासूसी कारनामों को पढ़-पढ़कर सयानी हुई है। आकर्षण कुछ ऐसा कि किशोरावस्था को पीछे छोड़ चुके प्रौढ़ पाठकों के बीच भी इसकी लोकप्रियता कम नहीं है।
‘जय बाबा फेलूनाथ’ सत्यजित राय के फेलूदा सीरीज़ का एक प्रतिनिधि उपन्यास है। आधुनिक हिन्दी साहित्य में रहस्य-रोमांच और जासूसी पर आधारित लेखन का श्रीगणेश भले ही हुआ हो, परवर्ती रचनाकारों की लिखी ऐसी मनमोहक कृतियाँ नहीं मिलतीं। सत्यजित राय की प्रस्तुत कृति का अनुवाद इस कमी को पूरा करने की दिशा में एक विनम्र प्रयास है जिस पर उनके द्वारा निर्मित फिल्म भी अत्यन्त लोकप्रियता हासिल कर चुकी है।

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Description

शरलक होम्स और जेम्स बॉण्ड की तरह ही सत्यजित राय के एक दुर्धर्ष पात्र हैं फेलूदा। जटिल से जटिल परिस्थितियों को परत-दर-परत खोलकर सच को सामने लाना उनका काम है। बांग्लाभाषी समाज की एक पूरी पीढ़ी फेलूदा के जासूसी कारनामों को पढ़-पढ़कर सयानी हुई है। आकर्षण कुछ ऐसा कि किशोरावस्था को पीछे छोड़ चुके प्रौढ़ पाठकों के बीच भी इसकी लोकप्रियता कम नहीं है।
‘जय बाबा फेलूनाथ’ सत्यजित राय के फेलूदा सीरीज़ का एक प्रतिनिधि उपन्यास है। आधुनिक हिन्दी साहित्य में रहस्य-रोमांच और जासूसी पर आधारित लेखन का श्रीगणेश भले ही हुआ हो, परवर्ती रचनाकारों की लिखी ऐसी मनमोहक कृतियाँ नहीं मिलतीं। सत्यजित राय की प्रस्तुत कृति का अनुवाद इस कमी को पूरा करने की दिशा में एक विनम्र प्रयास है जिस पर उनके द्वारा निर्मित फिल्म भी अत्यन्त लोकप्रियता हासिल कर चुकी है।

About Author

सत्यजित राय 

2 मई, 1921 को गड़पार रोड, दक्षिणी कलकत्ता (बंगाल) में जन्म। पिता सुकुमार राय एक प्रतिष्ठित व्यक्ति थे।

प्रारम्भिक शिक्षा घर पर हुई। पाँच साल की आयु में माँ सुप्रभा राय के साथ भवानीपुर में नाना के घर जाकर रहने लगे। सन् 1936 में बालीगंज गवर्नमेंट हाई स्कूल से मैट्रिक पास किया।

बांग्ला फ़िल्मों के अन्तरराष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त निदेशक होने के साथ-साथ उच्च कोटि के संगीतकार, चित्रकार, छायाकार, पत्रकार और लेखक। बच्चों के लिए विशेष तौर पर काम किया है।

'पथेर पांचाली' उनकी विश्वप्रसिद्ध बांग्ला फ़िल्म है। हिन्दी सिनेमा को भी उन्होंने ‘सद्गति’ और ‘शतरंज के खिलाड़ी’ जैसी फ़िल्में दीं। अपनी कला-मर्मज्ञता के कारण वे कई उच्चस्तरीय राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय समितियों के पदाधिकारी रहे। ऑस्कर समेत अनेक पुरस्कारों से सम्मानित।

निधन : 23 अप्रैल, 1992

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