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Hum Fida-E-Lucknow

Publisher:
Rajpal and Sons
| Author:
Amritlal Nagar
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Rajpal and Sons
Author:
Amritlal Nagar
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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SKU 9788170288329 Category Tag
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104

लखनऊ और अवध सदा से अपनी विशिष्ट संस्कृति के लिए विख्यात रहा है। नज़ाकत और नफासत के लिए विशेष रूप से जानी जाने वाली लखनवी संस्कृति आज भी वहां के जन मानस में जि़न्दा है। वहां के निवासियों का यह कहना सच ही है कि ‘हम फिदा-ए-लखनऊ’, लखनऊ हम पे फिदा’। जीवन भर लखनऊ में रहने वाले प्रसिद्ध साहित्यकार अमृतलाल नागर की ये कहानियाँ मनोरंजन के साथ लखनऊ के जनजीवन के हर पहलू को उजागर करती हैं।

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Description

लखनऊ और अवध सदा से अपनी विशिष्ट संस्कृति के लिए विख्यात रहा है। नज़ाकत और नफासत के लिए विशेष रूप से जानी जाने वाली लखनवी संस्कृति आज भी वहां के जन मानस में जि़न्दा है। वहां के निवासियों का यह कहना सच ही है कि ‘हम फिदा-ए-लखनऊ’, लखनऊ हम पे फिदा’। जीवन भर लखनऊ में रहने वाले प्रसिद्ध साहित्यकार अमृतलाल नागर की ये कहानियाँ मनोरंजन के साथ लखनऊ के जनजीवन के हर पहलू को उजागर करती हैं।

About Author

अमृतलाल नागर

नागर जी का जन्म 17 अगस्त, 1916 को आगरा में हुआ। लखनऊ में शिक्षा प्राप्त की और फिर वहीं बस गए। तस्लीम लखनवी, मेघराज, इन्‍द्र आदि उपनामों से भी लेखन किया है। बांग्‍ला, तमिल, गुजराती और मराठी भाषाओं के ज्ञाता। उनकी रचनाओं में ‘वाटिका’, ‘अवशेष’, ‘नवाबी मसनद’, ‘तुलाराम शास्त्री’, ‘एटम बम’, ‘एक दिल हजार दास्ताँ’, ‘पीपल की परी’, नामक कहानी-संग्रह; ‘महाकाल’, ‘सेठ बाँकेमल’, ‘बूँद और समुद्र’, ‘शतरंज के मोहरे’, ‘अमृत और विष’ आदि उपन्यास; ‘गदर के फूल’, ‘ये कोठेवालियाँ’ आदि शोध-कृतियाँ तथा बाल-साहित्य की ‘नटखट चाची’, ‘निंदिया आजा’ आदि उल्लेखनीय हैं। अन्य महत्त्वपूर्ण कृतियों में तुलसी के जीवन पर आधारित महाकाव्यात्मक उपन्यास ‘मानस का हंस’; हास्य-व्यंग्य-संग्रह ‘कृपया दाएँ चलिए’, ‘भरत पुत्र नौरंगीलाल’ तथा संस्मरण-संग्रह ‘जिनके साथ जिया’ प्रमुख हैं।

नागर जी साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत हुए और उनकी अनेक कृतियाँ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भी पुरस्कृत हुई हैं।

निधन : 23 फरवरी, 1990

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