Havva Ki Betiyon Ki Dastan Dardja

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
जयश्री रॉय
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
जयश्री रॉय
Language:
Hindi
Format:
Paperback

236

Save: 20%

In stock

Ships within:
1-4 Days

In stock

Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9789352294480 Category
Category:
Page Extent:
198

जयश्री रॉय की कृति ‘दर्दजा’ के पृष्ठों पर एक ऐसे संघर्ष की ख़ून औरतकलीफ़ में डूबी हुई गाथा दर्ज है जो अफ़्रीका के 28 देशों के साथ-साथ मध्य-पूर्व के कुछ देशों और मध्य व दक्षिण अमेरिका के कुछ जातीय समुदायों की करोड़ों स्त्रियों द्वारा फ़ीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन (एफ़जीएम या औरतों की सुन्नत) की कुप्रथा के ख़िलाफ़ किया जा रहा है। स्त्री की सुन्नत का मतलब है उसके यौनांग के बाहरी हिस्से (भगनासा समेत उसके बाहरी ओष्ठ) को काट कर सिल देना, ताकि उसकी नैसर्गिक कामेच्छा को पूरी तरह से नियन्त्रिात करके उसे महज़ बच्चा पैदा करने वाली मशीन में बदला जा सके। धर्म, परम्परा और सेक्शुअलिटी के जटिल धरातल पर चल रही इस लड़ाई में विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनेस्को जैसी विश्व-संस्थाओं की सक्रिय हिस्सेदारी तो है ही, सत्तर के दशक में प्रकाशित होस्किन रिपोर्ट के बाद से नारीवादी आन्दोलन और उसके रैडिकल विमर्श ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई है।—अभय कुमार दुबे निदेशक, भारतीय भाषा कार्यक्रम, विकासशील समाज अध्ययन पीठ (सीएसडीएस) दिल्ली

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Havva Ki Betiyon Ki Dastan Dardja”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

जयश्री रॉय की कृति ‘दर्दजा’ के पृष्ठों पर एक ऐसे संघर्ष की ख़ून औरतकलीफ़ में डूबी हुई गाथा दर्ज है जो अफ़्रीका के 28 देशों के साथ-साथ मध्य-पूर्व के कुछ देशों और मध्य व दक्षिण अमेरिका के कुछ जातीय समुदायों की करोड़ों स्त्रियों द्वारा फ़ीमेल जेनिटल म्यूटिलेशन (एफ़जीएम या औरतों की सुन्नत) की कुप्रथा के ख़िलाफ़ किया जा रहा है। स्त्री की सुन्नत का मतलब है उसके यौनांग के बाहरी हिस्से (भगनासा समेत उसके बाहरी ओष्ठ) को काट कर सिल देना, ताकि उसकी नैसर्गिक कामेच्छा को पूरी तरह से नियन्त्रिात करके उसे महज़ बच्चा पैदा करने वाली मशीन में बदला जा सके। धर्म, परम्परा और सेक्शुअलिटी के जटिल धरातल पर चल रही इस लड़ाई में विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनेस्को जैसी विश्व-संस्थाओं की सक्रिय हिस्सेदारी तो है ही, सत्तर के दशक में प्रकाशित होस्किन रिपोर्ट के बाद से नारीवादी आन्दोलन और उसके रैडिकल विमर्श ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई है।—अभय कुमार दुबे निदेशक, भारतीय भाषा कार्यक्रम, विकासशील समाज अध्ययन पीठ (सीएसडीएस) दिल्ली

About Author

जयश्री रॉय का जन्म दिनांक 18 मई को तत्कालीन बिहार (अब झारखंड) के हजारीबाग में हुआ। माध्यमिक स्तर तक की शिक्षा बिहार में ग्रहण करने के बाद इन्होंने गोवा विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में स्वर्ण पदक के साथ स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की । अब तक प्रकाशित इनके चार कहानी-संग्रहों- 'अनकही', 'तुम्हें छू लूँ जरा’, ‘खारा पानी' और ‘कायान्तर' तथा तीन उपन्यासों - ' औरत जो नदी है', 'साथ चलते हुए' और 'इकबाल' ने अपनी सघन संवेदनात्मकता और चुनौतीपूर्ण कथा -विन्यास के कारण पाठकों-आलोचकों का विशेष ध्यान खीचा था ।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Havva Ki Betiyon Ki Dastan Dardja”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED