Gulzar Set Of 4 Books : Mere Apne | New Delhi Times | Ijaazat | Angoor

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Gulzar
| Language:
Hindi
| Format:
Omnibus/Box Set (Hardback)
Publisher:
Rajkamal
Author:
Gulzar
Language:
Hindi
Format:
Omnibus/Box Set (Hardback)

829

Save: 30%

In stock

Ships within:
1-4 Days

In stock

ISBN:
SKU PIGULZAR3 Category Tag
Page Extent:
530

1. मेरे अपने :-

मेरे अपने’ गुलजार की एक बेहद संवेदनशील फिल्म है । इसकी कहानी के केन्द्र में आनन्दी बुआ नाम की एक वृद्धा स्त्री है जो दूर गाँव में अकेली अपने आखिरी दिन काट रही है । एक दूर का रिश्तेदार अपने घर में आया की कमी पूरी करने के लिए उसे शहर ले जाता है जहाँ जाकर वह पहले तो नए वक्तों के हालात को देखकर चकित होती है, लेकिन फिर शहर के भटके हुए नौजवानों के ऊपर अपनी ममता का आँचल फैला देती अपने तथाकथित रिश्तेदार का घर छोड्‌कर वह उन्हीं लडुकों के साथ रहने लगती है । वे ही उसके अपने हो जाते हैं । इस तरह गुलजार ने अपनी इस फिल्म में समाज में प्रचलित अपने-पराए की अवधारणा को भी नए सिरे से देखने की कोशिश की है और सभ्य सुरक्षित समाज के हाशिये पर जीनेवाले लोगों के मानवीय संवेदना को भी रेखांकित किया है । अंत में वृद्धा दो गुटों की लड़ाई के दौरान अपने प्राण त्याग देती है और इस तरह हम पुन: इस सवाल के रू-ब-रू आ खड़े होते हैं कि आखिर अपना है क्या| गुलजार की फिल्मों में अकसर स्वातंत्रयोत्तर भारत की राजनीतिक स्थितियों पर भी कटाक्ष होता है, वह ‘मेरे अपने’ में भी है ।

2. नई दिल्ली टाइम्स :-

चर्चित फिल्म ‘न्यू देहली टाइम्स’ का मंज़रनामा पाठक को समय, समाज और राजनीति के दबावों में नाना प्रकार के रूप धारण करते मीडिया से परिचित कराता है। सबकी ख़बर लेने और सबकी ख़बर देनेवाला मीडिया स्वयं बहुत सारे अन्तर्विरोधों से भरा हुआ है। ऐसे में उन मीडियाकर्मियों के संघर्ष और अन्तर्द्वन्द्व का अनुमान लगाया जा सकता है जो सत्य के पक्ष में खड़े हैं। यह मंज़रनामा दिन पर दिन जटिल होते ‘समाज’ और ‘सूचना समाज’ के रिश्तों का यथार्थवादी चित्रण करता है।

3. इजाज़त :-

यह फ़ि‍ल्म ‘इजाज़त’ का मंज़रनामा है। इस फ़ि‍ल्म को अगर हम औरत और मर्द के जटिल रिश्तों की कहानी कहते हैं, तो भी बात तो साफ़ हो जाती है लेकिन सिर्फ़ इन्हीं शब्दों में उस विडम्बना को नहीं पकड़ा जा सकता, जो इस फ़ि‍ल्म की थीम है। वक़्त और इत्तेफ़ाक़, ये दो चीज़ें आदमी की सारी समझ और दानिशमंदी को पीछे छोड़ती हुई कभी उसकी नियति का कारण हो जाती हैं और कभी बहाना।

पानी की तरह बहती हुई इस कहानी में जो चीज़ सबसे अहम है, वह है इंसानी अहसास की बेहद महीन अक्कासी जिसे गुलज़ार ही साध सकते थे।

इस कृति के रूप में पाठक निश्चय ही एक श्रेष्ठ साहित्यिक रचना से रू–ब–रू होंगे।

4. अंगूर :-

यह बेहद लोकप्रिय कॉमेडी ‘अंगूर’ का मंज़रनामा है। दो जुड़वाँ जोड़ियों के बीच बुनी घटनाओं की यह कहानी आज भी दर्शकों को उतना ही लुभाती है जितना अपने समय में लुभाती थी। शेक्सपीयर के नाटक ‘द कॉमेडी ऑफ़ एरर्स’ से प्रेरित इस फ़‍िल्म ने स्वस्थ और चुटीले हास्य का एक मानक फ़ि‍ल्म-उद्योग के सामने रखा था। विश्वास है, पुस्तक के रूप में इस फ़िल्म की यह प्रस्तुति पाठकों की स्मृति में रचे चित्रों को पुनः गतिमान करेगी और साथ ही एक उपन्यास का आनन्द भी देगी।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Gulzar Set Of 4 Books : Mere Apne | New Delhi Times | Ijaazat | Angoor”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

1. मेरे अपने :-

मेरे अपने’ गुलजार की एक बेहद संवेदनशील फिल्म है । इसकी कहानी के केन्द्र में आनन्दी बुआ नाम की एक वृद्धा स्त्री है जो दूर गाँव में अकेली अपने आखिरी दिन काट रही है । एक दूर का रिश्तेदार अपने घर में आया की कमी पूरी करने के लिए उसे शहर ले जाता है जहाँ जाकर वह पहले तो नए वक्तों के हालात को देखकर चकित होती है, लेकिन फिर शहर के भटके हुए नौजवानों के ऊपर अपनी ममता का आँचल फैला देती अपने तथाकथित रिश्तेदार का घर छोड्‌कर वह उन्हीं लडुकों के साथ रहने लगती है । वे ही उसके अपने हो जाते हैं । इस तरह गुलजार ने अपनी इस फिल्म में समाज में प्रचलित अपने-पराए की अवधारणा को भी नए सिरे से देखने की कोशिश की है और सभ्य सुरक्षित समाज के हाशिये पर जीनेवाले लोगों के मानवीय संवेदना को भी रेखांकित किया है । अंत में वृद्धा दो गुटों की लड़ाई के दौरान अपने प्राण त्याग देती है और इस तरह हम पुन: इस सवाल के रू-ब-रू आ खड़े होते हैं कि आखिर अपना है क्या| गुलजार की फिल्मों में अकसर स्वातंत्रयोत्तर भारत की राजनीतिक स्थितियों पर भी कटाक्ष होता है, वह ‘मेरे अपने’ में भी है ।

2. नई दिल्ली टाइम्स :-

चर्चित फिल्म ‘न्यू देहली टाइम्स’ का मंज़रनामा पाठक को समय, समाज और राजनीति के दबावों में नाना प्रकार के रूप धारण करते मीडिया से परिचित कराता है। सबकी ख़बर लेने और सबकी ख़बर देनेवाला मीडिया स्वयं बहुत सारे अन्तर्विरोधों से भरा हुआ है। ऐसे में उन मीडियाकर्मियों के संघर्ष और अन्तर्द्वन्द्व का अनुमान लगाया जा सकता है जो सत्य के पक्ष में खड़े हैं। यह मंज़रनामा दिन पर दिन जटिल होते ‘समाज’ और ‘सूचना समाज’ के रिश्तों का यथार्थवादी चित्रण करता है।

3. इजाज़त :-

यह फ़ि‍ल्म ‘इजाज़त’ का मंज़रनामा है। इस फ़ि‍ल्म को अगर हम औरत और मर्द के जटिल रिश्तों की कहानी कहते हैं, तो भी बात तो साफ़ हो जाती है लेकिन सिर्फ़ इन्हीं शब्दों में उस विडम्बना को नहीं पकड़ा जा सकता, जो इस फ़ि‍ल्म की थीम है। वक़्त और इत्तेफ़ाक़, ये दो चीज़ें आदमी की सारी समझ और दानिशमंदी को पीछे छोड़ती हुई कभी उसकी नियति का कारण हो जाती हैं और कभी बहाना।

पानी की तरह बहती हुई इस कहानी में जो चीज़ सबसे अहम है, वह है इंसानी अहसास की बेहद महीन अक्कासी जिसे गुलज़ार ही साध सकते थे।

इस कृति के रूप में पाठक निश्चय ही एक श्रेष्ठ साहित्यिक रचना से रू–ब–रू होंगे।

4. अंगूर :-

यह बेहद लोकप्रिय कॉमेडी ‘अंगूर’ का मंज़रनामा है। दो जुड़वाँ जोड़ियों के बीच बुनी घटनाओं की यह कहानी आज भी दर्शकों को उतना ही लुभाती है जितना अपने समय में लुभाती थी। शेक्सपीयर के नाटक ‘द कॉमेडी ऑफ़ एरर्स’ से प्रेरित इस फ़‍िल्म ने स्वस्थ और चुटीले हास्य का एक मानक फ़ि‍ल्म-उद्योग के सामने रखा था। विश्वास है, पुस्तक के रूप में इस फ़िल्म की यह प्रस्तुति पाठकों की स्मृति में रचे चित्रों को पुनः गतिमान करेगी और साथ ही एक उपन्यास का आनन्द भी देगी।

About Author

"गुलज़ार एक मशहूर शायर हैं जो फ़िल्में बनाते हैं। गुलज़ार एक अप्रतिम फ़िल्मकार हैं जो कविताएँ लिखते हैं।बिमल राय के सहायक निर्देशक के रूप में शुरू हुए। फ़िल्मों की दुनिया में उनकी कविताई इस तरह चली कि हर कोई गुनगुना उठा। एक 'गुलज़ार-टाइप' बन गया। अनूठे संवाद, अविस्मरणीय पटकथाएँ, आसपास की ज़िन्दगी के लम्हे उठाती मुग्धकारी फ़िल्में। ‘परिचय’, ‘आँधी’, ‘मौसम’, ‘किनारा’, ‘ख़ुशबू’, ‘नमकीन’, ‘अंगूर’, ‘इजाज़त’—हर एक अपने में अलग।1934 में दीना (अब पाकिस्तान) में जन्मे गुलज़ार ने रिश्ते और राजनीति—दोनों की बराबर परख की। उन्होंने ‘माचिस’ और ‘हू-तू-तू’ बनाई, ‘सत्या’ के लिए लिखा—'गोली मार भेजे में, भेजा शोर करता है...।‘कई किताबें लिखीं। ‘चौरस रात’ और ‘रावी पार’ में कहानियाँ हैं तो ‘गीली मिट्टी’ एक उपन्यास। 'कुछ नज़्में’, ‘साइलेंसेस’, ‘पुखराज’, ‘चाँद पुखराज का’, ‘ऑटम मून’, ‘त्रिवेणी’ वग़ैरह में कविताएँ हैं। बच्चों के मामले में बेहद गम्भीर। बहुलोकप्रिय गीतों के अलावा ढेरों प्यारी-प्यारी किताबें लिखीं जिनमें कई खंडों वाली ‘बोसकी का पंचतंत्र’ भी है। ‘मेरा कुछ सामान’ फ़िल्मी गीतों का पहला संग्रह था, ‘छैयाँ-छैयाँ’ दूसरा। और किताबें हैं : ‘मीरा’, ‘ख़ुशबू’, ‘आँधी’ और अन्य कई फ़िल्मों की पटकथाएँ। 'सनसेट प्वॉइंट', 'विसाल', 'वादा', 'बूढ़े पहाड़ों पर' या 'मरासिम' जैसे अल्बम हैं तो 'फिज़ा' और 'फ़िलहाल' भी। यह विकास-यात्रा का नया चरण है।बाक़ी कामों के साथ-साथ 'मिर्ज़ा ग़ालिब' जैसा प्रामाणिक टी.वी. सीरियल बनाया। ‘ऑस्‍कर अवार्ड’, ‘साहित्‍य अकादेमी पुरस्‍कार’ सहित कई अलंकरण पाए। सफ़र इसी तरह जारी है। फ़िल्में भी हैं और 'पाजी नज़्मों' का मजमुआ भी आकार ले रहा है।"

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Gulzar Set Of 4 Books : Mere Apne | New Delhi Times | Ijaazat | Angoor”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

[wt-related-products product_id="test001"]

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED