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Ek Tha Doctor Ek Tha Sant

Publisher:
RajKamal
| Author:
Arundhati Roy
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
RajKamal
Author:
Arundhati Roy
Language:
Hindi
Format:
Paperback

200

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3-5 days

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Weight 210 g
Book Type

ISBN:
SKU 9789388933056 Categories ,
Categories: ,
Page Extent:
176

पूँजीवादी संसार में जो स्थान कम्यूनिस्ट मैनिफेस्टो का है, ऐनिहिलेशन ऑफ़ कास्ट का भारत में वही स्थान है।” आनंद तेलतुम्बड़े, द परसिस्टंस ऑफ़ कास्ट के लेखक

“1930 के दशक के लिए ऐनिहिलेशन ऑफ़ कास्ट चमत्कारिक लेखन का एक ऐसा नमूना था जिसमें वैचारिक स्पष्टता और राजनीतिक समझ थी—कुछ ऐसा जिसे दुनिया को जानना जरूरी है। रॉय के कलम में एक पैना राजनैतिक प्रहार है, जिसकी अपेक्षा उनसे हमेशा रहती है।” उमा चक्रवर्ती, पंडिता रमाबाई: ए लाइफ़ एंड ए टाइम की लेखिका

“अरुंधति रॉय की कलम असरदार, आँखें खोल देनेवाली और उत्तेजक है…इसे पढ़ने के बाद महात्मा की संत वाली महिमा का कुछ बाक़ी नहीं बचता, जबकि आंबेडकर सही तौर पर एक ऐसी शख़्सियत के रूप में उभरकर आते हैं जिनका अपनी ज्ञानेन्द्रियों पर सम्पूर्ण नियंत्रण है और जो विलक्षण प्रज्ञा के स्वामी हैं।” थॉमस ब्लोम हेनसेन, द सैफ़्रन वेव के लेखक

“लोकतंत्र ने जाति का उन्मूलन नहीं किया है”, अरुंधति रॉय लिखती हैं, “इसने जाति की मोर्चेबंदी और आधुनिकीकरण किया है।”

“अरुंधति रॉय हमारे समय के चंद महान क्रान्तिकारी बुद्धिजीवियों में से एक हैं…साहसी, दूरदर्शी, विद्वान और सुविज्ञ…द डॉक्टर एंड द सेंट शीर्षक यह निबंध बी.आर. आंबेडकर पर एक स्पॉटलाइट डालता है जिन्हें अनुचित ढंग से गांधी की अपछाया में ढाँप दिया गया। संक्षेप में, रॉय एक शानदार शख़्सियत हैं जो हम सभी को झकझोरती हैं।” कोर्नेल वेस्ट, द अफ़्रीकन-अमेरिकन सेचुरी के लेखक

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Description

पूँजीवादी संसार में जो स्थान कम्यूनिस्ट मैनिफेस्टो का है, ऐनिहिलेशन ऑफ़ कास्ट का भारत में वही स्थान है।” आनंद तेलतुम्बड़े, द परसिस्टंस ऑफ़ कास्ट के लेखक

“1930 के दशक के लिए ऐनिहिलेशन ऑफ़ कास्ट चमत्कारिक लेखन का एक ऐसा नमूना था जिसमें वैचारिक स्पष्टता और राजनीतिक समझ थी—कुछ ऐसा जिसे दुनिया को जानना जरूरी है। रॉय के कलम में एक पैना राजनैतिक प्रहार है, जिसकी अपेक्षा उनसे हमेशा रहती है।” उमा चक्रवर्ती, पंडिता रमाबाई: ए लाइफ़ एंड ए टाइम की लेखिका

“अरुंधति रॉय की कलम असरदार, आँखें खोल देनेवाली और उत्तेजक है…इसे पढ़ने के बाद महात्मा की संत वाली महिमा का कुछ बाक़ी नहीं बचता, जबकि आंबेडकर सही तौर पर एक ऐसी शख़्सियत के रूप में उभरकर आते हैं जिनका अपनी ज्ञानेन्द्रियों पर सम्पूर्ण नियंत्रण है और जो विलक्षण प्रज्ञा के स्वामी हैं।” थॉमस ब्लोम हेनसेन, द सैफ़्रन वेव के लेखक

“लोकतंत्र ने जाति का उन्मूलन नहीं किया है”, अरुंधति रॉय लिखती हैं, “इसने जाति की मोर्चेबंदी और आधुनिकीकरण किया है।”

“अरुंधति रॉय हमारे समय के चंद महान क्रान्तिकारी बुद्धिजीवियों में से एक हैं…साहसी, दूरदर्शी, विद्वान और सुविज्ञ…द डॉक्टर एंड द सेंट शीर्षक यह निबंध बी.आर. आंबेडकर पर एक स्पॉटलाइट डालता है जिन्हें अनुचित ढंग से गांधी की अपछाया में ढाँप दिया गया। संक्षेप में, रॉय एक शानदार शख़्सियत हैं जो हम सभी को झकझोरती हैं।” कोर्नेल वेस्ट, द अफ़्रीकन-अमेरिकन सेचुरी के लेखक

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