Ek Sadhvi ki Charitra-Katha

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Sukhad Ram Pandey
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Prabhat Prakashan
Author:
Sukhad Ram Pandey
Language:
Hindi
Format:
Hardback

188

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152

हमारी माँ सारदा देवी और हमारे ठाकुर श्रीरामकृष्ण विनय की ऐसी ही मूर्तियाँ हैं, जिनमें विशालता का सागर लहराता है और उच्चतम आदर्श का हिमालय अपनी सारी गरिमा के साथ उनके हर स्पंदन में प्रकट होता है। माँ की कृपा से मुझे अपनत्व से भरे अजनबी मिले। पूर्व संबंधियों में तो अनेक पूर्वग्रह होते हैं, किंतु जीवन के लंबे सफर में जो लोग यूँ ही टकरा जाते हैं, वे कई मायनों में हमारे सच्चे मित्र और हितैषी होते हैं। हाल के वर्षों में मेरी सबसे ताजा स्मृति उन लोगों की है, जो माँ के काम से मेरे संपर्क में आए। लगता है, रात बहुत लंबी है। दूर तक अँधेरा-ही-अँधेरा है।चाँद की रोशनी ने अँधेरे की तीव्रता को बहुत बढ़ा दिया है। एक ओरचाँद, दूसरी ओर अँधेरा। एक साथ ही पूनम और अमावस्या हैं। (वर्तमान पुस्तक से संदर्भित).

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Description

हमारी माँ सारदा देवी और हमारे ठाकुर श्रीरामकृष्ण विनय की ऐसी ही मूर्तियाँ हैं, जिनमें विशालता का सागर लहराता है और उच्चतम आदर्श का हिमालय अपनी सारी गरिमा के साथ उनके हर स्पंदन में प्रकट होता है। माँ की कृपा से मुझे अपनत्व से भरे अजनबी मिले। पूर्व संबंधियों में तो अनेक पूर्वग्रह होते हैं, किंतु जीवन के लंबे सफर में जो लोग यूँ ही टकरा जाते हैं, वे कई मायनों में हमारे सच्चे मित्र और हितैषी होते हैं। हाल के वर्षों में मेरी सबसे ताजा स्मृति उन लोगों की है, जो माँ के काम से मेरे संपर्क में आए। लगता है, रात बहुत लंबी है। दूर तक अँधेरा-ही-अँधेरा है।चाँद की रोशनी ने अँधेरे की तीव्रता को बहुत बढ़ा दिया है। एक ओरचाँद, दूसरी ओर अँधेरा। एक साथ ही पूनम और अमावस्या हैं। (वर्तमान पुस्तक से संदर्भित).

About Author

सुखद राम पाण्डेय लेखक वर्तमान में ‘उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड रामकृष्ण-विवेकानंद भाव प्रचार परिषद्’ के संयोजक हैं। सन् 1980 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त करने के बाद सन् 1981 में उनका चयन प्रांतीय सिविल सेवा (पी.सी.एस.) में हुआ। विशेष सचिव, वित्त विभाग, उ.प्र. शासन के पद पर लखनऊ में कार्यरत रहते हुए 30 नवंबर, 2016 को वे सेवानिवृत्त हो गए। प्रशासनिक पदों पर कार्य की व्यस्तता के बीच अध्ययन, चिंतन एवं लेखन उनकी रुचि के क्षेत्र रहे हैं। श्रीरामकृष्ण परमहंस, माँ श्री सारदा देवी एवं स्वामी विवेकानंद के आदर्शाभिमुख वे जिन प्रमुख व्यक्तियों एवं श्रेष्ठजनों के संपर्क में आए हैं, उनमें से प्रस्तुत पुस्तक की केंद्रबिंदु साध्वी भी एक हैं। जिए गए जीवन के सत्य को शब्दों में व्यक्त करना यद्यपि असंभव है, तथापि साध्वी के जीवन को पुस्तकीकृत करके लेखक ने यह स्थापित करने का प्रयास किया है कि साधारण लोग भी असाधारण गुणों को आत्मसात् करके एक बड़े वर्ग की प्रेरणा स्रोत हो सकते हैं।.

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