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Ek Adhpaka Sa Natak (PB)
Publisher:
Rajkamal
| Author:
CHIRAG KHANDELWAL
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
CHIRAG KHANDELWAL
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹199 ₹198
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In stock
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3-5 days
In stock
ISBN:
SKU
9788119835706
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
हिन्दी में मौलिक नाटकों की कमी की शिकायत से भरे माहौल में एक अधपका-सा नाटक सुखद विस्मय और भरोसेमन्द आश्वस्ति की तरह है। युवा नाटककार चिराग़ खंडेलवाल की यह कृति मौजूदा दौर के विपर्यय को उसकी पूरी बेतरतीबी के साथ उजागर करती है। इसके किरदार ऐसे हालात से रू-ब-रू हैं जो सामाजिक-राजनीतिक स्तर पर जितने विघटनकारी हैं, व्यक्तिगत स्तर पर भी उतने ही मारक और व्यर्थताबोध भरने वाले हैं। दरअसल पूरा परिदृश्य ही बेतुकेपन, विवेकहीनता और विसंगितयों से खंडित है। ऐसे में सम्पूर्णता सम्भव नहीं है। नाटक इस यथार्थ को रेखांकित करते हुए सम्पूर्णता के स्वप्न को जगाता है।
एक अधपका-सा नाटक की एक उल्लेखनीय विशेषता इसका सरल फ़ार्म है। पारम्परिक ढाँचे को पूरी तरह नकारे बिना, ‘नाटक के अन्दर नाटक’ जैसी युक्ति को अपनाते हुए नाटककार ने मानो सारे बन्धन खोलकर यह सुविधा दे दी है कि पात्र अपनी ज़रूरत के मुताबिक़ एक-एक शब्द जोड़ते हुए इसको अद्यतन कर सकते हैं और अपने समय-समाज के प्रासंगिक सवालों को इसमें शामिल कर सकते हैं। इस तरह यह नाटक हमेशा नया और समकालीन बना रहता है।
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Description
हिन्दी में मौलिक नाटकों की कमी की शिकायत से भरे माहौल में एक अधपका-सा नाटक सुखद विस्मय और भरोसेमन्द आश्वस्ति की तरह है। युवा नाटककार चिराग़ खंडेलवाल की यह कृति मौजूदा दौर के विपर्यय को उसकी पूरी बेतरतीबी के साथ उजागर करती है। इसके किरदार ऐसे हालात से रू-ब-रू हैं जो सामाजिक-राजनीतिक स्तर पर जितने विघटनकारी हैं, व्यक्तिगत स्तर पर भी उतने ही मारक और व्यर्थताबोध भरने वाले हैं। दरअसल पूरा परिदृश्य ही बेतुकेपन, विवेकहीनता और विसंगितयों से खंडित है। ऐसे में सम्पूर्णता सम्भव नहीं है। नाटक इस यथार्थ को रेखांकित करते हुए सम्पूर्णता के स्वप्न को जगाता है।
एक अधपका-सा नाटक की एक उल्लेखनीय विशेषता इसका सरल फ़ार्म है। पारम्परिक ढाँचे को पूरी तरह नकारे बिना, ‘नाटक के अन्दर नाटक’ जैसी युक्ति को अपनाते हुए नाटककार ने मानो सारे बन्धन खोलकर यह सुविधा दे दी है कि पात्र अपनी ज़रूरत के मुताबिक़ एक-एक शब्द जोड़ते हुए इसको अद्यतन कर सकते हैं और अपने समय-समाज के प्रासंगिक सवालों को इसमें शामिल कर सकते हैं। इस तरह यह नाटक हमेशा नया और समकालीन बना रहता है।
About Author
चिराग़ खंडेलवाल
चिराग़ खंडेलवाल का जन्म 11 अगस्त, 1990 को बांदीकुई, राजस्थान में हुआ। उन्होंने हैदराबाद विश्वविद्यालय से परफ़ॉर्मिंग आर्ट्स (थियेटर) में डिज़ाइन और डायरेक्शन में विशेषज्ञता के साथ मास्टर डिग्री ली है। वे दो दशक से भी अधिक समय से थियेटर कर रहे हैं। डॉ. अनुराधा कपूर, राजीव वेलिचेटी, साबिर ख़ान, केरेन लिबमैन और मोहित ताकलकर जैसे ख्यात निर्देशकों के साथ काम कर चुके हैं। नाटक-लेखन और शिक्षण के साथ-साथ नाट्य कार्यशालाएँ भी आयोजित की हैं।
‘एक ख़ून सौ बातें’, ‘एक अनसुनी बात’, ‘मिराज मेलोडीज़’ और ‘एक अधपका-सा नाटक’ उनके चर्चित नाटक हैं। ‘सेवेन अगेंस्ट थेब्स’, ‘टू द स्टार्स’ और ‘मीरा’ सहित कई नाटकों का हिन्दी में अनुवाद भी िकया है।
‘हुँकारो’ नाटक के लिए सर्वश्रेष्ठ ओरिजिनल स्क्रिप्ट के ‘मेटा अवार्ड’ (2023) से पुरस्कृत किये जा चुके हैं।
फ़िलहाल जयपुर के नाट्य-दल ‘उजागर ड्रामेटिक एसोसिएशन’ से बतौर लेखक, अभिनेता और प्रबन्धक जुड़कर कार्य कर
रहे हैं।
ई-मेल : ckchiragkhandelwal@gmail.com
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