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Do Murdon Ke Liye Guldasta
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
सुरेन्द्र वर्मा
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
सुरेन्द्र वर्मा
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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ISBN:
SKU
9788119014286
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
280
दो मुर्दों के लिए गुलदस्ता –
उपभोक्ता समाज में जीने की एक ही शर्त है- अपनी किसी योग्यता को बाज़ार में बेच पाना। छोटे बाज़ार में छोटी क़ीमत, बड़े बाजार में ऊँची क़ीमत। ऊँची क़ीमत से ही सरप्लस, अधिशेष बनेगा और धन का संचय हो सकेगा। इससे सुख और ऊँची जीवन शैली तो प्राप्त हो जाती है, लेकिन बाज़ार अपनी पूरी क़ीमत वसूलता है।
सुरक्षा और समृद्धि का सपना सँजोये शिक्षित-सुन्दर नील और अल्प- शिक्षित भोला अवसर और समृद्धि के महानगर मुम्बई पहुँचते हैं। भोला को अंडरवर्ल्ड पनाह देता है तो नील मिसेज़ दस्तूर का शोध-सहायक बनता है। अंडरवर्ल्ड भोला पर विश्वास बढ़ाता और भोला तरक्की करता जाता है। दो पैसे भी जोड़ता है। उधर सजीला, शालीन, ज़हीन नील असन्तुष्ट अधेड़ धनाढ्य महिलाओं के लिए पुरुष वेश्या (जिगोलो) बन जाता है। उसका सितारा ऊँचा चढ़ता जाता है। सोमपुरिया सेठ की बेटी पारुल नील से प्रेम कर गर्भवती हो गयी और नील नैन के प्रेम में पागल । नील नैन से विवाह की सोचता है तो पारुल घराना उसे कुचल देता है। भोला के ज़रिये माफिया तक जाता है तो माफिया भी हत्या की सुपारी लेकर नील को मार डालता है। भोला हतप्रभ और सुन्न हो जाता है।
साँस रोककर पढ़ी जानेवाली इस कथा में सफ़ेदपोश अपराधी और माफिया दोनों हैं। दो जिन्दादिल मुम्बई गये थे-मुर्दा बनकर रह गये। उपन्यास दो मुद्दों के लिए गुलदस्ता में सुरेन्द्र वर्मा एक नवी कथाभूमि लेकर उपस्थित हुए हैं। यह कृति न केवल पाठकों को मोहेगी वरन चौकाएगी भी।
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Description
दो मुर्दों के लिए गुलदस्ता –
उपभोक्ता समाज में जीने की एक ही शर्त है- अपनी किसी योग्यता को बाज़ार में बेच पाना। छोटे बाज़ार में छोटी क़ीमत, बड़े बाजार में ऊँची क़ीमत। ऊँची क़ीमत से ही सरप्लस, अधिशेष बनेगा और धन का संचय हो सकेगा। इससे सुख और ऊँची जीवन शैली तो प्राप्त हो जाती है, लेकिन बाज़ार अपनी पूरी क़ीमत वसूलता है।
सुरक्षा और समृद्धि का सपना सँजोये शिक्षित-सुन्दर नील और अल्प- शिक्षित भोला अवसर और समृद्धि के महानगर मुम्बई पहुँचते हैं। भोला को अंडरवर्ल्ड पनाह देता है तो नील मिसेज़ दस्तूर का शोध-सहायक बनता है। अंडरवर्ल्ड भोला पर विश्वास बढ़ाता और भोला तरक्की करता जाता है। दो पैसे भी जोड़ता है। उधर सजीला, शालीन, ज़हीन नील असन्तुष्ट अधेड़ धनाढ्य महिलाओं के लिए पुरुष वेश्या (जिगोलो) बन जाता है। उसका सितारा ऊँचा चढ़ता जाता है। सोमपुरिया सेठ की बेटी पारुल नील से प्रेम कर गर्भवती हो गयी और नील नैन के प्रेम में पागल । नील नैन से विवाह की सोचता है तो पारुल घराना उसे कुचल देता है। भोला के ज़रिये माफिया तक जाता है तो माफिया भी हत्या की सुपारी लेकर नील को मार डालता है। भोला हतप्रभ और सुन्न हो जाता है।
साँस रोककर पढ़ी जानेवाली इस कथा में सफ़ेदपोश अपराधी और माफिया दोनों हैं। दो जिन्दादिल मुम्बई गये थे-मुर्दा बनकर रह गये। उपन्यास दो मुद्दों के लिए गुलदस्ता में सुरेन्द्र वर्मा एक नवी कथाभूमि लेकर उपस्थित हुए हैं। यह कृति न केवल पाठकों को मोहेगी वरन चौकाएगी भी।
About Author
सुरेन्द्र वर्मा
जन्म : 7 सितम्बर, 1941
शिक्षा : एम.ए. (भाषाविज्ञान)
अभिरुचियाँ : प्राचीन और मध्यकालीन भारतीय इतिहास, सभ्यता एवं संस्कृति; रंगमंच तथा अन्तरराष्ट्रीय सिनेमा में गहरी दिलचस्पी ।
कृतियाँ : मुग़ल महाभारत, तीन नाटक, सूर्य की अन्तिम किरण से सूर्य की पहली किरण तक, आठवाँ सर्ग, शकुन्तला की अँगूठी, क़ैद-ए-हयात, रति का कंगन (नाटक); नींद क्यों रात भर नहीं आती (एकांकी); जहाँ बारिश न हो (व्यंग्य); प्यार की बातें, कितना सुन्दर जोड़ा (कहानी-संग्रह); अँधेरे से परे, मुझे चाँद चाहिए, दो मुर्दों के लिए गुलदस्ता और काटना शमी का वृक्ष पद्मपंखुरी की धार से (उपन्यास)।
सम्मान : संगीत नाटक अकादेमी और साहित्य अकादेमी द्वारा सम्मानित ।
सम्पर्क : टी-6, ग्रीन व्यू अपार्टमेंट्स, मांडी, नयी
दिल्ली-110047
मो. : 09268125668
ई-मेल : svstormysoul@gmail.com
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